जी -20 सम्मेलन 2023 के लिए कमल पुष्प को मुख्य आधार बनाए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी जोर-शोर से अपनी आपत्ति जता रही है ।कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां ने भी सरकार के हर निर्णय का बेबुनियादी विरोध करना अपनी नियति बना रखा है।कांग्रेस के नेता इसे भाजपा सरकार का शर्मनाक कृत्य बता कर अपना रोष जता रही है। यही अंध विरोध कांग्रेस को आखिर कार ले ही डूबा है औऱ उसी लकीर पर चलना कांग्रेस के नेता आगे भी छोड़ नही रहे है।
हजारों वर्षों के भारत के इतिहास व संस्कृति में कमल पुष्प का विशेष महत्व रहा है ।यह भारतीय संस्कृति का शुभ चिन्ह के रूप में मान्य है। प्राचीन समय से लेकर 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में संदेश का आदान प्रदान करने के लिए इसका उपयोग किया जाता रहा है। इसका न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि राष्ट्रीय पुष्प के रूप में इसे मान्यता प्राप्त है।
कांग्रेस के नेताओं को कमल पुष्प भाजपा पार्टी के चुनाव चिन्ह के रूप में यदि यह दिखाई दे रहा है तो कंही न कंही उनकी मानसिकता में ही दोष है। जब अभिवादन के लिए राम -राम, जय श्री राम, वन्दे मातरम भारतमाता की जय बोला जाता है तो इनको यह भाजपा के नारे सरीखे लगते है।इन नेताओं को परेशानी है भारतीय सभ्यता और संस्कृति के जो भी प्रतीक है वे उन्हें स्वीकार नही। कमल पुष्प मां लक्ष्मी जी का आसन है इसे हर भारतीय घर मे विराजमान किया जाता है । यह समृद्धि का प्रतीक है।कांग्रेस देश की किसी समय देश की सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी होने का गौरव प्राप्त रहा है उनके नेताओं को राष्ट्रीय प्रतीकों के बारे में गहन अध्धयन होना ही चाहिए तभी वे भारतीय जनमानस में अपना आधार बना पाएंगे ।
यदि वे इसी तरह उल- जलूल चिंतन करते हुए अंधविरोध करते रहे तो उनका बचा हुआ आधार भी समाप्त होने में देर नही लगेगी।
भारतीय समाज अपनी संस्कृति अपनी धार्मिक मान्यताओं के प्रति जागरूक औऱ सजग हो चुका है वह अब किसी तरह का तुष्टिकरण औऱ वोट बैंक की राजनीति को बर्दाश्त नही करेगा।
रही बात भाजपा पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के फूल की तो जिस समय भाजपा की स्थापना हुई थी उस समय चुनाव आयोग द्वारा भाजपा को कमल का फूल आवंटित किया गया था तो उस समय कांग्रेस को इसका विरोध करना चाहिए था , परंतु उन्हें कमल पुष्प के धार्मिक और राष्ट्रीय महत्व का ज्ञान होता तभी तो वे ऐसा कर पाते ।
भारत सरकार जी 20 सम्मेलन में कमल पुष्प को चित्रित कर भारत की गौरवशाली संस्कृति को ही महत्व दे रही है । इसके विरोध का कोई भी औचित्य नही है।
-सुरेश गोयल धूप वाला