वर्तमान साम्प्रदायिक और उन्मादी माहौल ने भेजा ‘विकृत’ कर डाला

-श्रीराम तिवारी-
asharam

१४ मई को जोधपुर कोर्ट में यौन उत्पीड़न के आरोपी -संत श्री [?] आसाराम की पेशी हुई। उसी दिन दोपहर को देश के अधिकांश चैनलों पर एग्जिट पोल की धूम मची हुई थी। सभी चैनल्स के अपने-अपने अलग–अलग आंकड़े थे। किन्तु भाजपा और एनडीए को बहुमत मिलने या जीतने में किसी भी चैनल को संदेह नहीं था। भाजपा की जीत की खबर पाकर सिर्फ देश के दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक उन्मादी ही नहीं बल्कि ऐय्यास आसाराम जैसे जेल में बंद कैदी, विवादास्पद योग गुरु स्वामी रामदेव भी बड़े मदमस्त हो रहे थे, जिन्होंने न केवल दलितों का बल्कि कभी अपने गुरु का भी मजाक उड़ाया था। इनके अलावा देश भर की जेलों में बंद बहुत सारे हत्यारे-बलात्कारी और उपद्रवी भी बहुत खुश हो रहे थे कि अब उन सभी के “अच्छे दिन आने वाले हैं” जब किसी पत्रकार ने जोधपुर कोर्ट में आसाराम से पूछा कि इस जीत से आप क्या उम्मीद करते हैं तो उनकी प्रतिक्रिया थी “दो दिन और ठहरो अब सब ठीक हो जाएगा” यानि उनका भी यही मंतव्य था कि १६ मई के बाद उनके भी “अच्छी दिन आने वाले हैं।”

आज २४ मई २०१४ को नई दुनिया के पेज- १८ [अंतिम पेज पर संछिप्त में छापने के निहतार्थ?] एक दुखद और भयावह खबर छपी है:- किशोरी के यौन शोषण मामले में जेल में बंद आसाराम के खिलाफ कई मामलों में गवाही देने वाले वैद्य अमृत प्रजापति को राजकोट में कल शुक्रवार को अज्ञात बाइक सवारों ने दिनदहाड़े गोली मार दी है। हमलावर फरार हैं। वैद्य जी गंभीर हालात में राजकोट के “वाक हार्ट’ अस्पताल में भर्ती हैं। हत्यारे वही हैं जो इन दिनों वेहद ‘फील गुड”में हैं! इसीलिये उनके अंदर का शैतान जाग चूका है! ये बदला, खून, हत्या, बलात्कार और मुनाफाखोरी जैसी पैशाचिकता की जद में आने वाले सभी इन दिनों कह रहे हैं की “अब अच्छे दिन आ गए हैं” “चलो काम पर लग जाएं।”

यह ज्ञातव्य है कि यही वैद्द्य जी कभी आसाराम के अहमदावाद स्थित ‘मोटेरा आश्रम’ में चिकत्सीय सेवायें दिया करते थे। आश्रम में चलने वालीं अवैध गतिविधियों, हवाला कारोबार और स्वयं आसाराम– नारायण साईं [पिता-पुत्र] की नई-नई रासलीलाओं का उन्होंने वहीं पर पहले तो डटकर विरोध किया, किन्तु जब आसाराम ने वैद्द्यजी से नित्य नई-नई कामोत्तेजक, मादक औषधियों की मांग की तो वे उनकी इस चारित्रिक कमजोरी से आजिज आकर विरोध पर उतर आये। लेकिन अन्तः आसाराम के कुटिल साम्राज्य की असीम दौलत और साम्प्रदायिक नेताओं से उसके सम्बन्ध ने अमृतु प्रजापति को वहाँ से भागने पर मजबूर कर दिया। जब आसाराम पर जोधपुर कोर्ट में नाबालिग किशोरी के यौन उत्पीड़न का मुकदद्मा चला तब प्रमुख गवाह यही वैद्द्यजी थे। अन्याय और व्यभिचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले- अमृत प्रजापति पर गुजरात की पुलिस ने ‘गुड गवर्नेंस’ वाली गुजरात सरकार ने पागल कुत्ते छोड़ दिए हैं। स्वामी रामदेव, सुब्रमण्यम स्वामी, श्रीश्री रविशंकर, अशोक सिंघल, प्रवीण तोगड़िया और ‘संघ परिवार’ तो सिद्धांतः आसाराम के समर्थक और प्रशंसक ही हैं। ये सब बहुत लाचार हैं कि घृणित अपराधियों– ऐय्यास स्वामियों- पाखंडी बाबाओं के खिलाफ कुछ बोल नहीं सकते! किन्तु देश की न्याय प्रिय क्रांतिकारी- चरित्रनिष्ठ– आवाम की क्या मजबूरी है कि इन हत्यारे- व्यभिचारियों के खिलाफ आवाज उठाने से डरती है? देश की प्रबुद्ध और सुसंस्कृत सुशिक्षित युवा पीढ़ी उस नकारात्मक विचारधारा के ख़िलाफ़ मौन क्यों है जो निकृष्ट, निर्लज्ज, असामाजिक अनैतिक और साम्प्रदायिक पाखंडी पैदा करती है।

इस जघन्य अपराध में वे भी कसूरवार हैं जो केवल शक्तिशाली शासक वर्ग के मात्र चारण-भाट हैं। अमृत प्रजापति पर हुए कायराना हमले की निंदा करने मात्र से पवित्र नहीं हो जाएगी गुजरात सरकार! कुछ तो कसूर उनका भी है जो अभी-अभी अपनी ‘कीर्ति पताका’ फहराकर’ विजयोन्माद’ में आकंठ डूबे हैं। आनंदी बेन जब २४ घंटे में ही विफल हो गई तो आगे अब ‘ईश्वर’ ही गुजरात का मालिक है! हालांकि देश के हालात भी गंभीर ही हैं। बस तसल्ली यही है कि “अब अच्छे दिन आने ही वाले हैं” लेकिन अच्छे दिन जब आयंगे तो सबको मालूम पड़ जाएगा, अभी तो न केवल गुजरात, न केवल मध्य प्रदेश, न केवल छग बल्कि राजस्तान में जितना भ्रष्टाचार, लूट और हत्या की घटनाएं बढ़ी हैं, उतनी और कहीं शायद ही हुई हों! हद तो ये हो गई कि भोपाल में परसों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की माताजी पर ही चोरों ने हमला कर दिया और उनकी ‘चैन’ झपट कर ले गए। हालांकि इस घटना को ‘दवाने’ की कोशिश की गई किन्तु अल-सुबह जिन्होंने ‘माताजी’ को न केवल लूटते हुए बल्कि सड़क पर कराहते हुए देखा वे कहां -कुछ छिपाने वाले हैं ? हालांकि इस आधुनिक दौर में कुछ तो इतने निर्लज्ज और चरित्रहीन हैं कि अमृत प्रजापति वैद्द्य पर हुए हमले को भी नकार देंगे। शिवराज सिंह की माताजी पर हुए ‘चेन-झपट’ हमले को भी नकार देंगे। शायद कुछ ‘अक्ल के ठेकेदारों’ को मेरे इस आलेख में किसी राजनीती की ‘बू’ ही आ जाएगी। क्योंकि कुछ लोगों का तो वर्तमान साम्प्रदायिक और उन्मादी माहौल ने भेजा पूरी तरह ‘विकृत’ कर डाला है। कुछ तो ऐसी टिप्पणी कर डालेंगे कि मानों आसाराम, नारायण साईं जैसे बलात्कारी उनके सगे–संबंधी हों! भोपाल में मुख्यमंत्री की माताजी की चेन लूटने वाले मेरे आलोचकों के दामाद हों! छग में निर्दोष जनता को गोलियों से भूनने वाले उनके बहनोई हों!

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