कविता उड़े तिरंगा बीच नभ August 12, 2022 / August 12, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment आज तिरंगा शान है, आन, बान, सम्मान।रखने ऊँचा यूँ इसे, हुए बहुत बलिदान।।नहीं तिरंगा झुक सके, नित करना संधान।इसकी रक्षा के लिए, करना है बलिदान।।देश प्रेम वो प्रेम है, खींचे अपनी ओर।उड़े तिरंगा बीच नभ, उठती खूब हिलोर।।शान तिरंगा की रहे, दिल में लो ये ठान।हर घर, हर दिल में रहे, बन जाए पहचान।।लिए तिरंगा […] Read more » poem on Independence Day
कविता मेरा भारत मेरा तिरंगा August 12, 2022 / August 12, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सूरज बन कर जग में चमके,भारत देश हमारा।हर घर में तिरंगा फहराए ये मिशन अब हमारा।। विश्व गुरु हों जाए भारत,यही कामना करते है।सुख शांति हो सारे विश्व में,ये भावना रखते है।। अन्त हों आतंकवाद का,जो डर फैलाया करते है।सफाया हो उन सबका,जो बिना बात ही लड़ते है।। सबके दिल में प्रीत बनाओ,बोलकर मीठी वाणी।सारा […] Read more » my india my tricolor poem on Independence Day
कविता भारत के वीर सेनानियों के प्रति भावांजलि August 4, 2022 / August 4, 2022 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment देश के सपूतों, मातृभू के रक्षकों, क्रांतिवीर बन्धुओं, शूरवीर सैनिकों, साहसी सेनानियों !! माँ तुम्हें पुकारती, माँ तुम्हें पुकारती। * आज […] Read more » poem on Independence Day Tribute to the brave fighters of India
कविता साहित्य अधूरी है आज़ादी August 15, 2016 by नरेश भारतीय | Leave a Comment नरेश भारतीय अधूरी क्यों है अभी भी यह आज़ादी? विभाजन को स्वीकार करने की मजबूरी क्या थी? जो कट कर अलग हुए क्या ख़ुश रहे? जो मारकाट से आहत हुए किसके दुश्मन थे? साम्प्रदायिक हत्याओं की भेंट चढ़ती गई आज़ादी सरहद के उस पार जो आज होता दिख रहा विध्वंस और विनाश के कगार पर […] Read more » Featured poem on Independence Day अधूरी है आज़ादी आजादी
कविता साहित्य आजादी पर गर्व हमें है August 15, 2016 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment आजादी पर गर्व हमें है और सदा तक बना रहेगा, जिन लोगों ने कुर्वानी दी उनका नाम अमर रहेगा, पर अन्तिम जन को आजादी कब तक मिल पाएगी ? दुपहरिया में मजदूरों की मेहनत कब रंग लाएगी ? उनकी सोच बदल जाए तो सच्ची आजादी होगी, भुखमरी पर पाबन्दी ही सच्ची खुशहाली होगी, झुग्गी झोपड़ियों […] Read more » poem on Independence Day आजादी आजादी पर गर्व हमें है
कविता साहित्य विश्वास- विश्वशान्ति का August 12, 2016 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment हर दिशा से शान्ति की पुरवाइयाँ बहें । विश्व है परिवार सबका,यही जन जन कहें । प्रेम का जल द्वेष की ज्वाला बुझाए । विश्वप्रेम की प्रतिपल ज्योति जगाए।। हिंसा तो बस प्रतिहिंसा को है बढ़ा रही । जग को है भयभीत और अशान्त कर रही ।। है विश्वास यही मन में ,एक दिवस वह […] Read more » Featured poem on Independence Day विश्वास- विश्वशान्ति का