फ्लोरोसिस से बचाव के लिए है व्यापक जागरूकता की जरूरत

0
294

सोनिया चोपड़ा
हरियाणा के नूंह जिले के मेवात क्षेत्र में फ्लोरोसिस की बीमारी गंभीर रूप धारण करती जा रही है और जागरूकता के अभाव में यह यहां के निवासियों में लगातार बढ़ती जा रही है। मेवात के पानी में फ्लोराइड सुरक्षित मात्रा से काफ़ी अधिक है। मेवात में इसके बढ़ते दुष्प्रभाव को देखते हुए सहगल फाउंडेशन ने इसके बचाव के लिए व्यापक स्तर पर बचाव तथा जागरूकता अभियान की मेवात से शुरुआत की। इस अवसर पर एक सामुदायिक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें हरियाणा सरकार के कम्युनिटी मेडिसन विभाग से डॉ. संजीत तथा डॉ. रिजवान के अलावा बड़ी संख्या में क्षेत्र की जनता ने भाग लिया तथा आम जनता को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया तथा फ्लोरोसिस की बढ़ती गंभीर बीमारी से बचाव के अभियान में शामिल होने का आह्वान किया।
फ्लोराइड हमारे वातावरण में सबसे अधिक खतरनाक विषैले पदार्थों में से एक है। यह हमारे शरीर में धीरे –धीरे जमा होता रहता है और हमारे दाँतों, हड्डियों, पाचन तंत्र, किडनी, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं, मस्तिष्क व हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमताओं को गंभीर नुकसान पंहुचाता है। लगभग 60 प्रतिशत फ्लोरोसिस पीने के पानी से ही होता है। इस बीमारी में दांतों में धब्बे तथा गड्ढे पड़ जाना आम बात है। बच्चे इसकी गिरफ़्त में तुरन्त ही आ जाते हैं। वयस्क भी इसकी गिरफ़्त में आ जाते हैं यदि पानी में इसकी मात्रा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक हो जाए। दन्त फ्लोरोसिस होने पर दांतों की प्राकृतिक चमक तथा सुन्दरता नष्ट हो जाती है। शुरुआती अवस्था में दांत चॉक के समान खुरदरा सफेद हो जाता है जो बाद में धीरे-धीरे पीला, कत्थई तथा काले रंग का हो जाता है। फ्लोराइड की मात्रा शरीर में बढ़ने से हाथ-पैर विकृत हो जाते हैं। अपंगता का असर महिलाओं पर मां बनने के बाद ज्यादा दिखने लगता है। यह युवा और बुर्जुगों दोनों को हो सकता है। इसके असर से जोड़ों में दर्द होने लगता है। जहां इसका प्रभाव ज्यादा होता है वे हैं गर्दन, कुल्हे, बाहें और घुटने, जिसके कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है और असहनीय दर्द होता है।
नूंह जिले के मेवात क्षेत्र में फ्लोरोसिस की बढ़ती बीमारी की गंभीर समस्या से निपटने के लिए सहगल फाउंडेशन ग्रामीणों को बीमारी से बचने के लिए जागरुक करने में जुटा है और इसके लिए कई स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। मेवात के तावडू, नगीना और फिरोजपुर ब्लाक के चार-चार गाँवों से पानी के सैंपल लेकर उनमें फ्लोराइड की मात्रा की जांच की जा रही है।
इसके अलावा सामुदायिक रेडियो अल्फाज़-ए-मेवात एफ एम 107.8 के माध्यम से ”फ्लोरोसिस से जंग” नई रेडियो सीरीज का शुभारम्भ 7 अगस्त 2018 से गाँव घाघस के सामुदायिक केंद्र में किया गया। इस रेडियो सीरीज का उद्देश्य यहां के ग्रामीण सुमदाय को फ्लोरोसिस बीमारी के लक्षणों, बचाव, सहजन की पत्तियों से फ्लोरोसिस समेत कई प्रकार की बीमारियों से बचाव व सहजन के पौधों का इलाके में नि:शुल्क वितरण आदि की जानकारी देना है। सहजन की पत्तियां फ्लोरोसिस समेत शरीर की बहुत सी बीमारियों को दूर भगाने में मदद करती हैं। इसलिए सहगल फाउंडेशन की टीम सहजन की पत्तियों का निरंतर सेवन करने के लिए समुदाय को प्रेरित कर रही है तथा सहजन के पौधों का वितरण किया जा रहा है। सहजन की पत्तियों की उपलब्धता, उनके सेवन से होने वाले लाभ के बारे में ग्रामीण समुदाय में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया शुरू किया गया है ताकि फ्लोरोसिस की गंभीर बीमारी से समुदाय को बचाया जा सके।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,042 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress