बुद्ध व महावीर में बहुत अधिक अंतर है

—विनय कुमार विनायक
बुद्ध व महावीर ने अहिंसा की बात कही
महावीर ने सारे मांस भक्षण को पाप कहा
बुद्ध ने मरे मांसाहार को पाप नहीं माना
महावीर दूसरे को जीतनेवाले वीर नहीं थे
बल्कि खुद को जीतनेवाले अरिहंत महावीर थे
इन्द्रियों को जीतनेवाले जितेन्द्रिय जिन थे
दूसरे को जीता जा सकता है पाशविकता से
मगर खुद को जीता जाता है आत्मिकता से
महावीर में त्याग-त्याग सिर्फ त्याग था
दैहिक वस्त्र तक त्याग दिए थे महावीर ने
बुद्ध ने अष्टांगिक मध्यम मार्ग को चुनकर
क्रूर मानवों पर भी अपनी करुणा बरसाई
क्रूर कसाई कुषाण राजा कनिष्क ने
पहले पहल बुद्ध की कारुणिक मूर्ति बनाई
बुद्ध की करुणा से डाकू अंगुलीमाल बदल गए
बुद्ध की करुणा को देखकर
क्रूर कठोर हिंसक सम्राट अशोक शोकाकुल हुए
महावीर का कठिन जैनधर्म भारत में सिमट गए
बुद्ध का मानवतावादी धर्म पूरे एशिया में फैल गए
बुद्ध आत्मा परमात्मा की बात नही करते थे
बुद्ध ने कहा संसार में दुःख है, दुःख का कारण है
दुःख का निदान है, दुःख से मुक्ति कर्मफल त्याग से
बुद्ध तार्किक थे, पर पुनर्जन्म में आस्था रखते थे
मानव पशु है मानव पशु योनि में जन्म ले सकते
बुद्ध ने पूर्व जन्मों में खुद के पशु होने की बात कही
बौद्ध धर्मी मरी मांस खाने में परहेज नहीं करते थे
बौद्ध भिक्षु मरी मांस खाने में पाप नहीं समझते थे
बौद्ध धर्मावलंबी जापान चीन ताइवान आदि में
बोर्ड लगाकर दुकान में मृत मांस बेचते व खाते
अंबेडकर ने महार चर्मकार जाति को
पूर्व समय में मृत मांस खाने से ही परखे थे
कि उनके पूर्वज बौद्ध धर्मानुयायी थे
बौद्ध धर्म में समाज सहित पुनर्वापसी कर लिए
अंबेडकर वेद-पुराण-स्मृति-दर्शन धर्मों के महाज्ञानी थे
मगर हिन्दू धर्म के जातिवाद पाखंड से पानी-पानी थे
हिन्दू से धर्मांतरित हुए भारतीय मुसलमानों की
हठधर्मिता से अंबेडकर को बहुत अधिक परेशानी थी
महावीर के अनुयायी जैन शुद्ध शाकाहारी हो गए
श्वेताम्बर श्वेत वस्त्रधारी, दिगम्बर शिशुवत् नग्न
जबकि बौद्ध धर्म महायान व हीनयान में बंटकर
महायानियों ने बुद्ध को माना मूर्तिमान भगवान ईश्वर
बुद्ध की मूर्ति पूजा से ही एशिया में चली बुतपरस्ती
महायान चीन जापान उत्तर दक्षिण कोरिया ताइवान
तिब्बत भूटान मंगोलिया और सिंगापुर में फैल गया
महायानी सामूहिक मुक्ति मार्ग में विश्वास करते
हर भले बुरे को पूर्व जन्म के रिश्तेदार समझते
हीनयानी अनीश्वरवादी,बुद्ध की पूजा-अर्चना नहीं करते
हीनयानी मद्य मांस मैथुनवादी ऐकांतिक साधना करते
अंततः भारतवर्ष में बौद्ध धर्म पतनशील होकर
हिन्दूधर्म में हुआ विलीन अब ना कोई बौद्ध यहां पर
सिर्फ सियासत में जिंदा अंबेडकर जय भीम बनकर
पर हीनयान श्रीलंका बर्मा कंबोडिया थाईलैंड वियतनाम
जावा लाओस में जिंदा थेरवाद स्थविर यानी स्थिर
यथास्थितिवादी तंत्र-मंत्र में उलझे हीनयानी होते कट्टर
आगे बौद्धों की पृष्ठभूमि में चौरासी सिद्ध नौ नाथ हुए
सिद्धों की साधना मद्य मांस मैथुन आदि पंच मकार को
नाथ योगियों ने नकार आदिनाथ शिव की आराधना की
आत्मा परमात्मा को नकारने वाले बुद्ध के अनुयायी
अंततः शिव को परमात्मा मानकर हिन्दू धर्मी हो गए!
—विनय कुमार विनायक

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