एफबीआई जांच मामले में हिलेरी को बड़ी राहत

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hillary-and-trumpप्रमोद भार्गव

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के एन पहले फेडरल ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) की आई जांच रिपोर्ट ने अमेरिकी राष्ट्रपति की डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को बड़ी राहत दी है। जांच की षुरूआत के समय यह आशंका जताई जा रही थी कि यह जांच 8 नबंवर तक पूरी नहीं हो पाएगी। दरअसल 2008 से 2013 के बीच कार्यालयीन कम्युनिकेशन के लिए निजी ईमेल सर्वर का उपयोग हिलेरी ने किया था। इस बाबत करीब 1000 ऐसे ईमेल्स का खुलासा हुआ था। जिन्होंने हिलेरी के चुनावी अभियान को जबरदस्त झटका दिया था। खुलासे ने हिलेरी की स्वच्छ छवि को बुरी तरह से प्रभावित किया था। इसके बाद आए सर्वेक्षर्णों में रिपब्लिक उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप हिलेरी के लगभग बराबर पहुंच गए थे। इन ईमेल्स को राष्ट्रिय सुरक्षा से खिलवाड़ और भ्रष्टाचार का आधार माना जा रहा था। लेकिन अब एफबीआई के निदेशक जेम्स कोमी ने सभी सांसदों को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि सभी 1000 ईमेल्स की जांच कर ली गई है। इनके आधार पर उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है। इस खुलासे के बाद हिलेरी का पलड़ा फिर भारी हो गया है और वहां के शेयर मार्केट में भी उछाल देखने में आया है।

ये ईमेल हिलेरी की सहायक हुमा आबेदीन और उनके पूर्व पति एंथनी वीनर ने भेजे थे। इन नए ईमेल की जानकारी मिलने के बाद हिलेरी का एक कंप्युटर भी जब्त किया गया था। इस कंप्युटर का प्रयोग हिलेरी, उनकी मुख्य सहायक हुमा और हुमा के पति एथंनी वीनर करते थे। इनमें से एक ईमेल में वीनर ने 15 साल की एक लड़की को अपनी अश्लील फोटो भेजी थी और बदले में उसकी वैसी ही फोटो मंगाई थी। इसी में हिलेरी और वीनर के बीच ईमेलों का बड़ी संख्या में अदान-प्रदान हुआ था। इनके खुलासे के बाद ट्रंप को बड़ी ताकत मिल गई थी और वे नए उत्साह का अनुभव कर रहे थे। अपनी प्रतिक्रिया में ट्रंप ने बताया था कि हिलेरी ने कांग्रेस से संदेश मिलने के बाद 33000 ईमेल डीलिट कर दिए थे, और 13 फोन हथौड़े से तोड़ दिए थे। उन्होंने एफबीआई के उपनिदेशक की पत्नी को 6.75 लाख डाॅलर रकम देने का आरोप भी हिलेरी पर लगाया था। इन खुलासों से यह भी सामने आया था कि हिलेरी के पति और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के खास आदमी ने क्लिंटन फाउंडेशन के दानदाताओं और बड़े निगमों से 6.6 करोड़ डाॅलर की रकम बिल और हिलेरी के निजी लाभ के लिए ली है। ट्रंप ने इसे वाटरगेट के बाद सबसे बड़ा राजनीतिक घोटाला करार दिया था। तब इस मामले की जांच को ट्रंप ने बताया था कि जांच सही दिशा में चल रही है।

इन खुलासों के बाद हिलेरी का ग्राफ गिरने लगा था। हिलेरी को सर्वेक्षर्णों में जो बढ़त मिल रही थी, वह घटने लगी थी। जबकि इसके पहले हिलेरी की जीत तय मानी जा रही थी। नए ईमेल्स के खुलासे के बाद फाॅक्स न्यूज द्वारा की गई रायसुमारी में हिलेरी को 45 और ट्रंप को 43 फीसदी मत मिलने की संभावना जताई थी। वहीं सीएनएन ने हिलेरी को 268 और ट्रंप को 204 इलेक्ट्रोरल वोट की संभावना जताई है। राष्ट्रपति बनने के लिए 270 इलेक्ट्रोरल वोट की जरूरत पड़ती है। राइटर और इप्सोस ने हिलेरी को 44 और ट्रंप को 39 प्रतिषत मतदाताओं का सर्मथन मिलने की बात कही थी। लेकिन हिलेरी को एफबीआई जांच में क्लीनचीट मिलने के बाद जिस तरह से शेयर मार्केट में उछाल आया है, उससे लगता है हिलेरी बाजी जीत लेंगी। हालांकि राष्ट्रपति चुनाव में पूर्वानुमान हार-जीत का स्पष्ट आंकलन नहीं कहे जा सकते है। क्योंकि यह सर्वे मतदाताओं के एक छोटे नमूने के आधार पर किए जाते हैं। मतदाता का मूड मतदान के ठीक पहले खुलासों और उनके नतीजों से प्रभावित होते हैं। इसीलिए मतदान के ठीक दो दिन पहले हिलेरी को मिली क्लीनचीट ने उनकी साख को एक बार फिर बहाल कर दिया है।

यह चुनाव बेहद रोमांचक चर्चाओं से भरा रहकर अब निर्णयक मोड़ पर पहुंच गया है। डोनाल्ड ट्रंप सर्वेक्षणों में ऊपर नीचे होते रहे है। उनकी ठेठ दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी सोच ने अल्पसंख्याकों को आशंकित किया है। वहीं नस्लीय भेद भी बढ़ने की शंका जताई गई है। दुनिया में बढ़ते इस्लामीकरण से अमेरिकी सुरक्षा पर खतरे के कारण ट्रंप ने यूएस में मुस्लिमों के प्रवेष पर रोक लगाने की बात कही है। ट्रंप वैश्वीकरण के भी खिलाफ है। वे स्पष्ट रूप से यूएस में श्वेत नागरिकों का पक्ष लेते हुए कहते है कि अमेरिका में केवल इन्हीं को नौकरी दी जाएगी। अमेरिका की विभाजित प्रेस का एक पक्ष ट्रंप को न केवल बुरा राजनेता कह रहा है। बल्कि उन्हें अभद्र व्यक्ति भी कह रहा है। ट्रंप महिलाओं के प्रति बरती गई अभद्रता को स्वीकारने में गर्व का अनुभव करते है। करीब 11 महिलाओं ने उन पर अश्लील आचरण बरतने का आरोप लगाया है। इनके जवाब में ट्रंप ने कहा है कि वे ऐसा कर ही नहीं सकते, क्योंकि ये महिलाएं उन्हें रिझाने के लिए पर्याप्त सुंदर नहीं हैं। ट्रंप को अमेरिकी नीतियों का सही जानकार भी नहीं माना जा रहा है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि उन्हें अब तक राजनीति और प्रशासन का अनुभव नहीं है। इसीलिए वे अमेरिकी समाज की विविधता की परवाह भी नहीं कर रहे हैं। ट्रंप की इसी मुखर वाचालता के चलते अमेरिका इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव का प्रचार घटिया स्तर पर पहुंचा है। राष्ट्रिय नीतियों में बदलते परिवेष में बदलाव की बात करने की बजाय यह चुनाव व्यक्तिगत टकराव और परस्पर छीछालेदर का कारक बना हुआ है। चरित्र और इज्जत की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

ट्रंप की तुलना में मीडिया की निगाह में हिलेरी को बेहतर इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि वे शालीनता की मर्यादा का उल्लघंन नहीं करती है। उनकी अध्ययन में रूचि है और वे तमाम मुद्दों की पर्याप्त जानकारी रखती हैं। उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वे अपनी व्यक्तिगत जानकारियों और सूचनाओं को गोपनीय बनाए रखने में असफल रही है। उनके पति बिल भी अनुशासनहीनता करते रहे हैं। हिलेरी न तो अभद्रता बरतती है और न ही अल्पसंख्यकों, अश्वेतों और महिलाओं के विरूद्ध अपशब्द बोलती है। उनका संतुलित रवैया और समावेषी सोच में अमेरिका के सभी अप्रवासी अपना हित देख रहे हैं। वे कहती भी है कि अमीरों पर कर बढ़ाए जाएंगे, जिससे मेहनतकश आम अमेरिकी परिवारों को कर के बोझ से राहत मिले। उनके आने पर अप्रवासियों के हितों के लिए नागरिकता प्रदान करने वाले कानूनों में भी ढिलाईं दी जा सकती है। उनके इस मानवीय पक्ष से अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलने वाले प्रवासी उत्साहित है। हिलेरी का जीवन राजनेता पति के साथ बीता है, इस नाते उन्हें वैश्विक पटल पर अमेरिका का नेतृत्व करने में भी कोई दिक्कत आने वाली नहीं है। हालांकि आतंकवाद से निपटने में उनका परंपरागत रवैया रहेगा।

इस सब के बावजूद राष्ट्रपति पद की इस दौड़ में भारतवंशीयों की अहम् भूमिका रहने वाली है। भारतीय मतदाता फ्लोरिडा, ओहियो और कोलोराडो जैसे बड़े व महत्वपूर्ण राज्यों में हवा बदलने की सामर्थ्य रखते है। इन राज्यों में भारतीय-अमेरिकन मतदाताओं का प्रतिषत 30 से 40 है, जो हिलेरी और ट्रंप दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। दरअसल ट्रंप पूरी तरह गैरराजनीतिक पृष्ठभूमि से है। इसलिए यदि वे राष्ट्रपति चुने जाते है, तो उनका नीतिगत व्यवहार भारतीय अल्पसंख्यकों के साथ कैसा रहेगा यह अभी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। जबकि हिलेरी से यथास्थिति बनाए रखने की उम्मीद है। हालांकि ट्रंप मोदी की जिस तरह से प्रशंसा कर रहे हैं और आतंकवाद के मोर्चे पर पाकिस्तान की खिलाफत कर रहे हैं, उसके चलते भारतीय समुदाय उनसे प्रभावित दिखता है। लेकिन वहीं उनकी नस्लवादी टिप्पणियां भारतीयों को सशंकित भी कर रही हैं। इसलिए ऐसा लगता है मतदान के वक्त भारतीय समुदाय का रूझान हिलेरी की तरफ हो जाएगा। ऐसी ही वजह हैं कि एफबीआई की क्लीनचिट मिलने के बाद हिलेरी ट्रंप पर एक बार फिर से भारी पड़ती दिख रही हैं। बावजूद ट्रंप की चुनौती अपनी जगह कायम है।

 

 

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  1. एफ बी आई का लोहा मानना पड़ेगा, इतने सारे ईमेल को इतनी जल्दी खंगाल कर हिलेरी को क्लीन चिट दे दिया.

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