कविता आँखें ये भर गई। June 14, 2019 / June 14, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment उत्थान देख गांव की आँखें ये भर गई। हालात देख गांव की आँखें ये भर गई। नाली, खड़ंजे छोड़ो सब वो टूटे फूटे हैं दालान देख मुखिया की आँखें ये भर गई। महिला को चुना मुखिया था इस भोली जनता ने देखा पति -परधान तो आँखें ये भर गई। भीतर वो अपने बंगले में रक्खा […] Read more » full of eyes village
कविता साहित्य कविता ; लेन देन – दीपक खेतरपाल February 1, 2012 / February 1, 2012 by दीपक खेतरपाल | Leave a Comment लगती थी साथ साथ सीमा गांव और शहर की पर दोनों थे अलग अलग हवा शहर की एक दिन कर सीमा पार पंहुच गई गांव में और छोड़ आई वहां आलस्य फरेब मक्कारी आंकाक्षाएं महत्वआंकाक्षाएं बदले में ले आई निश्छलता निष्कपटता निस्वार्थ व्यव्हार पर इस लेन देन के बाद गांव गांव न रहा और ठुकरा […] Read more » city poem village कविता लेन देन
आर्थिकी सशक्त ग्राम सभा से ही होगा देश का सर्वागीण विकास January 18, 2012 / January 17, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on सशक्त ग्राम सभा से ही होगा देश का सर्वागीण विकास ANOOP AKASH जनगणना के ताज़ा आंकड़े आज इस बात के गवाह हैं कि भारत की कुल आबादी का ६८.८ फीसदी हिस्सा यानि कि ८३.३ करोड़ की आबादी गाँवों में बसती है| हालांकि जनसंख्या का ये प्रतिशत घटा है मगर फिर भी आबादी का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण भारत की पहचान स्वरूप हमारे सामने है| जिसके […] Read more » village
समाज बाजार के निशाने पर अब गाँव July 12, 2011 / December 9, 2011 by सुनील अमर | 1 Comment on बाजार के निशाने पर अब गाँव सुनील अमर देश के गाँव इन दिनों कई तरह से बाजार के फोकस पर हैं! घरेलू उपयोग की वस्तुऐं बनाने वाली बड़ीबड़ी कम्पनियाँ को अगर वहाँ अपनी बाजारु संभावनाऐं दिख रही हैं, तो बिल्कुल शहरी व्यवसाय माने जाने वाले बी.पी.ओ. क्षेत्र ने भी अब गॉवों की तरफ रुख कर लिया है। सरकार अगर देश के […] Read more » village
पर्यावरण ग्रामीण क्षेत्रों में परिवेश एवं व्यक्तिगत स्वच्छता November 26, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on ग्रामीण क्षेत्रों में परिवेश एवं व्यक्तिगत स्वच्छता अतुल कुमार तिवारी स्वच्छता जीवन की बुनियादी आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सदियों से सुनिश्चित स्वच्छता सुविधायें मुहैया कराने के इरादे से ग्रामीण विकास मंत्रालय का पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) चला रहा है। इस अभियान का उद्देश्य ग्रामवासियों की खुले में शौच जाने की आदत में बदलाव लाना है। सरकार […] Read more » village ग्रामीण क्षेत्र
खेत-खलिहान ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं के माध्यम से शहरी-ग्रामीण अंतर को दूर करने का प्रयास October 17, 2010 / December 21, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाओं के माध्यम से शहरी-ग्रामीण अंतर को दूर करने का प्रयास -अतुल कुमार तिवारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि वास्तविक भारत गांवों में बसता है। सभी प्रयासों के बावजूद आजादी के छह दशक बाद भी देश के आश्चर्यजनक पहलुओं में एक है- सुविधाओं के दृष्टि से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत बड़ा अंतर। शहरी भारत और ग्रामीण भारत के बीच के इस अंतर […] Read more » village ग्रामीण क्षेत्र
खेत-खलिहान गाँव खुशहाल हों तो देश की अर्थव्यवस्था सुधरे July 22, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 6 Comments on गाँव खुशहाल हों तो देश की अर्थव्यवस्था सुधरे – मुलखराज विरमानी स्वयंसेवी संस्थाएं और जागरूक जनता इस बात से चिंतित है कि हमारे गाँव, 63 वर्ष स्वतंत्रता के पश्चात् भी, गरीब और असहाय क्यों हैं? माना कि खेती की उपज की वस्तुओं की कीमतों में काफी उछाल आया है परंतु इस उछाल का लाभ बीच-विचोले व्यापारियों और फुटकर विक्रेताओं ने अधिक उठाया। किसानों […] Read more » village अर्थव्यवस्था गांव