वकीलों और पुलिस के बीच झड़प – शनि मंगल का उत्पात

  ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

ये दिल्ली है साहेब, मामलों को तूल पकड़ते यहां देर नहीं लगती। 2 नवंबर 2019 का दिन कानून और पुलिस दोनों के इतिहास के पन्नों में काले अक्षरों में अंकित हो गया है। जब ऐसे मामले सामने आते हैं तो आज के समय में व्यक्ति की खत्म होती धैर्य शक्ति प्रत्यक्ष रुप से सामने आती है। सब एक से बढ़कर एक हैं, सब में अहंकार हैं कोई दूसरे से कम नहीं दिखना चाहता। 2 नवंबर 2019 को तीस हजारी अदालत में वकीलों और पुलिस के बीच हिंसा में दोनों पक्षों के दर्जनों लोग घायल हो गए। मामलें की तह में जाएं तो लगता ही नहीं कि दोनों विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे बड़ी कानूनी ईकाई के भाग हैं। दोनों की भूमिका देश में कानून व्यवस्था का पालन करना और नियमों के अनुसार चलना है। दोनों ही पक्ष पढ़े लिखे और अपने समाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों को समझने वाले जानने वाले है। फिर इतन बबाल क्यों कर हुआ। इसे आज की न्याय व्यवस्था और कानून व्यवस्था पर करारा थपड़ कहा जा सकता है। दोनों ही पक्ष समझदार होकर भी कानून की धज्जियां उड़ाते नजर आये। २ नवंबर 2019 को यह घटना घटित हुई और बिना देर किए 3 नवंबर 2019 को न्यायिक समिति का गठन भी दिल्ली उच्च न्यायालय ने कर दिया।  

इस हिंसक घटना को गंभीरता से लिए जाने की जरुरत हैं,  क्योंकि जिस देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था नियंत्रण में न हो उस देश को बर्बादी की राह पर जाने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे मामलों एक देश और विदेश दोनों में हमारे देश की छवि धूमिल होती है। दोषी जो भी उन्हें जवाबदेह्ह ठहराया जाना चाहिए और पर्याप्त रूप से दंडित किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों को हलके में लेने का अर्थ होगा, ऐसे मामलों को बढ़ावा देना होगा। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में किसी भी परिस्थिति में इसे कभी भी मंजूरी नहीं दी जा सकती है! लेकिन सबसे ज्यादा शर्म की बात यह है कि हमारे देश में ज्यादातर ऐसा होता है। मामूली उकसावे पर पुलिस को किसी को पीटने का कोई अधिकार नहीं है और वे भी वकीलों की तरह कानून से बंधे हैं! लेकिन जो हम जमीन पर देखते हैं वह सिर्फ उल्टा है। वकील हों या पुलिस गलती जिसकी भी दोनों को अपने पद और अपनी स्थिति का मान रखना चाहिए।  अपने अधिकार सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। 

भारत में पुलिस विभाग के कारनामे किसी से छुपे नहीं है और वकीलों की कमियां भी समय समय पर सामने आती ही रहती है। २ नवम्बर 2019 को जो कुछ भी हुआ उसकी कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए। 

आज हमारा विषय इस घट्ना पर शोक जताना, निंदा करना या दुख दिखाना नहीं है, बल्कि हम सभी इस समाज का हिस्सा हैं और यदि समाज में कोई कानून प्रक्रिया का मजाक इस तरह से बनाता हैं तो हम सभी का सचेत रहना आवश्यक है। आज हम इस घट्ना का ज्योतिषीय विश्लेषण करेंगे कि ऐसी घट्ना क्यों घटित हुई, और किन ग्रहों ने इस घटना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई-

आईये जानते हैं – 

2 नवम्बर 2019, समय लगभग 03:00 सायं, दिल्ली

इस विवरण के साथ बनाई गई कुंड्ली कुम्भ लग्न और धनु राशि की है। लग्नेश शनि, षष्ठेश चंद्र और केतु के साथ एकादश भाव में स्थित है। षष्ठ भाव कोर्ट, कचहरी और वकालत का भाव है। लग्नेश शनि स्वयं कानून और न्यायकर्ता है। छ्ठे भाव के स्वामी और लग्न भाव के स्वामी का एक साथ होना, विवाद में अहम भाव को मुख्य बता रहा है। केतु का इनके साथ होना, मामूली बात को तूल देना और कटाक्ष पूर्ण वाणी के कारण मामले के भटकने के योग बना रहा है। यहां गुरु एकादशेश है और अपने भाव से द्वादश अर्थात दशम भाव में स्थित हैं अर्थात विवेक  की कमी यहां गुरु दर्शा रहे हैं। अब दोनों पक्षों की बुद्धि पर भी बात कर ली जाए, बुद्धि के लिए बुध ग्रह का विचार किया जाता है। कुंडली में बुध 3 अंश और शुक्र 6 अंश के हैं दोनों अंशों में निकटतक और कम अंशों के साथ होने के कारण कमजोर हैं। बुध, शुक्र के साथ गुरु स्थित हैं गुरु अपने राशिअंत में 29 अंशों के साथ होने के कारण वे भी अत्यंत कमजोर है। अर्थात अपने शुभ फल देने में असमर्थ है।   

इस ज्योतिषीय विवेचन से यह तो पता लगता है कि यह घट्ना विवेक, बुद्धि की कमी और अहंकार की अधिकता के कारण हुई।

यहां यह बता देना सही होगा कि ज्योतिष में मंगल ग्रह पुलिस विभाग का कारक ग्रह हैं और शनि कानून अर्थात वकीलों का। दोनों इस समय गोचर में एक दूसरे पर अपनी दृष्टि बनाए हुए हैं, शनि अपनी दशम दॄष्टि से मंगल को देख रहे हैं और मंगल भी अपने चतुर्थ दृष्टि से शनि पर अपना पाप प्रभाव डाल रहे हैं। जब भी गोचर में शनि मंगल को देखता है और मंगल भी शनि को देखता है तो बडे बड़े विवाद होते हैं। दोनों का यह दृष्टि प्रभाव 10 नवम्बर 2019 तक रहने वाला है। अत: तब तक स्थिति को नियंत्रण में रखने की आवश्यकता है। वरना मामला बढ़ सकता है। 

जय हो शनि देव शांति बनाए रखें  

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