दूर संचार …………….के लम्बे के तार,सुख राम पहुंचे राजा के पास …तिहार.

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एल. आर. गाँधी.

इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि १५ साल बाद ‘दो बिल्लिया’ एक साथ ‘थैले ‘ से बाहर आई हैं. १९९६ में एक ने क्रिकेट में देश को शर्मसार किया तो दूसरे ने राजनीति में लूट का नया मील पत्थर स्थापित किया . खेल के मैदान पर जब सारा देश शर्मसार हो रहा था तो काम्बली के आंसू ‘ मैच फिक्सिंग ‘का दर्द बयाँ साफ़ साफ़ कर रहे थे. अज़हरुदीन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे ..लम्बी जांच चली , चोर चोर मौसेरे भाई के खेल के बाद नतीजा वही ढाक के तीन पात. अजहर ने उल्टा पांसा फेका की उसे ‘अल्पसंख्यक’ यानि के मुसलमान होने के कारण फसाया गया . वैसे ही जैसे पंडित जी कह रहे हैं की उनके खिलाफ यह राजनैतिक साजिश है. पंडित सुख राम जी को ३-३ केसों में सजा हो चुकी है .. करोडो रूपए उनसे बरामद हुए और करोड़ों की नामी- बेनामी सम्पति भी उनके नाम है. अजहर मिया ने यदि फिक्सिंग नहीं की तो उन्हें और तीन साथियों को खेल से अलविदा क्यों कर दिया गया.

महाकवि तुलसी दास जी ने १५ वी शताब्दी में ही साफ़ साफ़ कह दिया था … सामर्थ को नहीं दोष गोसांई ! सुख राम जी कांग्रेस के शक्ति शाली मंत्री और हिमाचल के ‘विकास पुरुष’ पंडित जी थे और अज़हर मियां क्रिकेट का खेल खेल कर अब सेकुलर राजनीति के खेल में मशगूल हैं. कांग्रेस के आलावा उनके लिए और योग्य पार्टी भला हो ही नहीं सकती . अर्थात कांग्रेस के एम्.पी है. सजा अव्वल तो होती नहीं जैसे अजहर मिया …होती है तो बार बार बेल पर छूट जाते है जैसे सुख राम जी. सब माया की माया है. फिलहाल तो देश के दूर संचार को तार तार करने वाले एक वर्तमान .. राजा और एक भूत पूर्व सुख राम .. तिहार में बगलगीर हो गए हैं. मोह माया के चक्कर में सुख राम जी ८४ के हो गए …उम्र तो है, मोह माया त्याग , संन्यास आश्रम में परवेश कर साधू संतों की संगत में राम नाम रटने की .. मगर पहुँच गए तीहार जेल के चोर उच्च्क्कों में. ‘कलमाड़ी और राजा’ के पास तिहार में …खूब गुज़ारे गी.. जब मिल बैठेंगे नए पुराने चोर…

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अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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