इन पाँच वज़हों से होता हैं बलात्कार 

देवेंद्रराज सुथार

जम्मू के कठुआ में आठ साल की बच्ची आसिफा के बलात्कार के बाद नृशंस हत्या से पूरा भारत क्षुब्ध हैं। दरअसल ये कोई पहली और आखिरी घटना नहीं हैं। देशभर से मासूम बच्चियों और महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या, एसिड फेंकने जैसी घटनाएं लगभग रोज पढ़ने को मिल जाती हैं। बलात्कार के पहलुओं पर गौर करे तो कुछ प्रमुख कारण सामने आते हैं-

1. फैलता नशा- नशा आदमी की सोच को विकृत कर देता है। उसका स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता और उसके गलत दिशा में बहकने की संभावनाएं शत-प्रतिशत बढ़ जाती है। ऐसे में कोई भी स्त्री उसे मात्र शिकार ही नजर आती है। और इसी नशे की वजह से दामिनी और गुडिया शिकार हुई थी! अभी तक की सारी रिपोर्ट देखी जाए तो 85 प्रतिशत मामलों में नशा ही प्रमुख कारण रहा हैं। हमारे देश में नशा ऐसे बिक रहा हैं जैसे मंदिरों में प्रसाद। आपको हर एक किलोमीटर में मंदिर मिले ना मिले पर शराब की दुकान जरुर मिल जाएगी। और शाम को तो लोग शराब की दुकान की ऐसी परिक्रमा लगाते हैं की अगर वो ना मिली तो प्राण ही सुख जायेंगे….!

2. पुरुषों की मानसिक दुर्बलता- स्त्री देह को लेकर बने सस्ते चुटकुलों से लेकर चौराहों पर होने वाली छिछोरी गपशप तक और इंटरनेट पर परोसे जाने वाले घटिया फोटो से लेकर हल्के बेहूदा कमेंट तक में अधिकतर पुरुषों की गिरी हुई सोच से हमारा सामना होता है। पोर्न फिल्में और फिर उत्तेजक किताबें पुरुषों की मानसिकता को दुर्बल कर देता हैं और वो उस उत्तेजना में अपनी मर्यादाएं भूल बैठता हैं। और यही तनाव ही बलात्कार का कारण होता है। ईश्वर ने नर और नारी की शारीरिक संरचना भिन्न इसलिए बनाई कि यह संसार आगे बढ़ सके। परिवेश में घुलती अनैतिकता और बेशर्म आचरण ने पुरुषों के मानस में स्त्री को मात्र भोग्या ही निरूपित किया है। यह आज की बात नहीं है अपितु बरसों-बरस से चली आ रही एक लिजलिजी मानसिकता है जो दिन-प्रतिदिन फैलती जा रही है। हमारी सामाजिक मानसिकता भी स्वार्थी हो रही है। फलस्वरूप किसी भी मामले में हम स्वयं को शामिल नहीं करते और अपराधी में व्यापक सामाजिक स्तर पर डर नहीं बन पाता।

3. महिलाओं का कमजोर आत्मविश्वास- महिलाओं का अगर आत्मविश्वास प्रबल हो तो को भी पुरुष उनसे टक्कर नहीं ले सकता। महिलाओं को शारीरक रूप से उसे सबल बनना चाहिए और मन से भी खुद मजबूत समझे। विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की ट्रेनिंग उन्हें बचपन से ही मिलनी चाहिए। हमारा समाज लड़कियों की परवरिश इस तरह से करता हैं की लड़की खुद को कमजोर और डरपोक बनाती चली जाती हैं पर हमें अपनी बेटियों को निडर बनाना चाहिए। हर महिला को अपने साथ अपनी सुरक्षा का साधन हमेशा साथ रखने के लिए हमें उन्हें जागरूक करना चाहिए। महिला अगर डरी-सहमी, खुद को लाचार समझती हैं तो उसे परेशान करने वालो का विश्वास कई गुना बढ़ जाता हैं। महिला की बॉडी लैंग्वेज हमेशा आत्मविश्वास से भरपूर होना चाहिए। अगर भीतर से असुरक्षित महसूस करें तब भी अपनी बेचैनी से उसे जाहिर ना होने दें।

4. एकांत में मवालियों का अड्डा- गांव और शहर के सुनसान खंडहरों की बरसों तक जब कोई सुध नहीं लेता है तब यह जगह आवारा और आपराधिक किस्म के लोगों की समय गुजारने की स्थली बन जाती है। फार्म हाऊस में जहां बिगड़ैल अमीरजादे इस तरह के काम को अंजाम देते हैं वहीं खंडहरों में झुग्गी बस्ती के गुंडा तत्व अपना डेरा जमाते हैं। बड़े बड़े नेता / अफसर / उद्योगपति लोग अपना फार्म हाऊस बना लेते हैं और वहा हकीकत में होता क्या ये कोई सुध नही लेता हैं। यह जगह पुलिस और प्रशासन से दूर जहां इन लोगों के लिए ‘सुरक्षित’ होती है वहीं एक अकेली स्त्री के लिए बेहद असुरक्षित। महिला के चीखने-पुकारने पर भी कोई मदद के लिए नहीं पहुंच सकता। बलात्कार के 60 प्रतिशत केस में ऐसे ही मामले सामने आये है।

5. लचर कानून- हमारे देश का कानून लचर हैं ये सब मानते हैं। अगर कानून सख्त हो तो शायद अपराधिक मामलों की संख्या बहुत कम हो जाती। कमजोर कानून और इंसाफ मिलने में देर यह भी बलात्कार की घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं। देखा जाये तो प्रशासन और पुलिस कभी कमजोर नही हैं पर कमजोर हैं उनकी सोच और उनकी समस्या से लड़ने की उनकी इच्छा शक्ति। पैसे वाले जब आरोपों के घेरे में आते हैं तो प्रशासनिक शिथिलताएं उन्हें कटघरे के बजाय बचाव के गलियारे में ले जाती है। पुलिस की लाठी बेबस पर जितने जुल्म ढाती है सक्षम के सामने वही लाठी सहारा बन जाती है। अब तक कई मामलों में कमजोर कानून से गलियां ढूंढ़कर अपराधी के बच निकलने के कई किस्से सामने आ चुके हैं। कई बार सबूत के आभाव में न्याय नहीं मिलता और अपराधी छूट जाता है।

अंततः आज हमें बलात्कार को धर्म, मजहब के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। बलात्कारी कहीं भी हो सकते हैं, किसी भी चेहरे के पीछे, किसी भी बाने में, किसी भी तेवर में, किसी भी सीरत में। बलात्कार एक प्रवृति है। उसे चिन्हित करने, रोकने और उससे निपटने की दिशा में यदि हम सब एकमत होकर काम करें तो संभवतः इस प्रवृत्ति का नाश कर सकते हैं।

2 COMMENTS

  1. जी ! आपने सही वजह गिनाई। आशा करता हूं इसी तरह आगे भी मेरे लेखों पर आप अपनी टिप्पणियों से मुझे अवगत कराते रहेंगे। धन्यवाद !

  2. श्री देवराज जी सुधार,.
    समाज में चेतना जगाने के लिए धन्यवाद|लिखते रहिये,समाज को जगाते रहिये | बलात्कार के पांच कारणों के अतिरिक्त और भी कारण है ,जैसे शिक्षा का अभाव, परिवार से दूर रहना,लडकियों का अत्यधिक फैशन करना,अपने अंगो का नग्न प्रदर्शन करना,देर रात में बिना काम के घर से निकलना ,पब ओर बालाये बार का होना आदि आदि|मै भी इस बारे में भी कविता के रूप में लिखता हूँ| अगर समय मिले तो अवश्य पढ़िए और अपने विचारो से अवगत कराये

    आर के रस्तोगी
    9971006425

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