आलोचना साहित्य साहित्य में नव्य उदारतावादी ग्लोबल दबाव December 13, 2010 / December 18, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी हमारे साहित्यकार यह मानकर चल रहे हैं अमरीकी नव्य उदार आर्थिक नीतियां बाजार,अर्थव्यवस्था, राजनीति आदि को प्रभावित कर रही हैं लेकिन हिन्दीसाहित्य और साहित्यकार उनसे अछूता है। असल में यह उनका भ्रम है। इन दिनों हिन्दीसाहित्य और साहित्यकार पूरी तरह नव्य उदार नीतियों की चपेट में आ गया है। इन दिनों विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं,टीवी […] Read more » Sahitya साहित्य
साहित्य साहित्य में लोकमंगल की आराधना December 10, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -हृदयनारायण दीक्षित शब्द ब्रह्म है। ब्रह्म संपूर्णता है। संपूर्ण और ब्रह्म पर्यायवाची हैं लेकिन संपूर्ण शब्द में ब्रह्म का विराट वर्णन करने की सामर्थ्य नहीं है। उपनिषद् के ऋषि ने इसीलिए ‘पूर्णमिदं पूर्णमदः’ शब्द प्रयोग किये। उपनिषद् में कहा गया कि यह पूर्ण है, वह पूर्ण है। यह पूर्ण उस पूर्ण से निकला है। यहां […] Read more » Sahitya साहित्य
आलोचना समीक्षा का अतिवाद है ‘प्रशंसा’ और ‘खारिज करना’ April 2, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment हिन्दी साहित्यालोचना में मीडिया में व्यक्त नए मूल्यों और मान्यताओं के प्रति संदेह,हिकारत और अस्वीकार का भाव बार-बार व्यक्त हुआ है। इसका आदर्श नमूना है परिवार के विखंडन खासकर संयुक्त परिवार के टूटने पर असंतोष का इजहार। एकल परिवार को अधिकांश आलोचकों के द्वारा सकारात्मक नजरिए से न देख पाना। सार्वजनिक और निजी जीवन में […] Read more » Sahitya साहित्य आलोचना
प्रवक्ता न्यूज़ लाजिम है कि हम भी देखेंगे… May 10, 2009 / December 27, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment इकबाव बानो की गायकी से मुहब्बत रखने वाले जानते हैं कि फैज उनके पसंदीदा शायर थे। इस विद्रोही शायर को जब जिया उल हक की फौजी हुकूमत ने कैद कर लिया, तब उनकी शायरी को अवाम तक पहुंचाने का काम इकबाल बानो ने खूब निभाया था।यह बात अस्सी के दशक की है। इकबाल बानो ने […] Read more » Sahitya साहित्य