शिक्षक दिवस


गुरु बिन न ज्ञान मिले,
गुरु बिन न दिशा निर्देश।
गुरु ही सर्वोपरि है,गुरु ही
ब्रह्मा विष्णु और महेश।।

गुरु के कारण ही पड़ा है,
हमारे नगर का नाम गुरुग्राम,
अपने गुरु द्रोणाचार्य जी को,
हम सब करते है प्रणाम।।

जननी पहली शिक्षक है,
उसका करो तुम सम्मान।
उसके आशीर्वाद बिन न मिले
अन्य गुरुओं का तुम्हे ज्ञान।।

मां एक ऐसी शिक्षक है
जो संकेतो से देती है ज्ञान।
मां ही मातृ भाषा सिखाए,
वह है सब गुणों की खान।।

गुरुओं ने गुरुकुल है बनाए,
जो आज भी है विद्यमान।
इनके कारण ही बना है
भारत विश्व का है विद्वान।।

गुरु किसी का बुरा न करे,
करते है वे सबका कल्याण।
बिना लोभ लालच के गुरु ही
सबको देते है वे अपना ज्ञान।

गुरु परम्परा के कारण ही,
एक स्वप्न हुआ है साकार।
अयोध्या में राम मंदिर बनेगा
राम की माया है अपरंपार।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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