व्यंग्य बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर February 9, 2014 by जगमोहन ठाकन | 1 Comment on बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर – जग मोहन ठाकन- गुरूजी प्रवचन करके जैसे ही घर पर लौटे तो देखा कि बाहर कचरादानी में ताज़ा बैंगन का भुरता मंद-मंद मुस्करा रहा है ! रसोई द्वार पर पत्नी को देखते ही गुरूजी ने पूछा – देवी जी , यह जायकेदार बैंगन की सब्जी और कचरा दान में ? क्या जल गई […] Read more » satire on indian politics बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर
व्यंग्य … जब नारद जी सम्मानित हुए January 31, 2014 / January 31, 2014 by सुधीर मौर्य | 1 Comment on … जब नारद जी सम्मानित हुए – सुधीर मौर्य- युग पर युग बदल गए, पर अपने नारद भाई जस के तस। रत्ती पर भी बदलाव नहीं। हाथ में तानपूरा, होठों पे नारायण – नारायण और वही खबरनवीसी का काम।जाने कहां से टहलते-घूमते आपके चरन भारत मैया की धरती पर आटिके। तनिक देर में हीनारायनी शक्ति केबल पर आपने खबरनवीसी के हायटेक टेक्नोलॉजी की महत्ता समझली। इस टेक्नोलॉजी की महत्तासे घबराकर बेचारे पतली गली ढूंढ़ ही रहे थे कि एक उपकरणों से लैस पत्रकार के हाथों धरे गये। देखते ही पत्रकार मुस्कराकर बोला, क्या हल है तानपुरा मास्टर ? बेचारे नारद जी पत्रकार की स्टाइल से सिटपिटा गए। संभल के बोले अरे बोलने की गरिमा रखो। गरिमा को बांधो, कंधे पर पड़े अंगोछे में मिस्टर जानते नहीं हमारे सर […] Read more » ... जब नारद जी सम्मानित हुए satire on indian politics
व्यंग्य हजाम और अर्थशास्त्री के वार-पलटवार January 29, 2014 / January 29, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी- शाम को शहर की सड़क पर ‘इवनिंग वॉक’ के लिए निकला था, तभी एक हजाम (नाई/बारबर) का सैलून खुला दिखा। बड़ी लकदक दुकान और दूधिया प्रकाश से रौनक महंगी कुर्सियाँ और आगे-पीछे शीशे लगे हुए थे। युवा हज्जाम से सड़क की ऊबड़-खाबड़ पटरी पर खड़ा ही लगभग चिल्लाकर जोर की […] Read more » satire on indian politics हजाम और अर्थशास्त्री के वार-पलटवार