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मौसम विभाग सत्य को उजागर करना नहीं चाहता

-मूलचंद सूथर-

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मौसम विभाग घोषणा करता है गर्मी बढ़ेगी और लेकिन आज फिर आंधी और वर्षा के आसार बनने शुरू हो गए हैं फिर मौसम विभाग जानना क्यों नहीं चाहता की इसकी वज़ह क्या है ?

१९ मई को बीकानेर में आये तूफानी बवंडर व वर्षा के पीछे आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते की ओर से प्रकृति शक्ति पीठ खेजड़ा एक्सप्रेस कार्यालय – कर्म स्थल में किये गए अखंड यज्ञ का प्रभाव था। आज तक मौसम विभाग की समझ में नहीं आ रहा है कि यह मौसम ऐसा क्यों हो गया है।  कोई इसकी पुष्टि नहीं करना चाहता है। यह अखंड यज्ञ प्रकृति शक्ति पीठ में १८ मई सुबह ९ बजे से १९ मई सुबह ९ बजे तक अनवरत चला।  यज्ञ की की समपन्नता के पश्चात कुछ ही घंटों  के बाद इस यज्ञ से बनी ऊर्जा ने प्रचंड रूप धारण कर लिया और तूफ़ान के साथ वृष्टि हुई ।  यह भी प्रेस नोट जारी कर कहा था  संसार के वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे अन्वेषण करें कि यज्ञ के बाद यह सब क्यों घटित हुआ ? इस पर वैदिक मन्त्रों पर अनुसन्धान की आवश्यकता है।  मन्त्र में शक्ति होती है क्योंकि शब्द ही ब्रह्म है। सभी नकारात्मक शब्दों को भूलने की तथा भुलाने की आवश्यकता है। प्रकृति शक्ति पीठ का प्रयास रहेगा ”सनातन पुनर्स्थापित हो” तब ही भारत अपने गौरवपूर्ण अस्तित्व में आएगा।  वर्त्तमान व्यवस्थाएं गुलामी की ओर धकेलने के प्रयास वाली हैं।

यज्ञ से वृष्टि होती है (मौसम विभाग सत्य को उजागर करना नहीं चाहता)

१९ मई को बीकानेर में आये तूफानी बवंडर व वर्षा के पीछे  “”आर्य संस्कृति सनातन धर्मेव जयते”’  की ओर से प्रकृति शक्ति पीठ खेजड़ा एक्सप्रेस कार्यालय – कर्म स्थल में किये गए अखंड यज्ञ का प्रभाव था।  इसकी पुष्टि की जा सकती है। मौसम विभाग को आज तक समझ में नहीं आ रहा है कि यह वर्षा किस कारन हो रही है।  जबकि प्रकृति शक्ति पीठ दावा कर रहा है कि यह 24 घंटे  चले वृष्टि यज्ञ की देन है , क्योंकि यज्ञ भी परमाणु परिक्षण की तरह कारगर होता है। जैसे पोकरण में पहला परमाणु परिक्षण हुआ तो बरसात ने अपना रुख जैसलमेर व बाड़मेर की तरफ किया है जबकि वहां की पीढ़ियों ने बरसात के दर्शन नहीं किये थे , आज बीकानेर में वैदिक रीती नीति से १८ मई के चौबीस घंटों के यज्ञ ने साबित कर दिखाया है कि यज्ञ से वृष्टि होती है।