कविता मौन का संगीत September 3, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment जो लिखे थे आँसुओं से, गा सके ना गीत। अबतलक समझा नहीं कि हार है या जीत।। दग्ध जब होता हृदय तो लेखनी रोती। ऐसा लगता है कहीं तुम चैन से सोती। फिर भी कहता हूँ यही कि तू मेरा मनमीत। अबतलक समझा नहीं कि हार है या जीत।। खोजता हूँ दर-ब-दर कि […] Read more » Featured poem by shyamal suman मौन का संगीत
कविता कविता:खिलौना-श्यामल सुमन May 27, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता:खिलौना-श्यामल सुमन देख के नए खिलौने, खुश हो जाता था बचपन में। बना खिलौना आज देखिये, अपने ही जीवन में।। चाभी से गुड़िया चलती थी, बिन चाभी अब मैं चलता। भाव खुशी के न हो फिर भी, मुस्काकर सबको छलता।। सभी काम का समय बँटा है, अपने खातिर समय कहाँ। रिश्ते नाते संबंधों के, बुनते हैं […] Read more » poem by shyamal suman poem khilauna by shyamal suman कविता:खिलौना कविता:खिलौना-श्यामल सुमन कविता:श्यामल सुमन
कविता कविता ; छटपटाता आईना – श्यामल सुमन March 9, 2012 / March 12, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on कविता ; छटपटाता आईना – श्यामल सुमन सच यही कि हर किसी को सच दिखाता आईना ये भी सच कि सच किसी को कह न पाता आईना रू-ब-रू हो आईने से बात पूछे गर कोई कौन सुन पाता इसे बस बुदबुदाता आईना जाने अनजाने बुराई आ ही जाती सोच में आँख तब मिलते तो सचमुच मुँह चिढ़ाता आईना कौन […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता छटपटाता आईना
कविता कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन March 7, 2012 / March 8, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन मेहनत जो करते दिन-रात वो दुख में रहते दिन-रात सुख देते सबको निज-श्रम से तिल-तिल कर मरते दिन-रात मिले पथिक को छाया हरदम पेड़, धूप सहते दिन-रात बाहर से भी अधिक शोर क्यों भीतर में सुनते दिन-रात दूजे की चर्चा में अक्सर अपनी ही कहते दिन-रात हृदय वही परिभाषित होता […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता प्रेम जहाँ बसते दिन-रात
कविता कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment नहीं जज्बात दिल में कम होंगे तेरे पीछे मेरे कदम होंगे तुम सलामत रहो कयामत तक ये है मुमकिन कि हम नहीं होंगे प्यार जिसको भी किया छूट गया बन के अपना ही कोई लूट गया दिलों को जोड़ने की कोशिश में दिल भी शीशे की तरह टूट गया यार मिलने को जब […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है
कविता कविता ; उड़ा दिया है रंग – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment कोई खेल रहा है रंग, कोई मचा रहा हुड़दंग मँहगाई ने हर चेहरे का उड़ा दिया है रंग रंग-बिरंगी होली ऐसी प्रायः सब रंगीन बने अबीर-गुलाल छोड़ कुछ हाथों में देखो संगीन तने खुशियाली संग कहीं कहीं पर शुरू भूख से जंग कोई खेल रहा है रंग, कोई मचा रहा हुड़दंग मँहगाई ने हर […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems उड़ा दिया है रंग कविता