भारतीय चर्च सेंट थॉमस का एक दशकीय उत्सव मनाने से पहले दलित ईसाइयों से किए गए अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगे !

आज चर्च भारतीय ईसाई दिवस (येशु भक्ति दिवस) मना रहा है। 3 जुलाई भारत के ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन रहा है। यह सेंट थॉमस द एपोस्टल का पर्व है। भारतीय चर्च ने ईसा मसीह की 2000 वीं वर्षगांठ के सम्मान में एक दशक के उत्सव (2021-2030) काे मनाने का ऐलान किया है। ईसा मसीह के बारह प्रेरितों में से एक, सेंट थॉमस, 52 ईस्वी में मालावार और पूर्वी समुद्र तट के क्षेत्राें में आए। ईसा मसीह का प्रचार करते हुए बहुत लाेगाें काे  बपतिस्मा दिया। सेंट थॉमस 72 ईस्वी में चेन्नई के पास शहीद हुए थे,  3 जुलाई उनकी शहादत की याद दिलाता है।
यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नही होगी कि सेंट थॉमस के कारण ही ईसाइयत काे भारत में आगे बढ़ने के अवसर मिले। आज भारत में ईसा मसीह के अनुयायियों की संख्या कराेड़ाें में है। देश के दबे – कुचले वंचित वर्गों के करोड़ों लाेगाें ने ईसाइयत की शरण ली है। अपने आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक दुखों से छुटकारे की आशा में ईसाइयत की शरण में आए लाेगाें का भारतीय चर्च ने जमकर शोषण किया है। वह दुख और वेदना से कराह रहे हैं लेकिन उनकी काेई सुनवाई नहीं है।
भारतीय ईसाइयों की कुल जनसंख्या का 70 प्रतिशत से ज्यादा यह दबे – कुचले वंचित वर्गों के लोग ( ईसाइयत काे अपने खून – पसीने से सींचने वाले ) हाथ बांधकर चर्चों के पदाधिकारियों के सामने अपने अधिकारों के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि चर्चों के पदाधिकारी इससे अनजान हैं, कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस और प्रोटेस्टेंट चर्च यह मानते हैं कि चर्चों के कामकाज के तरीकाे से दलित ईसाई शोषित हो रहे हैं। इसके बावजूद वह उन्हें चर्च संसाधनों में हिस्सेदारी देने काे तैयार नहीं हैं।
ईसा मसीह की 2000 वीं वर्षगांठ मनाने से लेकर पिछले दो दशको में या आज तक चर्च  ने दलित ईसाइयों के लिए काेई ऐसा काम नहीं किया जिसे उसकी ईमानदार उपलब्धि माना जाए। जून 2021 में दक्षिण भारतीय ईसाइयों ने मद्रास उच्च न्यायालय में चर्च के भीतर जाति आधारित भेदभाव का आरोप लगाने वाली एक याचिका दायर की है। इस संबंध में न्यायालय ने कैथोलिक बिशपों को नोटिस जारी किया।

अब समय आ गया है कि भारतीय चर्च सेंट थॉमस का एक दशकीय उत्सव मनाने से पहले दलित ईसाइयों से किए गए अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगे और प्रायश्चित कर उन्हें चर्च संस्थानों में हिस्सेदारी उपलब्ध कराएं।

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