विविधा संस्कार और बाज़ार October 28, 2011 / December 5, 2011 by राजीव गुप्ता | Leave a Comment राजीव गुप्ता अवधपुरी अति रुचिर बनाई ! देवन्ह सुमन बृष्टि झरी लाई !! प्रभु बिलोकि मुनि मन अनुरागा ! तुरत दिब्य सिंघासन माँगा !! (उत्तरकाण्ड, रामचरितमानस) बाय वन गेट टू फ्री….वॉव….देख-देख-उधर-देख….चल यार उधर ही चलते है….आज शॉपिंग करने में मज़ा आ जाएगा….कहते हुए गीतू ने अपनी तीन सहेलियों मीतू,नीतू और रीतू को इमोशनल ब्लैकमेल करते […] Read more » market बाजार संस्कार
महिला-जगत मीडिया बाजार में औरत और औरत का बाजार July 23, 2011 / December 8, 2011 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment संजय द्विवेदी हिंदुस्तानी औरत इस समय बाजार के निशाने पर है। एक वह बाजार है जो परंपरा से सजा हुआ है और दूसरा वह बाजार है जिसने औरतों के लिए एक नया बाजार पैदा किया है। औरत की देह इस समय मीडिया के चौबीसों घंटे चलने वाले माध्यमों का सबसे लोकप्रिय विमर्श है। लेकिन परंपरा […] Read more » market देह नारीमुक्ति बाजार स्त्री विमर्श
समाज बाजार जी! संभावनाएं यहां मत टंटोलिए -जयप्रकाश सिंह July 24, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on बाजार जी! संभावनाएं यहां मत टंटोलिए -जयप्रकाश सिंह ‘घर से निकलते ही, कुछ दूर चलते ही’ आजकल अधिकांश व्यक्तियों का सामना बाजार से हो जाता है। मेरा भी आमना-सामना उनके अगणित रूपों में से किसी न किसी के साथ प्रतिदिन होता रहता है। मिलने पर बकवासी बुद्धिजीवियों की तरह मैं भी उनसे बतियाने की कोशिश करता हूं। वे भी मुझे अन्य व्यवहारिक लोगों […] Read more » market बाजार