पाकिस्तान के इतिहास में सलमान तासीर का नाम अमर रहेगा। सलमान की हत्या 4 जनवरी 2011 को हुई। उस समय वे पाकिस्तानी पंजाब के गवर्नर थे। उनकी हत्या उनके अपने अंगरक्षक मुमताज़ कादिरी ने की थी। बिल्कुल वैसे ही जैसे कि इंदिरा गांधी की हत्या उनके अंगरक्षकों ने की थी। कादिरी का मामला पिछले पांच साल से पाकिस्तानी अदालतों में चलता रहा। उसे अब फांसी पर लटकाया गया है।
पाकिस्तान की न्यायपालिका और सरकार की बड़ी हिम्मत है कि उन्होंने सलमान तासीर के हत्यारे को सजा-ए-मौत दी। सलमान को आखिर कादिरी ने मारा क्यों था? इसलिए कि उन्होंने पाकिस्तान के ईश-निंदा या धर्म-द्रोह कानून को बदलने की मांग की थी। पंजाब के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने यह मांग की थी। क्यों की थी? इसलिए कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाएं पाकिस्तान में आए दिन होने लगीं थी कि कुछ लोगों पर धर्म-द्रोह का आरोप लगाकर उन्हें कठोरतम सजा दे दी जाती थी।
ये आरोप सिर्फ हिंदुओं और ईसाइयों पर नहीं,मुसलमानों पर भी थोप दिए जाते थे। ऐसा ही एक आरोप आसिया बीबी नामक ईसाई महिला पर थोपा गया और उसे मौत की सजा सुना दी गई। सलमान तासीर ने समा नामक टीवी चैनल पर भेंट-वार्ता देते हुए इस सजा का विरोध किया, धर्म-द्रोह कानून को बदलने की बात कही और आसिया बीवी के लिए अदालत में याचिका भी लगा दी। इसी बात से गुस्सा होकर उनके अंगरक्षक ने उन्हें गोलियों से भून दिया।
सलमान तासीर की हत्या पर लगभग सभी दलों के नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया, हालांकि वे भुट्टो की पीपल्स पार्टी में अपने छात्र-जीवन से ही सक्रिय थे। उन्होंने जुल्फिकार अली भुट्टो की जीवनी 1980 में लिखी थी। उन्होंने 1980 में वह पुस्तक मुझे घर आकर भेंट की थी। वे बहुत निर्भीक और मुंहफट थे। वे विधायक और मंत्री भी रहे। उन्होंने व्यापार में पैसा भी कमाया। उन्होंने अपने बोलने की कीमत चुकाई, इसीलिए उनका नाम अमर रहेगा। जिस दिन पाकिस्तान आधुनिक राष्ट्र बन जाएगा, उस दिन सलमान तासीर का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।