जिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे

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तनवीर जाफ़री
नई दिल्ली के मुनीरका क्षेत्र में 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया नृशंस सामूहिक बलात्कार व हत्याकांड के बाद देश में जिस प्रकार का जनाक्रोश उमड़ते देखा गया था आज लगभग 6 वर्षों बाद एक बार फिर लगभग उसी प्रकार की आवाज़ मुज़फ्फरपुर स्थित बालिका गृह में सुनियोजित ढंग से लंबे समय से चलने वाले यौन शोषण को लेकर देश के कई भागों से उठती दिखाई दे रही है। हमारे देश में होने वाली बलात्कार की घटनाएं,सामूहिक बलात्कार प्रतिष्ठित व जि़म्मेदार लोगों के नाम बलात्कारियों की सूची में आना,अनाथालय,धर्मस्थान अथवा बाल संरक्षण गृहों में होने वाली यौन शोषण की घटनाओं का उजागर होना आदि कोई नई बात नहीं है। परंतु इन दिनों मुज़फ्फरपुर के बालिका गृह के विषय में जो बातें अब तक सामने आ रही हैं वह वास्तव में न केवल अमानवीय तथा दिल दहला देने वाली हैं बल्कि ऐसी घटनाओं से यह सवाल भी एक बार फिर उठने लगा है कि कन्याओं के परिजन अपनी बच्चियों के संरक्षण व उसकी सुरक्षा के लिए आखिर कहां जाएं और किस पर विश्वास करें? मुज़फ़्फ़रपुर में सेवा संकल्प तथा विकास समिति नामक एक ग़ैर सरकारी संगठन चलाने वाले बृजेश ठाकुर नामक एक पत्रकार व समाजसेवी का चोला पहने व्यक्ति ने अपने इस बालिकागृह को न केवल सरकार द्वारा मिलने वाले एक करोड़ रुपये प्रतिवर्ष के अनुदान को अपनी आय का माध्यम बना रखा था बल्कि यह अपने बालिका गृह में रहने वाली मासूम बच्चियों को भी यौन शोषण हेतु कथित रूप से नेताओं,उच्चाधिकारियों तथा रसूख़दार लोगों को पेश किया करता था।
इतना ही नहीं ब्रजेश ठाकुर नाम के पत्रकार के चोले में लिपटा यह सफ़ेदपोश व्यक्ति कई वर्षों तक इन मासूम,बेगुनाह, अबोध बच्चियों को पेट में कीड़े मारने की दवाई देने के नाम पर उन्हें बेहोशी की दवाई दिया करता था और बच्चियों के बेहोश होने के बाद उनके कोमल शरीर के साथ राक्षसी प्रवृति रखने वाले उसके अतिथि अपनी मनमर्ज़ी  किया करते थे। आरोप तो यह भी है कि जो लडक़ी अपने साथ होने वाले किसी अत्याचार का विरोध करती थी उसे बुरी तरह मारा-पीटा जाता था। एक मासूम बच्ची को तो इसी बालिका गृह में मार कर उसकी लाश दबाए जाने का भी आरोप है। जबकि तीन अन्य बच्चियां लापता भी हैं। यह सब बिहार जैसे उस राज्य में गत् कई वर्षों से होता आ रहा था जहां के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ‘सुशासन बाबू’ के नाम की अपनी मीडिया जनित उपाधि सुनकर गद्गद् होते रहते हैं । महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु उन्होंने न केवल राज्य की स्कूल जाने वाली कन्याओं को साईकलें वितरित की हैं बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री कन्या उत्थान नामक एक योजना भी राज्य की लड़कियों की तरक़्क़ी हेतु बनाई। इस पूरे प्रकरण में एक सबसे गंभीर बात यह भी है कि जिस समाज कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत यह बालिका गृह तथा इस प्रकार के गैर सरकारी संगठन आते हैं उस विभाग की राज्य मंत्री मंजु वर्मा से भी त्यागपत्र की मांग की जा रही है। इसका कारण यह है कि मंत्री मंजु वर्मा के पति कथित रूप से इस सामूहिक बालिका शोषण कांड में स्वयं नियमित रूप शामिल रहा करते थे। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि मंजू वर्मा के पति के कारण ही मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को सरकार इस एनजीओ हेतु एक करोड़ रुपये प्रतिवर्ष दिया करती थी।
इस पूरे घटनाक्रम की गूंज बिहार में लगभग प्रत्येक जि़ले में आए दिन होने वाले प्रदर्शनों से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक पहुंच चुकी है। गत् दिनों राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने इस विषय पर दिल्ली में जंतर-मंतर पर एक सफल प्रदर्शन किया। जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी,शरद यादव,अरविंद केजरीवाल,सीताराम येचुरी तथा डी राजा जैसे अनेक नेता तो ज़रूर शामिल हुए परंतु निर्भया कांड के समय उस घटना का विरोध करते हुए सडक़ों पर जो शक्तियां उतरी थीं वे ज़रूर नदारद रहीं। इसका साफ़ कारण यह है कि निर्भया कांड के समय मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी और आज देश में राजग सरकार सत्तासीन है। इस घटना को लेकर साफ़तौर पर विपक्षी नेताओं द्वारा यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि मुज़फ़्फ़रपुर का बेसहारा बच्चियों का सामूहिक शोषण कांड राज्य सरकार के मंत्रियों व अधिकारियों के संरक्षण में हो रहा था। अन्यथा क्या वजह है कि मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर का नाम अभी तक गिरफ़्तार होने के बावजूद प्राथमिक सूचना रिपोर्ट में भी नहीं रखा गया और न ही उसे अब तक पुलिस रिमांड पर लिया गया है? बालिका गृह में रहने वाली 40 लड़कियों के यौन शोषण का आरोपी बृजेश ठाकुर जिस समय पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किया गया उस समय उसके चेहरे का आत्मविश्वास तथा उसकी बेशर्म हंसी स्वयं सिर चढ़कर यह बोल रही थी कि उसका कोई कुछ बिगाड़ने वाला नहीं और न ही उसके चेहरे पर शर्मिंदगी नाम की कोई चीज़ नज़र आ रही थी।
बहरहाल पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जब समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत् मुख्यमंत्री कन्या उत्थान का शुभारंभ किया और उनके बग़ल की कुर्सी पर वही समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा शोभायमान रहीं जिसकी पूरे देश के मीडिया ने चर्चा भी की, उस समय पहली बार परिस्थितिवश मुख्यमंत्री को इस घटना पर अपना मुंह खोलना पड़ा। बेहद सधी व सीमित प्रतिक्रिया में नितीश कुमार ने कहा कि-‘मुज़फ़्फ़रपुर में ऐसी घटना घटी कि हम लोग शर्मसार हैं। इतनी तकलीफ़ है। हम लोग अब आत्मग्लानि के शिकार हो गए हैं’। उन्होंने सीबीआई द्वारा इस मामले की जांच व उच्च न्यायालय द्वारा इस जांच की निगरानी करने की बात भी कही। परंतु क्या केवल वक्तव्य देने मात्र से या अपराधियों के जेल जाने जैसी साधारण सख़्तियों से उन सभी बच्चियों को न्याय मिल सकेगा? इस बात की भी क्या गारंटी है कि देश में संचालित होने वाले दूसरे अनेक ऐसे बाल संरक्षण केंद्र पूरी तरह से नैतिकता,न्याय तथा मानवता व सदाचार के साथ संचालित हो रहे हैं? कितने अफ़सोस की बात है कि जिस उम्र की बच्चियों को नवरात्रों के समय कन्या पूजन हेतु बड़े ही आदर,सम्मान व प्यार के साथ बुलाया जाता है और उन्हें न केवल पूजा जाता है बल्कि उन्हें प्रसाद व भेंट आदि देकर बिदा किया जाता है और कन्या पूजन को देवी पूजन के तुल्य समझा जाता है ऐसे संस्कारों व परंपराओं वाले महान देश में जब सफ़ेदपोश लोग ही नैतिकता का चोला ओढ़कर तथा पत्रकार जैसे जि़म्मेदारीपूर्ण आवरण में लिपटकर अपने राक्षसीय मक़सद को हल करने लग जाएं ऐसे में इस भारत महान का तो ईश्वर ही मालिक है।
हम स्मार्ट सिटी बनाएं या बुलेट ट्रेन चलाएं,हम अपनी प्राचीन संस्कृति का गुणगान करें या अपने धर्म व संस्कृति की प्रशंसा का राग अलापते रहें, हम चाहे कितने भी शिक्षित या समृद्ध क्यों न हो जाएं परंतु यदि हमारा देश सच्चे,नैतिकतापूर्ण,अच्छा आदर्श प्रस्तुत करने वाले व चरित्रवान लोगों का देश नहीं बना तो इसे विश्वगुरू या समृद्ध व नैतिकता की दुहाई देने वाला देश कैसे कहा जा सकता है? जब हमारे देश में रक्षक ही भक्षक बन जाएं ऐसे में इन मासूम बच्चियों की सुरक्षा व इनके संरक्षण की बात कैसे सोची जा सकती है?

बक़ौल शायर-

बाग़बां ने आग दी जब आशियाने को मेरे।
जिन पे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे।

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