धर्म-अध्यात्म मुक्ति में आत्मा को जन्म-मरण से अवकाश एवं अलौकिक सुखों की प्राप्ति June 10, 2020 / June 10, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य दुःख से घबराता है तथा सुख की प्राप्ति के लिये ही कर्मों में प्रवृत्त होता है। वह जो भी कर्म करता है उसके पीछे उसकी सुख प्राप्ति की इच्छा व भावना निहित होती है। मनुष्यों को दुःख प्राप्त न हो तथा अपनी क्षमता के अनुरूप सुख प्राप्त हो, इसके लिये […] Read more » मुक्ति
धर्म-अध्यात्म “देश में जन्मना जाति व्यवस्था 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” August 3, 2018 / August 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और जो गुण रहित है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। […] Read more » 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द चाणक्य देश में जन्मना जाति व्यवस्था धर्म पिता पूर्व परजन्म ब्राह्मण माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का वर्ण व्यवस्था पर महत्वपूर्ण उपदेश” July 17, 2018 / July 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व प्रसिद्ध ‘सत्यार्थप्रकाश’ ग्रन्थ में वर्ण व्यवस्था पर विस्तार से प्रकाश डाला है और वेदानुकूल ग्रन्थों के बुद्धि व तर्क संगत प्रमाण भी दिये हैं। हम यहां सत्यार्थप्रकाश के चतुर्थ समुल्लास से उनके कुछ विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि जो शूद्र कुल में […] Read more » Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द धर्म पिता पूर्व जन्म माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” May 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ संसार में सुविख्यात ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने संसार में विद्यमान पदार्थों के सत्य स्वरूप का प्रकाश किया है। यह ग्रन्थ चौदह समुल्लासों में है। प्रथम दस समुल्लास ग्रन्थ पूर्वाद्ध कहलाते हैं और बाद के चार समुल्लास […] Read more » Featured अर्थ-अनर्थ आचार्य आर्य-दस्यु आर्यावर्त्त व आर्य उपाध्याय काम गुरु तीर्थ देव-असुर-राक्षस-पिशाच देवपूजा न्यायकारी पुराण पुरुषार्थ प्रारब्ध से बड़ा पुरोहित प्रजा बन्ध मनुष्य मुक्ति मुक्ति के साधन यज्ञ राजा वर्णाश्रम शिक्षा शिष्टाचार शिष्य सकर्तृक संस्कार
चिंतन आत्मबंधन तोड़ें, मुक्ति का आनंद पाएं May 30, 2015 / May 30, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- हम सभी लोग स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता का सुकून देने के लिए पैदा हुए हैं। लेकिन हममें से अधिकांश लोग इस सत्य को कभी नहीं स्वीकार पाते कि हम स्वतंत्र हैं और स्वतंत्रता का आनंद पाना हमारे ही बस में है। ईश्वर की बनाई हुई सृष्टि का प्रत्येक तत्त्व और इकाई अपने […] Read more » Featured आत्मबंधन तोड़ें मुक्ति का आनंद पाएं मुक्ति
कविता मुक्ति May 21, 2015 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- वो ज़िन्दा ही कब थी, जो आज मर गई, सांसों का सिलसिला था, बस, जो चल रहा था। आज वो मरी नहीं है, मुक्त हो गई। घाव जितने थे उसके तन पे, कई गुना होंगे मन पे, मन के घावों का कोई, हिसाब कैसे रखे। वो झेलती रही, बयालिस साल तक पीड़ा, मुक्ति […] Read more » Featured कविता मुक्ति
धर्म-अध्यात्म मन ही बंधन, मन ही मुक्ति September 19, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on मन ही बंधन, मन ही मुक्ति -हृदयनारायण दीक्षित आनंद सबकी इच्छा है। सुख, स्वस्ति और आनंद का प्रत्यक्ष क्षेत्र यही प्रकृति है। यहां शब्द हैं, रूप, रस, गंध और स्पर्श आनंद के उपकरण हैं लेकिन आनंद की अनुभूति का केंद्र भीतर है। भौतिकवादी भाषा में कहें तो सारा मजा’मन’ का है लेकिन मन है कि भागा-भागा फिरता है। मन की ताकत […] Read more » Freedom मुक्ति