राजनीति विधि-कानून मध्य प्रदेश जलाधिकार अधिनियम हक़दारी या वसूली की तैयारी ? December 12, 2019 / December 12, 2019 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी चर्चा है कि मध्य प्रदेश, इन दिनों जलाधिकार अधिनियम बनाने वाला भारत का पहला राज्य बनने की तैयारी में व्यस्त है। वर्ष-2014 तक सभी को नल से जल पिलाने की केन्द्रीय घोषणा भी इसी कालखण्ड में ज़मीन पर विस्तार पाने की होड़ में है। सामान्यतः कम विद्रोही प्रवृत्ति के कारण म. प्र. पहले […] Read more » Madhya Pradesh Water Rights Act MP मध्य प्रदेश जलाधिकार अधिनियम
लेख मप्र के पांच जिले नशे के कारोबार में July 19, 2019 / July 19, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment *उड़ता पंजाब की राह पर मप्र का उत्तरी अंचल* *प्रदेश के पांच जिलों में बचपन स्मेक की गिरफ्त में* (डॉ अजय खेमरिया) मप्र के उत्तरी अंचल के पांच जिले शिवपुरी, गुना,अशोकनगर,राजगढ़, औऱ श्योपुर नशे की ऐसी गिरफ्त में समाते जा रहे है जहाँ से इन जिलों की सामाजिक, आर्थिक,व्यवस्था को चुनोतियाँ तो मिलनी ही है […] Read more » five districts intoxication business MP
विविधा एमपी अजब है, लोग गजब हैं February 5, 2014 / February 5, 2014 by डॉ0 शशि तिवारी | Leave a Comment एमपी वाकई में कई मामलों में अजब-गजब हैं, अजब इस मामले में कि शिवराज के करिश्माई मार्गदर्शन में किन्तु-परन्तु के बीच विपक्ष को औंधे मुंह गिरा। तीसरी बार पहले से ज्यादा सुदृढ़ होकर उभरी हैं, दूसरा विकास दर, सूचना तकनीकी, पर्यटन,लोकसेवा गारंटी, लाड़ली लक्ष्मी एवं अन्य योजनाओं में न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार भी अपनी झोली में डाले। एक बात तो निर्विवाद रूप से कटु सत्य है जो सभी को स्वीकार्य भी है कि ‘‘मध्य प्रदेश में विकास’’ तो हुआ है। तीसरा विपक्ष के मुंह को ऐसा सिला दिया कि विरोध के शब्द तक ठीक से नहीं फूट सकें, उलट तेजतर्रारों को अपनी ही पार्टी की सदस्यता दिला गाल पर तमाचा मारा सो अलग, रहा सवाल कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का तो उन्हें उन्हीं के सेना नायकों द्वारा कुचला जा रहा है। गजब इस मामले में कि यहां चपरासी से लेकर अधिकारियों, मंत्रियों की तो बात ही नहीं है। सभी करोड़पति हैं, बिना नाखून के लोकायुक्त की दाद देनी होगी जिसे सरकार भ्रष्टों के खिलाफ चालन की अनुमति नहीं दे रही है, फिर वह घड़ाधड़ छापामार कार्यवाही में जुटा हुआ है। यहां यक्ष प्रश्न उठता है कि कौन कहता है कि ‘‘मप्र गरीब हैं’’ दूसरा मंत्रियों एवं अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त में केस दर्ज होने के बावजूद प्रमोशनों की बंदरबांट जारी है। तीसरा ईमानदार मर रहा है। भ्रष्ट फल फूल रहा है। चौथा केन्द्र एवं राज्य की विभिन्न संचालित विभिन्न योजनाओं के भ्रष्टाचार में अधिकारी मंत्रियों के लिए दुधारू गाय नहीं बल्कि भैंस बने हुए हैं जो काली कमाई से न केवल खुद मोटे हो रहे हैं, बल्कि कई भैंसाओं को भी पाल रहे हैं। पांचवां शिक्षा के मंदिर, भ्रष्ट, निकम्मे, नाकारा कुलपतियों की वजह से कलंकित हो रहे हैं। राजनीति भी गजब से अछूति नहीं है, यहां भी कई यक्ष प्रश्न उठ खड़े होते है, जैसे जब विपक्ष में है तो सुविधाओं का विलाप क्यों? जनसेवा के लिये आये हैं या सुख भोगने के लिए? जो सुविधाएं संविधान में ही नहीं है, उन्हें मांगना कहां तक उचित? फिर बात चाहे गाड़ी, बंगला, स्टाफ या अन्य ही क्यों न हो? परिपाटी या परम्परा नजीर नहीं हो सकती और न ही इसकी दुहाई देना चाहिए।जनसेवकों को एक बात कभी नहीं भूलना चाहिए वे जनता की सेवा के लिए राजनीति के माध्यम से आये है न कि शासक या अधिकारी। बल्कि होना तो यह चाहिए कि पक्ष या विपक्ष कोई भी सुविधाएं कम से कम वे ‘‘आम आदमी’’ ही लगे विशेष नहीं। होना तो यह भी चाहिए कि इनके वेतन भत्ते जो सरकारी खजाने से पाते हैं, के लिए कर्मचारियों की तरह ‘‘वेतन भत्ता के लिए आयोग’’ होना चाहिए। सुविधाएं केवल उधार का सिन्दूर है जो जनता के पैसे का है उस पर इतराना या अधिकार जताना कहां तक उचित हैं? जीतहमेशा पुरूषार्थ करने वालों की होती है भीख मांगने से नहीं? कुछ चीजें राजा रावण से भी सीखने की है फिर बात चाहे दृढ़ निश्चय, कठोरतप, तपस्या से अर्जित शक्तियों की हो, राजनीति की हो, अपने बन्धु-बांधव, कुटुम्ब को तारने की हो, तभी तो राजा राम ने रावण केअंतकाल में लक्ष्मण को शिक्षा लेने को कहा। विगत 10 वर्षों में विपक्ष केवल अपने कबीलाईयों के युद्वों में ही मशगूल रहा, उससे ऊपर ही नहीं उठा, जिससे जनता केमुद्दे गौण हो गए, जिसके परिणाम स्वरूप जनता से चुनाव की अग्नि परीक्षा में एक सिरे से नकार दिया। भाजपा को बात-बात पर कोसने वाला विपक्ष सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में सरकार की गोद में ही जा बैठी एवं […] Read more » Madhya Pradesh MP Shivraj Singh Chauhan एमपी अजब है लोग गजब हैं
राजनीति स्कूली बच्चों से गए गुजरे हैं ”जनसेवक” March 26, 2010 / December 24, 2011 by लिमटी खरे | Leave a Comment देश की जनता जिन पर भरोसा कर उन्हें जनादेश देकर देश की सबसे बडी पंचायत ”लोकसभा” में अपने भविष्य के सपने गढने की गरज से भेजती है, वे ही ”जनसेवक” लोकसभा में उपस्थिति दर्ज कराने के बजाए अपना ही भविष्य गढने में लग जाते हैं। लोकसभा में अनुपस्थित रहने के साथ ही साथ अपने संसदीय […] Read more » MP सांसद
राजनीति मप्र में मीसा बंदियों के साथ भेदभाव April 25, 2009 / December 25, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मध्यप्रदेश में मीसा बंदियों के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। यहां आपातकाल के दौरान मीसा के तहत बंदी बनाए गए लोगों को उनकी पार्टीगत निष्ठा को देखते हुए पेंशन दिया जा रहा है Read more » MISA detainees with distinction MP मप्र मीसा बंदियों के साथ भेदभाव