कश्मीरी हिन्दुओं की वापसी

-विनोद कुमार सर्वोदय-

kashmiri hinduआज कश्मीरी हिन्दू विस्थापितों को पुनःकश्मीर में बसाने के आत्मस्वाभिमान व  संवेदनशील विषय की ओर सभी गंभीर है, परंतु क्या यह एक चुनोतीपूर्ण व जटिल समस्या नहीं  है ? लगभग 25 वर्षो बाद इस विषय पर केंद्र सरकार अत्यंत गंम्भीरता से आगे बढ़ रही है जो सराहनीय है.।.परंतु क्या मुख़्यमंत्री मुफ्ती की  पीडीपी सहित उमर अब्दुला की पार्टी व अन्य अलगाववादी / आतंकवादी गिरोहो को यह कितना  स्वीकार होगा ? क्योंकि वास्तव में कमोवेश यही सब उस समय कश्मीरी हिन्दुओंं के पलायन का कारण बने रहे थे, उसमे चाहे इनकी मौन सहमति प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष।
याद करो लगभग दो दशक पहले का कश्मीर का वह खूनी इतिहास जब वहां  हिन्दुओं के सामूहिक नरसंहार किये जा रहे थे और उन्हें खुली चेतावनी देकर उनको अपमानित करके मार मार कर भगाया जा रहा था,  तब हमारा स्वतंत्र देश भारत क्यों कर अपने भूमि पुत्रों के सर्वनाश का मूकदर्शक बना रहा। लाखों की सेना व करोड़ों हिन्दुओं को एक पल भी क्रोध नहीं आया, केवल अपने को यह समझाते रहे कि यह तो आतंकवाद है ,हम क्या कर सकते है ? याद करो एक केंद्रीय गृहमंत्री अपनी असमर्थता व्यक्त करते हुए कह रहे थे कि सरकार कश्मीर में अब भी बचे हुए हिन्दुओं की सुरक्षा की गारंटी कैसे कर सकती है ? क्या यह विवशता किसी देश की व्यवस्था  को सुदृढ़ रख पायेगी ?
आज भी स्थिति उससे कम भयावह नहीं है, आधुनिक हथियारों व अन्य विनाशकारी सामग्रियों से लैस प्रशिक्षित खूंखार फियादीन आतंकवादियों का जिहादी गिरोह कश्मीर की धरती पर घात लगाये अवसर की प्रतीक्षा में बैठा है। अगर हिन्दुओं की कश्मीर में वापसी करानी है तो सरकार को पहले जिहाद की शिक्षा से निज़ामे~ मुस्तफा की स्थापना के लिए अंधे हुए कट्टरपंथियों की विचारधाराओं को समझकर उसका उपाय निकलना होगा । नहीं तो हिन्दुओं की कश्मीर वापसी पुनः उनके काल का कारण न बन जाये और सरकार को विवश होकर कहना पड़े की “यह तो मजहबी आतंकवाद है हिन्दुओं को बसाने व उनकी सुरक्षा की गारंटी कैसे कर सकते हैं “?
भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं को भी सोचना चाहिए कि क्या ऐसी स्थिति में हम अपने कश्मीरी भाइयों को बिना सोचे समझे सरकार के भरोसे मौत के मुंह में जाने दे और अत्याचारी जिहादियो को रक्तरंजित बर्बरता का इतिहास पुनः दोहराने का अवसर दे? नहीं ! कश्मीरी भाइयों को यह पूरा अधिकार है कि वे भारत के कोने कोने में कही भी स्वेच्छा से आदर पूर्वक सम्मान के साथ रहें। भारत सरकार व मुफ्ती के नेतृत्व में पीडीपी व बीजेपी गठबंधन की जम्मू -कश्मीर की सरकार  में अगर कश्मीरी हिन्दुओं को पुनः कश्मीर में बसाने की दृढ़ इच्छाशक्ति है तो उसे सर्वप्रथम पी.ओ.के.  व अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में चल रहे आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरो को व्यापक स्तर पर  ध्वंस करना ही होगा और विभिन्न अलगाववादियों को कठोरता से देशद्रोह के आरोपो में जेलों में कैद करना होगा।इसके साथ साथ  किसी भी स्थिति में सेना को वहां से हटाया नहीं जाना चाहिए , वस्तुतः जब तक अनुच्छेद 370 के अस्थायी प्रावधान को हटाया नहीं जाता।

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  1. मैं आपसे पूरी तरह इत्तफाक रखता हूँ : –” भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं को भी सोचना चाहिए कि क्या ऐसी स्थिति में हम अपने कश्मीरी भाइयों को बिना सोचे समझे सरकार के भरोसे मौत के मुंह में जाने दे और अत्याचारी जिहादियो को रक्तरंजित बर्बरता का इतिहास पुनः दोहराने का अवसर दे? नहीं ! कश्मीरी भाइयों को यह पूरा अधिकार है कि वे भारत के कोने कोने में कही भी स्वेच्छा से आदर पूर्वक सम्मान के साथ रहें।”

    1) राजतंत्र में राजा सम्प्रभुतासम्पन्न होता है बँटवारे के समय कश्मीर में राजतंत्र था जब तत्कालीन महाराजा हरीसिंह ने स्वेच्छा से संघ में विलय का प्रस्ताव भेजा था तो अब प्रश्नचिन्ह का कोई सवाल ही नहीं उठता है !
    2) जब कश्मीर के मूल निवासी कश्मीरी पंडितों को प्रताड़ित करके भगाया गया तब कहाँ थे ये तथाकथित कश्मीर के नेता – – ये सब पापी और अन्यायी हैं —
    3) धारा 370 का समर्थन करने वालों तथा कश्मीरियत का राग अलापने वालों को भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ये धारा केवल भारत में स्थित आजाद कश्मीर के लिए ही नहीं है बल्कि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए भी है फिर क्यों कश्मीर के उन हिस्सों में कबायली-बलूची-पंजाबी तथा अक्साई चिन में बीजिंग-शंघाई-तिब्बती आ-आ करके बसते जा रहे हैं क्यों ये लोग उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं ???
    4) मीडिया वाले भी इनसे ( धारा 370 का समर्थन करने वालों तथा कश्मीरियत का राग अलापने वालों ) पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए सवाल क्यों नहीं पूँछते हैं चर्चाएँ क्यों नहीं होती हैं ???
    5) जम्मूकश्मीर सरकार की पहली जिम्मेदारी बनती है कि पाकिस्तान द्वारा अधिकृत तथा चीन द्वारा हथियाए गए कश्मीर के हिस्सों के लिए भारतीय संविधान के अंतर्गत प्रयास करें पर अभी तक उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया है – इसलिए उन्हें कश्मीर में अपनी चौधराहट दिखाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बनता है !!!
    6) कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है !! धारा 370 निरर्थक है और अब्दुल्ला परिवार द्वारा कश्मीर को अपनी रियासत बनाए रखने की एक घिनौनी साजिश है !!!
    धारा 370 को अविलम्ब हटाना चाहिए !! इसीमें कश्मीर और पूरे देश की भलाई है !!!
    इन्हें हर कीमत पर रोकना ही होगा वरना जैसे फारस-सिंध-मुल्तान गया वैसे कश्मीर से भी हाथ धो बैठोगे !! जय हिंद !!! जय हिंदी !!!!
    आज की परिस्थितियाँ इसीलिए समस्यादायक हैं क्योंकि भारत सरकार ने इतिहास से नहीं सीखा है — जरूरत है इजरायल की तरह बम निरोधक सुरक्षित बस्तियाँ पूरी घाटी में बनाकर पहले निष्कासित कश्मीरी पंडितों को वहाँ लाकर बसाया जाए, उसके बाद अन्य लोगों को भी —— इसके लिए आवश्यकतानुसार राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा सकता है -तथा इजरायल के अनुभवों से भी लाभ उठाया जा सकता है : ——

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