
—विनय कुमार विनायक
कहानी तो वही है, कहानीकार बदल गया,
कथन तो वही है पर कथाकार बदल गया!
कहते हो हमेशा वही बातें मुलम्मा मारकर,
सचमुच सत्य कहने का विचार बदल गया!
जिसके पास होता नहीं कुछ जमाने खातिर
उसे शिकायत जहां से कि यार बदल गया!
बदल जाते हैं हर चीज-वस्तु इस दुनियां में,
मैं हूं कि बदला नही, ये संसार बदल गया!
बदलाव है जरूरी मगर मेरा स्वभाव वही है,
भाव से अभाव मिला, तो प्यार बदल गया!
अभाव से भाव, भाव से प्रभाव, प्रभाव से मैं
स्वभाव में वापस आया,किरदार बदल गया!
जब भी बीमार पड़ता हूं, ईश्वर की कृपा से,
स्वजन दूरी बनाते,यूं कि सेवादार बदल गया!
वर्षों का अनुभव है, कि मतलब निकल गया,
तो पहचानते नहीं,कि मेरा पैरोकार बदल गया!
मैंने कोसा कभी भाग्य को तो कभी ईश्वर को,
कि मैं सलामत हूं मेरा तिमारदार बदल गया!
बचपन की दोस्ती बहुत मजबूत होती है यारों,
दोस्त नहीं बदले, किन्तु रिश्तेदार बदल गया!
—विनय कुमार विनायक