आत्माराम यादव पीव
पत्रकार की सारी नस्ले जो दुनिया में कहीं नहीं है, होशंगाबाद में मिल जायेगी इसलिये नर्मदातट पर बसा होशंगाबाद नगर भूलोक का अजीब शहर बन गया है। यहॉ के लोग दुनिया में सबसे अनूॅठे है। नेताओं का तो क्या कहना, बड़े बिरले है जिन्हें म्युजियम मे होना चाहिये वे होशंगाबाद में है। वे शहर के कायापलट की बात कर खुदकी कायापलट का अवसर नहीं छोड़ते। पत्रकार सत्यघटनाओं पर आधारित समाचार के सत्य खोजते है और वे जोड़-तोड़,उठा-पटक कर सत्य को सामने लाते है। कभी भी किसी भी दिन के एक दर्जन प्रमुख समाचार पत्र उठाकर देख लेना और घटनाओं की हकीकत पढ़ना, फिर बताना सही समाचार कहॉ मिला। आधा दर्जन टीवी चैनल पर लोकन न्यूज देख लेना समाचार प्रस्तुत करने की कला यहॉ के पत्रकारों की तारीफेकाबिल है, पर पता नही! ये शहर के लोग इनकी सच्ची मेहनत और साधना को बहलाने-फुसलाने,गिराने-उठाने को दॉवपैच क्यों मानते है, समाचार क्यों नहीं मानते। होशंगाबाद वासी सिद्धपुरूष है। इनके अंदर रहने वाली आत्मा परमहंस है। जैसे हंस का स्वभाव है दूध से पानी अलग करना, वैसे ही ये परमहंस समाचार में मिलावट को दूर कर देते है। कुछ नागरिक तो 24 घन्टे जागते है और व्हाटसअप, फेशबुक, इस्ट्राग्राम आदि सोसलमीडिया पर पत्रकारों द्वारा उड़ेले गये समाचारों से उनकी कुंडली बना लेते है कि कौन पत्रकार खानदानी कलम का धनी है, कौन खेमचे वाला है, कौन राजनीति-पुलिस का सताया भगौडा है। कौन पढ़ालिखा है और कौन दूसरे के समाचार अपने नाम परौस रहा है। कौन लोगों को तंग करके लक्ष्मी की सवारी कर रहा है और कौन नेताओं के कदम चाट रहा है और कौन नेताआं का पिछलग्गू है, पर जानते हुये होशंगाबाद की सिद्धात्मा जनता मौन धारण किये सबको देखती-सुनती और पढ़ती रहती है। यहॉ की जनता मूक है, विरोध नहीं करती हर घात-प्रतिघात को खामोशी से पी जाती है, जनता का यही गुण नेताओं-पत्रकारों सहित अन्य के लिये कल्पवृक्ष बना हुआ है। नर्मदा का पुण्यप्रताप है तभी यहॉ के पाठकों को पत्रकारों की परख है कि कौन प्रचार-प्रसार और गति देने वाला है? कौन शोधपूर्ण रपट छापता है, कौन देश की मिट्टी से, उसकी जड़ों में रमा-बसा है, कौन क्षैत्रीय जानकारी से अवगत न होकर राष्ट्रीय पत्रकारिता का दम भरता है? कौन खेल,संस्कृति,कला, स्त्री,पुरूष एवं बच्चों के विषय का मास्टर है और कौन प्रदेश-देश के साथ अंतराष्ट्रीय कौशल ज्ञान-विज्ञान व विवेक के हर दशा-दिशा में पारंगत है?पिछले एक दशक से पत्रकारिता में महिलाओं ने भी अपना डंका बजवा रखा है।
होशंगाबाद के कुछ नामीगिरामी पत्रकार स्वर्गवासी हो गये। स्वर्गवासी होने की खबर मिलते ही फेसबुक,व्हाटसअप आदि में मरने के एक घन्टे पहले से लोग उनके मरने का अंदेशा लगाकर शोक प्रगट करते हुये शद्धांजलियॉ देना शुरू कर देते है। यमलोग में चित्रगुप्त होशंगाबाद के मृतात्माओं खासकर पत्रकारों की आत्माओं का पत्रकारिता का पूरा लेखा जोखा देखकर शर्म से गढ़ जाता है और उन्हें नर्क भिजवाने का आर्डर निकालता है तब तक उनके चहेते धरती पर सोसलमीडिया में उनकी आत्मा की शांति के लिये इतनी प्रार्थना कर लेते है जिसे देख चित्रगुप्त अचरज में पड़ जाता है और यमराज से सलाह करता है। यमराज चित्रगुप्त को नर्मदा जैसे पुण्य तीर्थ का प्रभाव बताकर इन पत्रकारों को मिली शोक संवेदनाओं और आत्मा की शांति की कामना के रहते इन्हें मिली विशेष प्रार्थना कि प्रभु इन्हें अपने चरणों मे स्थान देवे से प्रभावित रहकर नर्क भेजने के आदेश में तब्दीली कर स्वर्गलोग भेजने का आदेश निकालते है।
यमदूत पत्रकारों से कहता है यमराज ने तुम्हारे साथ कोई भेदभाव नहीं किया है अभी तुम्हारा किया तो तुम्हें नर्क भेज रहा था लेकिन जिन्हें जीवनभर तुम शक की नजर से कोसते रहे और उनका शोषण करते रहे उन सभी ने तुम्हारे लिये प्रार्थना की इसलिये दूध का दूध और पानी का पानी करते हुये तुम्हें मौका दिया जाता है कि तुम अपने कर्म से पहले नर्क जाओंगे या दूसरों से मुफ्त में मौज करने की तुम्हारी आदतों के कारण मुफ्त मिली प्रार्थनाओ के प्रभाव से सुख भोगने के लिये नर्क रहोंगे। पत्रकारों ने पहले मुफ्त मिले स्वर्ग के आनंद को चुना और बोले स्वर्ग में हमारा फ्लैट हमें बता दे। सब स्वर्ग में रम गये। एक से एक सुन्दर नृत्यांगनों के साथ मौज करने और जोशीपुर वाली कच्ची के स्वाद से खुद को मुश्किल से निकालकर स्वर्ग की सोमरस में डूब गये। स्वर्ग आकर उन्हें बड़ा अचरच हुआ एक से एक अच्छे स्वर्णजटिल महल है, मखमली दूध के फैन की तरह मुलायम गद्दे पलंग पर शोभायमान है पर उन्हें एक अड़चन है, कि इन महलों में दरवाजे-खिड़की के स्थान पर रेशमी पर्दे लहलहरा रहे है। कहीं भी किसी भी स्थान पर पहुंचने के लिये स्कूटर,मोटर सायकल,कार या हवाई मार्ग के लिये हवाईजहाज, हेलीकाप्टर नहीं थे बस आप विचार कीजिये वहॉ तुरन्त हवा की गति से पहुंच जाते, न कोई कन्ट्रोल रूम था न पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले साधन, सब मन का खेल था, मन चाहे बैठना, बैठ जाये, मन चाहे चलना, चल पड़े , मन चाहे उड़ना, जिस गति से चाहे स्वर्गलोक पर उड़ सकते थे। पर उनके मन में एक दूसरे के प्रति जलन भी थी जो स्वर्गलोक पहुंचकर वहॉ के सुख को देखकर भी नहीं मिटी। इसी द्वेषभावना के वे अप्सराओं के सामने घुल-मिल नहीं पाते, उनका आलिंगन करने से डरते कहीं डर बना रहता कि कहीं ऐसे में उसके साथ पत्रकार उसकी रिपोर्टिग तो नहीं कर रहा है और ऐसे ही तमाम पत्रकार आशंकित रहकर स्वर्ग के आनंद और रोमांच से खुद को वंचित रखे हुये थे।
होशंगाबादी पत्रकार की बॉछे तब खिल उठती जब स्वर्गलोक में मृत्युलोक खासकर होशंगाबाद से कोई पत्रकार आ टपकता तो उनकी स्वर्गकी खुशी से दुगुनी हो जाती और वे जश्न मनाते कि अब हमारी पृथ्वीलोक की दोस्ती खूब जमेगी। पत्रकार इकठ्ठे होते और चर्चा करते कि हमारे पूर्वज पत्रकार शुक्ला दादा, जैन दादा,परदेशी जी, वर्मा जी, व्यास जी, गुबरेले जी और मूर्झानी जी तो हमें भाव नहीं देते और स्वर्ग के किस कौने में इसका पता भी नहीं चलता है। हॉ मुरारी जी, चौकसे जी भाव खाते है पर माझी है, मिश्रा है, चौहान है अब टेंट वाले पत्रकार जी आ जाते जो रोज हमारे लिये महफिले सजाते थे, तो मजा आ जाता। तो कोई कर्मा को याद करता यार वह अच्छा सेटिंगवाज था नेता भी था और पत्रकार भी। नेता होने से नेतागिरि में विज्ञापन,समाचार से लेकर सब में कमीशनवाजी करता था पर पत्रकार होने से साथ लेकर चलता था, अगर वह स्वर्गलोक आ जाये तो वह यमराज की कुर्सी छीनकर हमारा राज्य हो जाता। उन्हें होशंगाबाद के अपने वे पत्रकार याद आते जो मंदिर मठ की जमीन को हथियाये बैठे पत्रकारिता का संरक्षण लिये थे तो कुछ टीवी चैनलो को दिखाने का कारोबार करते हुये समाचार चैनलों की भीड़ उमड़ते ही पत्रकारों से उनके चैनल का प्रसारण रोकने-चालू करने की सौदेवाजी करते पत्रकारिता में धौस जमाये बैठे थे जिन्हें स्वर्गवासी पत्रकार याद कर उनकी यह विद्या स्वर्ग में लागू करना चाहते थे किन्तु वहॉ उनकी दाल इसलिये नहीं गल पा रही थी कि उसके लिये अलग से विभाग की जिम्मेदारी नारदजी के पास थी और नारद का वहॉ एकछत्र राज्य वहॉ के चैनलों समाचारों पर था। स्वर्गलोक में रहकर कुछेक पत्रकार के कर्म इतने रसातल में थे कि वे वहॉ का आनन्द भूलकर धरती पर उनके परिजनों के बीच घर में क्या चल रहा है यह पूछने लगते उनके बेटों का हाल कि कारोबार कैसा चल रहा है, कहीं उधारी तो ज्यादा नहीं फैला ली, अब बाप तो यहॉ आ गया, बेटा वसूली कैसे करेगा। उसे सारे लोग याद आते जो उनके नगद व उधार वाले ग्राहक थे। सोचते मोबाईल खान से हमारी अच्छी पटरी बैठती थी वह सभी जगह सेटिंग करने में मास्टर था वह भी आ जाता तो स्वर्ग का आनंद दुगुना हो जाता। तभी मेडिकल वाले पत्रकार खींझ उठते और कहते नालायकों खान स्वर्ग क्यों आयेगा, वह तो जन्नत में मौज कर रहा हो तो तुम्हें कौन बतायेगा। तब मेवारी जी के चेहरे पर मुस्कान आती और वे बोले मोबाईल खान से अच्छा आरटीआई खान है वह जन्म से खान है पर पूरे समय पूजा पाठ, योग आदि कर भगवान को याद करता है वह तो स्वर्गलोक आ सकता है जैसी लम्बी चर्चाये चलती रहीं।
स्वर्ग में रहते हुये सभी पत्रकार कुछ दिन में ऊब महसूस करने लगे और वे यमराज के पास पहुंचे कहा हमारा मन यहॉ नहीं लगता क्योंकि हमारे स्वभाव में शुरू से सनसनीखेज खबर न मिलने तक मन को शकून नहीं मिलता है। अच्छा होगा हमें अपनी अपनी आदत के अनुसार सनसनीखेज पत्रकारिता का काम दे दिया जाये। ताकि हम स्वर्गलोग में चटखारेदार समाचार निकाल कर यहॉ सभी की ऑखें खोल सके। राजनीति की उठापटक,नेताओं की तकरार,रस्साकस्सी-खींचातानी,पार्टियों की नोकझौक,सरकारों का गिरना-उठना, नेताओं का दल बदलना,कर्मचारियों-अधिकारियों के गोलमाल भ्रष्टाचार की खबरे हमें सुख-शकून देती रही है जो यहॉ हम स्वर्गवासियों को अपने अनुभव से मालामाल करना चाहते है। यमराज ने कहा कि देखों स्वर्ग में चार अखबार और एक टीव्ही चैनल है यहॉ न्यूज-व्यूज नहीं इसलिये इसके चैनल नहीं है, हॉ नर्क में वे सब है लेकिन अभी तुम्हें नर्क नहीं भेजा जा सकता है चुपचाप यहीं स्वर्ग का सुख भोगों। अलबत्ता चन्द्रगुप्त ने कहा देखों यहॉ रोज चार संदेश पत्रक निकलते है जिनमें एक यहॉ की नृत्यांगनाओ के रासरंग, आमोद-प्रमोदं की प्रशंसा, एक संदेशपत्रक यहॉ होने वाले देवताओं के रंगमंच आहार-बिहार, एक संदेशवाहक समाचार पत्र देवताओं के एक दूसरे के यहॉ आने-जाने संवाद करने जैसी खबरों से भरा होता है। जो चार संदेशपत्रक है उनके पृथकप्रकोष्ठ है। इन संदेश वाहक समाचार पत्रों में न कोई राजनीति, न पद पाना न पद से हटाना जैसा झमेला देखने को मिलता है इसलिये तुम होशंगाबादी यहॉ सनसनीखेज समाचार लाओंगे, यह असंभव है। पर मियॉ स्वर्ग में होशंगाबाद पत्रकार कहॉ मानने वाले थे, उन्होंने यमराज को भारत में प्रतिदिन बढ़ रहीं बेरोजगारी, चोरी-डकैती, छेड़छाड,लड़ाई-झगड़ा,हत्या, बलात्कार आदि सनसनीखेज खबरों के अपने अनुभव बताये जिसे सुनकर वे हॅसे और बोले यहॉ यह घटना तो दूर लोग ऐसी बातें सपने में भी नहीं सोचते, तुम होशंगाबाद नर्मदातट से आये हो इसलिये तुम्हारा दिमाग यहॉ ब्रेश नहीं किया इसलिये तुम्हें यह अब भी याद है और तुम अपनी रट लगाये हुये हो। किन्तु अगर तुम्हें स्वर्गलोक से शिकायतें है तो हम वह भी नहीं रहते देना चाहते है। जैसे ही होशंगाबादी पत्रकारों ने यमराज से कहा कि स्वर्गलोक के प्रतिदिन प्रकाशित चार समाचार पत्र बिल्कुल नीरस है एक चैनल पर सिवाय स्वर्ग के कुछ नही दिखाया जाता, आपने स्वर्गलोक वासियों के साथ गहरा अन्याय किया है ओर उन्हें सुख की ललक से बाहर निकलने नहीं दिया है यह आपका सोचा हुआ गहरा षड़यंत्र है जो आपने स्वर्गवासियों के साथ रचा है। हम होशंगाबाद में यू ही खोजी पत्रकार के तमके लेकर नहीं घूमते थे, हमारे अंदर की सनसनीखेज खोजी पत्रकारिता को यहॉ स्वर्ग में दमित नहीं कर सकते हो, हम स्वर्ग में आपके षडंयंत्र का पर्दाफाश करके रहेंगे और अपनी खबरों के दम पर यहॉ अखबार का सर्कूलेशन चौगुना करके दम लेंगे। यमराज ने होशंगाबादी चुनौती स्वीकार कर यहॉ के पत्रकारों को एक अपराध तलाशकर लाने के लिये उन चार संदेश वाहक समाचार के अधिपति देवताओं और एक चैनल को कह दिया।
स्वर्गलोक की सभी दिशाओं में होशंगाबादी पत्रकार निकल पड़े ताकि कोई भी सनसनीखेज खबर लाकर वे वहॉ के संपादक के मुंह पर दे मारे। वे यहॉ पृथ्वी पर दो पैग मारकर लुढक पड़ते थे लेकिन स्वर्ग में सोमरस की दर्जनों गिलास पीने के बाद भी उनके खून में उबाल नहीं आता था और उन्हें लगता था कि उनका खून स्वर्ग में पानी से भर गया है। धरती पर उन्हें अपना संघर्ष और रिपोर्ट मिलने के बाद सबसे पहले अखबार में, चैनल में भेजने की होड़ थी वह होड़ आज स्वर्ग में देवताओं को भी दिखाकर वेस्ट रिपोर्टर का तमगा लेना चाहते थे, पर देवता उनके वेस्ट रिपोर्टिग की बात पर मुस्कुराते थे जो इनके दिलों में चुभती थी। होशंगाबादी पत्रकार हेकड़ी में किसी से कम नहीं वे स्वर्ग के पत्रकारों को नकारा बताने की अपनी अकड़ से बाज नहीं आये। उन्होंने स्वर्ग के सभी सक्रिय पत्रकारों को नकारा बताते हुये कहा कि जब लाखों लोग स्वर्ग में है तो उन्होंने आज तक यहॉ लड़ाई झगड़ा,लूट-खसूट, खून-खच्चर, साम्प्रदायिक दंगे, बयानवाजी पर एक दूसरे की आलोचना को अखबारों व चैनलोंपर नहीं रखा और न ही पक्ष-विपक्ष की तकरारे कराकर स्वर्गवासियों को उने अधिकारों से वंचित रखा। स्वर्गलोक के संपादको ने खूब समझाया कि यहॉ न कोई पक्ष है और न विपक्ष लेकिन होशंगाबादी सभी पत्रकार इसे नकारते रहे। उन्हें सारे हथकण्डे याद रहे कि कैसे वे जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, आबकारी विभाग,कृषि विभाग, कमिश्नरी,परिवहन विभाग, खनिज विभाग, लोकनिर्माण विभाग जैसे दुधारू विभागों से जुडे रहते और अपने अखबार की कतरनें व कैमरे से ली गयी क्लिपिग,समाचारों की हेडलाईन व्हाटसअप गु्रप में डालते और किसे अधिकारियों की नजरों से दूर करने के लिये व्हाटसअप गु्रप से बाहर करना है उस पत्रकार मित्र को बाहर कराकर अपनी बुद्धिमानी का कौशल मनवाते रहे है तब यहॉ स्वर्ग में होशंगाबादी पत्रकारिता का यह चमत्कारित हुनर कैसे भूल जाते उन्होंने झट स्वर्गलोक में क्राईम रिपोर्टर की जिम्मेदारी ली और केमरामेन के साथ स्वर्ग के कोने कोने में रिपोर्ट लेने फैल गये।