कविता
ठंडी ठंडी फुहार बारिश की
/ by शादाब जाफर 'शादाब'
शादाब जफर ‘शादाब’ “बारिश’’ ठंडी ठंडी फुहार बारिश की हाय कैसी बहार बारिश की किश्तियां खूब हम चलाते थे कापिया फाड कर बनाते थै याद आती हैे मार बारिश की ठडी ठडी फुहार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, सोनू मोनू सभी नहाते थे आम बगिया से ला के खाते थे आम क्या शे बहार बारिश की ठडी ठडी फुहार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जैसे […]
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