धर्म-अध्यात्म ईश्वर द्वारा जीवात्माओं को सुधार के अवसर देने की कोई सीमा नहीं December 11, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा स्वभाव ऐसा है कि जो लोग हमसे जुड़े हैं वह सभी हमारे अनुकूल हों और हमारी अपेक्षाओं को पूरा करें। यदि कोई हमारे अनुकूल नहीं होता व अपेक्षायें पूरी नहीं करता तो प्रायः हम उससे दूरी बना लेते हैं। ऐसे ही कारणों से पति व पत्नी के संबंध तक टूट जाते […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता? December 5, 2016 by मनमोहन आर्य | 4 Comments on ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता? मनमोहन कुमार आर्य हमारे इस संसार में जन्म लेने से पूर्व से ही यह संसार प्रायः इसी प्रकार व्यवस्थित रुप से चल रहा है। हमसे पूर्व हमारे माता-पिता, उससे पूर्व उनके माता-पिता और यही परम्परा सृष्टि के आरम्भ से चली आ रही है। इस परम्परा का आरम्भ कब व कैसे हुआ? इसका उत्तर है कि […] Read more » ईश्वर ईश्वर न होता तो क्या यह संसार होता?
धर्म-अध्यात्म सभी मनुष्यों पर ईश्वर के असंख्य उपकारों के कारण सभी उसके ऋणी November 29, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य क्या मनुष्य ईश्वर का ऋणी है? यदि है तो वह ईश्वर का ऋणी कब व कैसे बना? मनुष्य ईश्वर का ऋणी कब बना, इस प्रश्न का उत्तर है कि वह सदा से ईश्वर का ऋणी है और हर पल व हर क्षण उसका ऋण बढ़ता ही जा रहा है। यह बात और […] Read more » ईश्वर
प्रवक्ता न्यूज़ क्या मनुष्य का कोई बुरा कर्म ईश्वर से छुप सकता व अदण्ड्य हो सकता है? November 23, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य इस संसार में अपने पूर्वजन्म व जन्मों के अवशिष्ट कर्मों के फलों को भोगने और नये कर्म करने के लिए आता है। मनुष्य जीवन भर जो अच्छे व बुरे कर्म करता है, उसका लेखा जोखा कौन रखता है? कैसे कर्मों का फल मिलता है और कैसे हमारी अगले जन्म की योनि […] Read more » अदण्ड्य ईश्वर बुरा कर्म मनुष्य
धर्म-अध्यात्म ईश्वर का अस्तित्व आदि व अन्त से रहित है’ November 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम संसार में देखते हैं कि प्रत्येक पदार्थ का आदि अर्थात् आरम्भ होता है और कुछ व अधिक काल बाद उसका अन्त वा समाप्ति हो जाती है। आदि शब्द जन्म के लिए भी प्रयुक्त होता है और अन्त शब्द को मृत्यु के रुप में भी जाना जाता है। विश्व का अधिकांश भाग […] Read more » आदि व अन्त से रहित है’ ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, समाज में अन्याय व नास्तिकता November 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर किसे कहते हैं? एक दशर्नकार ने इसका उत्तर दिया है कि जिससे यह सृष्टि बनी है, जो इसका पालन करता है तथा जो इस सृष्टि की अवधि पूरी होने पर प्रलय करता है, उसे ईश्वर कहते हैं। इस उत्तर के अनुसार ब्रह्माण्ड में एक सच्चिदानन्दस्वरुप, सर्वव्यापक, निराकार, सर्वज्ञ ईश्वर नामी चेतन […] Read more » ईश्वर समाज में अन्याय समाज में अन्याय व नास्तिकता समाज में नास्तिकता
धर्म-अध्यात्म ‘ब्रह्माण्ड का एकमात्र ईश्वर ही संसार के सब मनुष्यों का उपासनीय’ September 10, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर क्या है व ईश्वर किसे कहते हैं? यह एक साधारण मनुष्य का प्रश्न हो सकता है। इसका सरल उत्तर यह है कि संसार को व समस्त प्राणीजगत को बनाने वाले को ईश्वर कहते है। वह कैसा है? इसका उत्तर यह है कि वह ‘सच्चिदानन्दस्वरूप’ है। सच्चिदानन्द का अर्थ है कि वह […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा-प्रकृति विषयक अविद्या विश्व में अशान्ति का कारण July 31, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में लोग उचित व अनुचित कार्य करते हैं। अनुचित काम करने वालों को सामाजिक नियमों के अनुसार दण्ड दिया जाता है। न केवल सामान्य मनुष्य अपितु शिक्षित व उच्च पदस्थ राजकीय व अन्य मनुष्य भी अनेक बुरे कामों को करते हैं जिनसे देश व समाज कमजोर होता है और इसके परिणाम […] Read more » अविद्या ईश्वर जीवात्मा प्रकृति विश्व में अशान्ति का कारण
प्रवक्ता न्यूज़ सर्वशक्तिमन् ईश्वर की कृपा, रक्षा और सहाय से हम लोग परस्पर एक दूसरे की रक्षा करें July 28, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सभी मनुष्यों को नित्य-प्रति ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना और उपासना अवश्य करनी चाहिये जिससे वह कृतघ्नता के महापाप से बच सकता है। आज जिस मन्त्र को लेकर हम उपस्थित हुए हैं वह मन्त्र ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा प्रणीत आर्याभिविनय, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका और संस्कारविधि में भावार्थ सहित उपलब्ध है। इस मन्त्र व इसके भावार्थ […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म सूक्ष्म ईश्वर और जीवात्मा स्थूल आंखों से दिखाई क्यों नहीं देते?’ July 12, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम इस संसार के सभी स्थूल पदार्थों को अपनी आंखों से देखते हैं और उनकी रचना और उससे होने वाले लाभ व हानियों को विचार कर जानते हैं। आंखों से जो पदार्थ हम देखते हैं वह सृष्टि में स्थूल हुआ करते हैं। अनेक सूक्ष्म पदार्थों को आंखें देख नहीं पाती। जल को […] Read more » why dont we see god with naked eyes ईश्वर जीवात्मा सूक्ष्म स्थूल आंखों से दिखाई
धर्म-अध्यात्म जन्म से पूर्व अतीत व भविष्य से अनभिज्ञ मनुष्य को केवल ईश्वर का ही आधार July 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में दो प्रकार की सत्तायें हैं, एक चेतन व दूसरी जड़। यह समस्त सृष्टि जिसमें हमारा सौर्य मण्डल सहित असंख्य ग्रह, उपग्रह, नक्षत्र व आकाश गंगायें आदि रचनायें विद्यमान हैं, वह सभी जड़ सत्ता ‘प्रकृति’ के विकार से बनी है। सृष्टिगत सभी जड़ पदार्थ त्रिगुणात्मक सत्व, रज व तम गुणों वाली […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म अपवित्र जीवात्मा पवित्र ईश्वर का साक्षात्कार नहीं कर पाती June 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर व जीवात्मा दो पृथक पृथक चेतन सत्तायें हैं। दोनों ही अनादि, नित्य, अनुत्पन्न, अविनाशी, अमर, ज्ञान व कर्म करने की शक्ति से युक्त सत्तायें हैं। दोनों के स्वरूप में कुछ समानतायें और कुछ भिन्नतायें भी है। ईश्वर आकाश के समान सर्वव्यापक है तो जीवात्मा एकदेशी है। ईश्वर और जीवात्मा का व्याप्य-व्यापक […] Read more » अपवित्र जीवात्मा ईश्वर ईश्वर का साक्षात्कार पवित्र ईश्वर साक्षात्कार