तब अकेली थामे हाथ बनी सेनीटाईजर हाला

—विनय कुमार विनायक
कोरोना काल में गंगा जल से बेहतर ये हाला,
बिना हाला से हाथ धोए, गटका नहीं निवाला!

नमक को छोड़ा,तेल छोड़ा,चीनी को भी छोड़ा,
ये सारे हैं ब्लड प्रेशर व सुगर को बढ़ानेवाला!

पर किसी ने बुरे दौर में भी टाली नहीं हाला,
ये विषाणु मिटाने वाली, आला दर्जे की हाला!

हाला को हलाहल कहके,बुरा कहनेवालो सुनो,
जब मुर्दे में मुर्दे भेद बढ़े, भेद मिटायी हाला!

जब हाथ को हाथ, छूने तक से कतराने लगा,
तब अकेली थामे हाथ बनी, सेनीटाईजर हाला!

जब प्यारे पुत्र-पुत्री,बहन-भ्राता, माता-पिता के,
प्राण छूटे,बेकफन,दफन हुए,ना कोई छूनेवाला!

कलतक जो कर मेहंदी,हल्दी-चंदन चर्चित थे,
बिना दर्शन-स्पर्श-अश्रुधार के, बिदा हुई बाला!

उस विषम घड़ी में मुंह पे मास्क बनी साकी,
साहस बढ़ाने आई,सेनीटाईजर बनके ये हाला!

जब लाश उठानेवाले चार कंधे साथ ना मिले,
तुलसीदल,गंगाजल मुख में ना कोई देनेवाला!

जब राम नाम सत्य है, नहीं कोई बोलनेवाला,
उस घड़ी सेनीटाईजर की सब जपते थे माला!

जब शैव-शाक्त-तबलीगी,आपस में लड़ रहे थे,
मास्क को साकी बना, मेल कराने आई हाला!

प्यारी हाला भट्टी की प्रथम धार से निकली,
दो चार बूंद में तृप्त हुए,बोतल को पीनेवाला!

ये हाला है सोम सुरा की प्यारी छोटी बहना,
अश्विनी कुमार के वंशज हैं, इसे बनानेवाला!

ये हाला निषिद्ध नहीं, बस-ट्रेन-प्लेन में भी,
पाकेट में रख लो, कोई यम नहीं डरानेवाला!

सब मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर जब बंद पड़े थे,
पर मृत संजीवनी सुराघर में नहीं लगा ताला!

समझो महिमा हाला की, कोविड-19 के आगे,
हर संकट में हाथ से हाथ,मिलाएगी ये हाला!

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