साहित्य कहो कौन्तेय-७० December 2, 2011 / December 2, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (भीम के हाथों कर्ण की पराजय) भीम के रौद्ररूप के सम्मुख कौरव सेना का कोई महारथी टिक नहीं पा रहा था। विवश दुर्योधन अपने नेत्रों से अपनी सेना की दुर्दशा देख रहा था। आज भीम के सामने आने का अर्थ था – सीधे मृत्यु को निमन्त्रण देना। उसने कातर नेत्रों से कर्ण […] Read more » Episodes of Mahabharata Kaho Kauntey कहो कौन्तेय भीम के हाथों कर्ण की पराजय
साहित्य कहो कौन्तेय-६९ November 30, 2011 / November 29, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (सात्यकि और भीमसेन का पराक्रम) महासमर के चौदहवें दिन का सूरज भी नियत समय पर उदित हुआ। रणवाद्यों की गूंज से आकाश दहल गया। अपने रथ नन्दिघोष पर आरूढ़ हो मैंने सम्मुख युद्ध के लिए सन्नद्ध कौरवों की सेना का सिंहावलोकन किया। आचार्य द्रोण ने आज शकटव्यूह की रचना की थी। चौबीस […] Read more » Episodes of Mahabharata Kaho Kauntey कहो कौन्तेय सात्यकि और भीमसेन का पराक्रम
साहित्य कहो कौन्तेय-६२ November 16, 2011 / November 28, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (महासमर का पहला और दूसरा दिन) महासमर के लिए श्रेष्ठ जनों की आज्ञा और उनका आशीर्वाद ले, हमलोग अपनी सेना के मध्य लौट आए। अब और कोई औपचारिकता शेष नहीं बची थी। दोनों पक्षों की ओर से आकाश का हृदय विदीर्ण करने वाले शंखनाद हुए, रणभेरियां बजीं। युद्ध का महायज्ञ प्रदीप्त हो […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-६१ November 15, 2011 / December 3, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 2 Comments on कहो कौन्तेय-६१ विपिन किशोर सिन्हा (श्रीकृष्ण का गीतोपदेश एवं अर्जुन का मोह-भंग) मैं पारिवारिक स्नेह के मिथ्या शोक से अभिभूत था। श्रीकृष्ण ने पल के शतांश में ही मेरा भाव ताड़ लिया। अब वे हंस रहे थे। अपने मधुर स्वरों पर स्नेह का अतिरिक्त लेप लगा बोलने लगे – “हे पार्थ! तुम पाण्डित्यपूर्ण वचन तो कह रहे […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-६० November 15, 2011 / December 3, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (युद्ध के पूर्व अर्जुन का विषाद) पितामह के श्वेत दाढ़ी-मूंछों से मैं अक्सर खेला करता था। मुझे आभास भी नहीं होता था कि उन्हें खींचने से दादाजी को दर्द भी होता होगा। वे भी तो कभी बताते नहीं थे। उनका श्वेत उत्तरीय ले मैं भाग जाता और वे जानबूझकर मेरे पीछे-पीछे धीरे-धीरे […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-५९ November 12, 2011 / December 3, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on कहो कौन्तेय-५९ विपिन किशोर सिन्हा (महासमर की तैयारी) हमारे संधि-प्रस्ताव दुर्योधन के अहंकार और धृतराष्ट्र के अनिर्णय की भेंट चढ़ चुके थे। हृदय पर पत्थर रखकर हमने मात्र पांच ग्रामों के बदले हस्तिनापुर को शान्ति देने का प्रस्ताव रखा था। दुर्योधन ने वह भी ठुकरा दिया। धृतराष्ट्र असहाय थे, पितामह मौन। सत्य और न्याय के लिए हस्तिनापुर […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-५८ (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश) November 12, 2011 / December 3, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (श्रीकृष्ण का विराट रूप दर्शन और महासमर की घोषणा) विपिन किशोर सिन्हा दुर्योधन का क्रोध दावानल की भांति बढ़ता जा रहा था। सांप की तरह फुफकारते हुए अपने सैनिकों को आदेश दिया – “मथुरा के कारागार में जन्म लेनेवाले इस यादव को इसके मूल स्थान पर भेजना अत्यन्त आवश्यक है। बांध लो इस छलिया को […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-५७ November 10, 2011 / December 4, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (श्रीकृष्ण का आखिरी शान्ति-प्रस्ताव) श्रीकृष्ण ने मुस्कुराकर दुर्योधन को देखा। मधुर वाणी में दुर्योधन से कहने लगे – “कुरुनन्दन! मेरी बात ध्यान से सुनो। इससे तुम्हारा, तुम्हारे परिवार, क्षत्रिय समाज और संपूर्ण आर्यावर्त का हित होगा। तुमने बुद्धिमानों के कुल में जन्म लिया है, अतः शुभ कार्य ही तुमसे अपेक्षित है। पाण्डव […] Read more » Episodes of Mahabharata Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-५७
साहित्य कहो कौन्तेय-५६ (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश) November 10, 2011 / December 4, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (हस्तिनापुर की राजसभा में श्रीकृष्ण का पदार्पण) यह कार्तिक मास की पूर्णिमा का दिन था। रेवती नक्षत्र और मैत्री मुहूर्त्त में श्रीकृष्ण ने हस्तिनापुर के लिए प्रस्थान किया। शत्रुओं के दुर्ग में श्रीकृष्ण का प्रवेश! सभी चिन्तित हो रहे थे लेकिन मैं उनकी सुरक्षा के प्रति तनिक भी चिन्तित नहीं था। जिसने […] Read more » Kaho Kauntey कहो कौन्तेय-५६ महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश हस्तिनापुर की राजसभा में श्रीकृष्ण का पदार्पण
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-५५ November 6, 2011 / December 5, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (शान्ति-दूत के रूप में श्रीकृष्ण) विपिन किशोर सिन्हा शान्ति-स्थापना के अन्तिम प्रयास के रूप में श्रीकृष्ण को हस्तिनापुर भेजना निश्चित किया गया। जाने के पूर्व मैं, युधिष्ठिर, भीमसेन, नकुल. सहदेव और सात्यकि मंत्रणा के लिए श्रीकृष्ण के पास बैठे। महाराज युधिष्ठिर युद्ध के पक्ष में नहीं थे। शान्ति-स्थापना हेतु वे अपने आधे राज्य का त्याग […] Read more » Episodes of Mahabharata Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
धर्म-अध्यात्म कहो कौन्तेय-५४ November 6, 2011 / December 5, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (संजय को श्रीकृष्ण और अर्जुन का उत्तर) विपिन किशोर सिन्हा श्रीकृष्ण हमारे लिए भगवान बन चुके थे। वे हमारे प्रत्येक कार्य के कारक और नियंत्रक की भूमिका में आ चुके थे। वे हम पांचो भ्राताओं और द्रौपदी के आत्मबल थे। संकट के समय लगता था, कृष्ण ही एकमात्र संबल हैं। संजय के कुटिल प्रस्ताव का […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-५३ November 5, 2011 / December 5, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on कहो कौन्तेय-५३ विपिन किशोर सिन्हा (शान्ति-प्रस्ताव पर विचार-विमर्श) पुरोहित जी महाराज द्रुपद के निर्देशानुसार पूर्व सूचना देकर महाराज धृतराष्ट्र की सभा में उपस्थित हुए। उन्होंने कुशल क्षेम आदान-प्रदान करने के बाद पितामह भीष्म, द्रोण, महात्मा विदुर, कृपाचार्य, कर्णादि के सम्मुख शान्तिपूर्ण ढंग से इन्द्रप्रस्थ के हस्तान्तरण का प्रस्ताव रखा। पितामह पुरोहित जी की बात से सहमत थे। […] Read more » episodes of mahabharta Kaho Kauntey कहो कौन्तेय