कुवानो नदी और अमहट पुल की व्यथा


डा. राधेश्याम द्विवेदी
कुवानो नदी का दर्द : – कुवानों का उद्गम कोई पहाड़ ना होकर कुंवा है। इसे कूपवाहिनी भी कहते हैं। यह बहराइच जिले के पूर्वी निचले भाग से प्रारम्भ होकर गोण्डा के बीचोबीच होकर रसूलपुर में बस्ती मण्डल को स्पर्श करती है। यह बस्ती पूर्व, बस्ती पश्चिम, नगर पश्चिम, नगर पूर्व, महुली पूर्व तथा महुली पश्चिम परगनों को पृथक भी करती है। गोरखपुर में यह घाघरा में विलीन होर स्वयं को समाप्त कर लेती है। कुवानों नदी से दूर दराज के इलाकों में नाव द्वारा सामान की ढ़ुलाई भी पहले होती थी। रवई, मनवर तथा कठनइया आदि इसकी अनेक सहायक नदियां हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के मूल निवासी कवि, पत्रकार तथा दिनमान पत्रिका के भूतपूर्व संपादक स्व. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने अपने गांव के निकट बहने वाली ‘कुआनो नदी का दर्द’विषय पर कविताओं का एक सिरीज लिखकर उसे जीवंत बना दिया है। आश्चर्य की बात है कि हजारों वर्षों से कल कल करके बहने वाली इस क्षेत्र की बड़ी व छोटी नदियां का अस्तित्व एकाएक समाप्त होने लगा है। पर्यावरणवेत्ता इसके अनेक कारण बतलाते है। जलवायु में परिवर्तन, मानवीय हस्तक्षेप, नदियों के पानी को बांध बनाकर रोकना, बनों का अंधाधुंध कटाई, गलेसियरों का सिकुड़ना आदि कुछ एसे भौगोलिक कारण है जिस पर यदि तत्काल ध्यान ना दिया गया तो यह नदी भी इतिहास की वस्तु हो जाएगी। नदियों में वैसे जल कम आ रहा है। इनमें मानवीय हस्तक्षेप को तो जन जागरूकता तथा सरकारी प्रयास के कम किया जा सकता है। आज सबसे ज्यादा मानवीय प्रदूषण इसके विलुप्त होने का कारण बना हुआ है। इसमें डाले जा रहे गन्दे व प्रदूषित पानी न केवल इसके अस्तित्व को अपितु इससे सदियों से पल रहे जीव जन्तुओं व वनस्पतियों के लिए भी खतरा बन रहे हैं। नदी के तटो पर भूमिगत श्रोतों का दोहन होने से भी इसके लिए पानी जमाकर साल भर अनवरत बहने में कठिनाई आती है। यह इस क्षेत्र के निवासियों के लिए भी शुभ संकेत नहीं है। महान कवि सर्वेश्वर दयाल कुछ पंक्तियां याद आ रही है –
कुआनो नदी सँकरी, नीली, शांत
जाने कब होगी अक्षितिज, लाल, उद्याम।
बहुत गरीब है यह धरती जहाँ यह बहती है।
इस नदी के किनारे कोई मेला नहीं लगता।
न ही पूर्णिमा-स्नान होते हैं।
एक मंदिर है जो बहुत कम खुलता है।
जिसकी सीढ़ियाँ अहदियों के बैठने के काम आती हैं।
मैं अकसर वहाँ बैठा रहता हूँ ।
और दालान के कोने में टूटा, जाला लगा चमड़े का
एक बहुत पुराना बड़ा ढोल टँगा देखता रहता हूँ।
सेतु या पुलों के निर्माण की प्रक्रिया –सेतु या पुल एक प्रकार का ढाँचा होता है जो नदी, पहाड़, घाटी अथवा मानव निर्मित किसी बस्तु ,वाहन या पैदल व्यक्ति को उस नदी पहाड़ या घाटी को सुगमतापूर्वक पार करने के लिये बनाया जाता है। ज्ञात इतिहास के अनुसार पहली और दूसरी सदी में रोमनकाल की वास्तुकला में पुलों का निर्माण भी शामिल था। उस जमाने में अधिकांश पुल खाइयों के ऊपर लकड़ी से बनाए जाते थे। 12वीं सदी में ऐसे पुल बनाए जाने लगे जिनमें साथ में घर भी होते थे। ऐसा ही एक पुल 1176 में लंदन में बनाया गया था जो पत्थरों से निर्मित था। 1779 से पुलों में लोहे और इस्पात का भी इस्तेमाल किया जाने लगा। इस समय तक पुल छोटे होते थे, लेकिन समय के साथ समुद्रों के ऊपर भी पुल बनाने की जरूरत महसूस होने लगी। समुद्र के ऊपर बनाए गए शुरुआती पुलों में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को और मैरिन काउंटी को जोड़ने वाले गोल्डन गैट पुल का नाम लिया जा सकता है जिसका निर्माण वर्ष 1937 में पूरा हुआ था। 2.7 किलोमीटर लंबा यह पुल सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के ऊपर बनाया गया है। ओरेसंड जलडमरूमध्य के ऊपर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन और स्वीडन के शहर मैल्मो को जोड़ने वाला 7.8 किलोमीटर लंबा पुल बनाया गया। विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल हाल ही में चीन में निर्मित किया गया हैं – गझोऊ ब्रिज है। गझोऊ खाड़ी के ऊपर निर्मित किया गया यह पुल 35.67 किलोमीटर लंबा है और शंघाई व निंगबो शहरों को आपस में जोड़ता है। उत्तर प्रदेश में प्रमुख पुल कानपुर में गंगा, नैनी इलाहाबाद, यमुना ब्रिज इलाहाबाद, शाही व्रिज जौनपुर तथा भांति , कानपुर आदि है। सामान्यतः पुलों या सेतु के 6 प्रकार के होते हैं 1.चाप सेतु , 2. धरन सेतु 3. भुजोत्तोलक सेतु , 4. झूला पुल 5. केबल-तनित सेतु और 6.ट्रांस सेतु आदि।
अमहट पुल बीम सेतु प्रकार का पुल – बीम सेतु एक प्रकार के क्षैतिज बीम से बने सेतु होते है जो किनारों से अबटमेंट्स (एक स्पान को जोड़ने वाली वास्तु) द्वारा जुड़े होते हैं। अगर किसी सेतु बीम के अंदर एक से अधिक स्पान होते है तो उन्हे हम पियर्स के द्वरा जोड़ते हैं। सेतु बीम मुख्यतः लकड़ी या फिर लोहे के बने होते हैं। प्रत्येक बीम में एक या एक से अधिक स्पान होते हैं। इन सेतुओं मे स्पान की लंबाई बहुत मायने रखती है अगर स्पान की लंबाई अधिक है तो उसकी मजबूती कम होगी। अक्सर इसकी लंबाई 250 मीटर से अधिक नही रखी जाती। विश्व का सबसे लंबा बीम सेतु संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी लुइसियाना झील में पोंतचरटरायण सेतु है। इस सेतु की पूरी लंबाई 38.35 किमी. है और इसके अंदर प्रयुक्त हर स्पान की लंबाई 56 फीट है।
अमहट पुल की व्यथा- अमहट पुल शहर के बाहरी इलाके में बस्ती फैजाबाद मार्ग पर स्थित है। यह पुल ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। यह पुल सौ साल पहले का है। इसका निर्माण अंग्रेज अफसर एम ए हाट ने कराया था इसलिए उसके नाम पर इसका नाम अमहट पुल पड़ गया। यहां से अयोध्या 58 किमी, फैजाबाद 62 किमी, लखनऊ 190 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। इसके अलावा यह देश के अन्य स्थानों से भी बस्ती को जोडता रहा है। नेशनल हाइवे 28 विहार के बरौनी से उत्तर प्रदेश के लखनऊ गोरखपुर को जोड़ता है। यह बेगुसराय, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर पर्वी चम्पारन, और गोपालपुर आदि को जोड़ता है। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, देवरिया, संतकबीरनगर, बस्ती फैजाबाद व बाराबंकी आदि को भी जोड़ता है। विहार में यह 259 किमी. तथा उत्तर प्रदेश में 311 किमी.को कबर करता हुआ कुल 570 किमी की दूरी कबर करता है। पुल के नीचे कुबानों नदी पर बगल में एक शिव मंदिर तथा एक दुर्गा मंदिर भी बना हुआ है। यह एक जगह एक अच्छी जगह पर स्थित है। शहर के अनेक लोग यहां भ्रमण के लिए आते रहतेे हंै। लोग सुबह शाम व्यायाम भ्रमण और विश्राम के लिए इस स्थल का प्रयोग करते हैं। यहां अनेक अवसरों पर पूजा तथा मूर्तियों का विसर्जन भी पारम्परिक रुप में होता रहता है। इस जगह का कोई खास रखरखाव भी नहीं देखा गया है।
आर्महट अंग्रेज के नाम से जुड़ा :- अमहट पुल को लोग किसी आर्महट नामक अंग्रेज इंजीनियर या प्रशासक के नाम से जोड़ते हैं। काफी खोजबीन करने के उपरान्त इस व्यक्तित्व की कोई जानकारी नहीं प्राप्त नहीं होती है। अध्येता तथा खोजी विद्वान इस बाबत कुछ काम कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के रमाबाई नगर के सिकंदरा विधानसभा में पड़ने वाले बीहड़ क्षेत्र में यमुना नदी के तट पर आम्रहट नामक एक गाँव बसा है यहाँ पर एक पंप केनाल योजना है जिसके प्रथम चरण का उद्घाटन मा.राजीवगांधी जी ने 1989 में चैधरी नरेन्द्र सिंह जी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में किया और द्वितीय चरण का शिलान्यास भी किया था। यहां इस नाम का एक पुराना किला भी बना है। इसकी हालत बहुत दयनीय है। इस पर गाव के निवासियों ने आधिपत्य कर रखा है। गोहाना आम्रहट नामक एक थाना भी रमाबाई नगर में मिलता है। यहां डेरा आम्रहट नामक स्थान भी पाया जाता है। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में आम्रहट नामक एक क्षेत्र अवस्थित है। इससे प्रतीत होता है कि आम्रहट नामक कोई व्यक्तित्व अवश्य ही रहा होगा। इसके प्रभाव से उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों का नाम मिलता है।
अमहट पुल से भारी वाहन ले जाना वर्जित था :- बस्ती कोतवाली थाना क्षेत्र में कुआनो नदी पर बने इस पुल को वर्ष 2012 में निष्प्रयोज्य घोषित किया जा चुका है। यहां पुलिस की मिलीभगत से अक्सर लोडेड ट्रकों की आवा जाही होती रहती थी। नतीजन 17 फरवरी को यह विशाल हादसा हो गया। दो ट्रकों , एक में बालू तो दूसरे में गिट्टी लदा था। दोनों बस्ती शहर की ओर आ रहे थे। ओवरलोड ट्रक के गुजरने के कारण अमहट पुल ढह गया। बालू लदा ट्रक तो जैसे-तैसे पुल पार कर गया, मगर गिट्टी लदा ट्रक जैसे ही पुल पर पहुंचा, पुल का एक हिस्सा भरभरा कर ढह गया। इस हादसे में ट्रक, के साथ उसके पीछे भूसा लेकर आ रहा रिक्शा और एक व्यक्ति नदी में जा गिरे। लोगों के प्रयास से ट्रक में फंसे चालक रामप्रसाद पुत्र लल्लू प्रसाद निवासी मनिकरपुर थाना कप्तानगंज जिला बस्ती और खलासी सुधीर यादव पुत्र कोमल यादव निवासी लौलिहा थाना धनघटा जिला संतकबीरनगर, एक अन्य व्यक्ति महरीपुर थाना नगर जनपद बस्ती निवासी चंद्रशेखर ¨सह के साथ रिक्शा चालक को बाहर निकाला गया। पुलिस की मदद से ट्रक चालक, खलासी और राहगीर को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। रिक्शा चालक को मामूली चोट आई थी, ऐसे में वह बिना किसी की मदद लिए चला गया। लोगों को पुल की तरफ जाने से रोकने के लिए पुलिस ने आनन फानन में नदी किनारे लगे एक पेड़ को काटकर पुल के दूसरे साइड में रख दिया, वहीं शहर वाले साइड में पुल पर छोटी सी दीवार खड़ी कर दी गई है।
दर्जनों गांवों का संपर्क टूटा :– अमहट पुल कुआनों नदी उस पास के दर्जनों गांवों को जनपद और मंडल मुख्यालय को जोड़े रखा था। फोरलेन बनने के बाद पुल पर भीड़ कम हो गई थी लेकिन साइकिल,पैदल, दोपहिया और हल्के वाहन इसी रास्ते आते जाते थे। फोरलेन पर आए दिए हादसे के चलते अक्सर लोग इसी रास्ते का इस्तेमाल करते थे। अब बस्ती शहर मे आने के लिए लोगों को पांच से छह किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी। पुल के जर्जर होने के कारण उसके दोनो तरफ बैरियर लगाए गए थे, जिन्हे कुछ ही दिन बाद उखाड़ दिया गया। प्रशासन से पुल की मरम्मत के लिए कई बार लिखित अनुरोध किया गया। लेकिन मरम्मत के नाम पर पुल के दोनों ओर झाली लगा दी गई। अगई भगाड़,कुसरौत, कुसमौर, भूअर सराय, बक्सर,चंदो आदि दो दर्जन ग्राम पंचायतों के लोगों को शहर में आने के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी। कलवारी व नगर बाजार क्षेत्र के सब्जी विक्रेताओं व किसानों को पुल टूटने से सबसे अधिक दिक्कत होगी। स्कूली बच्चों को भी शहर में स्थित अपने विद्यालयों में पहुंचे के लिए कम से कम पांच से छह किलोमीटर दूरी अधिक तय करना होगा।
प्रशासन की लापरवाही :- जर्जर अमहट पुल पर भारी वाहनों के प्रवेश निषेध से संबधित बोर्ड लगा होने के बाद भी भारी वाहनों की आवाजाही बेरोक टोक चलती रही। इतना ही नहीं पुल के दोनो तरफ लगे बैरियर उखाड़कर फेंक दिए गए फिर भी प्रशासन सोता रहा। टैक्सी गाड़ियां इसी रास्ते सरपट दौड़ते रहे। इतना ही नहीं पुलिस की नजर से बचने को मिट्टी और बालू खनन में लगी ट्रैक्टर ट्रालियां एवं ट्रक भी मनाही के बाद इसी पुल से होकर गुजर रही थीं। यदि बैरियर लगा होता तो भारी वाहन इस पुल के रास्ते प्रवेश नहीं कर पाते और हादसे से बचा जा सकता था। अमहट पुल ढहने के मामले में देर रात पीडब्लूडी के सहायक अभियंता विद्यासागर सिंह की तहरीर पर चार लोगों के विरुद्ध कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कोतवाल कपिलमुनि सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया ठेकेदार सुड्डू सिंह, ट्रक मालिक नाम पता अज्ञात, चालक रामप्रसाद, खलासी सुधीर यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर छानबीन की जा रही है। इसमें चालक, दिव्यांग शिक्षक को हल्की चोटें आईं जबकि ठेला चालक सुरक्षित बाहर आ गया। मार्निंग वॉक पर निकले लोगों ने जान पर खेलकर डूब रहे लोगों को बचाया। पीडब्लूडी एक्सईएन ने प्रतिबंध के बावजूद पुल के ऊपर से ओवरलोड ट्रक ले जाने वाले ठेकेदार के विरुद्ध कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। उधर से आने-जाने वाला ट्रैफिक फोरलेन हाईवे पर बने पुल से होकर निकाला जा रही है।ट्रक समेत चालक राम प्रसाद निवासी कप्तानगंज नदी में गिर गए। उसी समय ठेले पर भूसा लादकर शहर आ रहे रमवापुर थाना नगर निवासी राम धीरज और बिहार दिव्यांग विद्यालय में शिक्षक सरदार भगत सिंह निवासी महरीपुर थाना नगर भी पुल के मलवे समेत नदी में गिर गए। सुबह होने की वजह से बड़ी तादाद में शहर के लोग मार्निंग वाक पर निकले थे। पुल के साथ ट्रक आदि गिरते देख तमाम लोग दौड़े, जिनमें तैैरने वाले कुछ युवक नदी में कूद पड़े। कड़ी मेहनत के बाद उन लोगों ने तीनों को सुरक्षित निकाला। ट्रक के नदी में गिरने के दौरान चालक और क्लीनर को घायलावस्था में सुरक्षित नदी से निकलने में कामयाबी हासिल कर ली। इस घटना में घायल दोनो को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। शहर के लोगों का कहना है कि इस घटना के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। क्योंकि वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने में कभी सख्ती नहीं दिखाई। यदि प्रशासन ने सख्ती दिखाई होती तो यह हादसा नही होता। मौके पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेंस से दोनों घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया जहां प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। पुल ढहने की जानकारी आग की तरह फैल गई। खबर मिलते ही डीएम प्रभु एन सिंह और एसपी शैलेश कुमार पांडेय मौके पहुंच गए।
शीघ्र निर्माण की मांग :– बस्ती हिन्दू युवा वाहिनी के जिलाध्यक्ष अजय अज्जू हिन्दुस्थानी ने अमहट पुल के शीध्र नव निर्माण की मांग किया है। कहा है कि यदि समय रहते त्योहारों से पूर्व पुल का निर्माण नही शुरू कराया गया तो नेशनल हाईवे पर हजारों कार्यकर्ताओं के साथ धरना देने को विवश होंग। मण्डलायुक्त को सौंप ज्ञापन में कहा गया है के अमहट घाट पर स्थित शिव मन्दिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र हैं। यहां छठ पूजा, कुआनों आरती जैसे कई बड़े आयोजन होते हैं जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्टा होते हैं। शिव मन्दिर पर लाखों कांवरिया जलाभिषेक करते हैं, शिवरात्रि पर जलाभिषेक का पौराणिक महत्व है। अमहट पर बना पुल बस्ती जनपद मुख्यायलय को सैकड़ों गावों से जोड़ता है। इन दिनों शिवमन्दिर के आसपास पार्क आदि के निर्माण हो रहे हें। पुल गत दिनों अचानक ढह गया। हिन्दू युवा वाहिनी ने इसमें जिला प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। हिन्दुस्थानी ने कहा कि सभी के सज्ञान में था कि पुल पहले से कमजोर है, बावजूद इसके पुल के ऊपर गिट्टी डालकर लेपन किया गया आर दोनो किनारों पर जालीदार बैरिेटिंग की गयी। इस बीच प्रशासन को पुल के कमजोर हेने का जरा भी ध्यान नही रहा। जिससे इसका वजन बढ़ गया। आखिरकार पुल ढह गया। हिन्दू युवा वाहिनी त्योहारों और आयोजनों पर बार बार पुल के संदर्भ में सावधान करता आया है, पूर्व के जिलाधिकारी ए के दमेले के वास्तविक स्थिति से अवगत कराया गया था। हर बार सपा प्रशासन की ओर से इसकी अनदेखी की गयी। हिन्दू युवा वाहिनी ने पुल के नव निर्माण के लिये शीघ्र बजट का प्रस्ताव भेजकर पुल का निर्माण कराने की मांग किया है।

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