ये है दिल्ली मेरी जान

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नेपाली हैं बाबा के राईट हेण्ड बालकृष्ण

इक्कीसवीं सदी के योग गुरू रामनिवास यादव के पुत्र रामकिशन उर्फ बाबा रामदेव के खसुलखास आचार्य बालकृष्ण की नागरिकता को लेकर अनेक तरह के प्रश्न उठ रहे हैं। बाबा के अनुयाईयों को यह बात भले ही हैरान और निराश करने वाली हो किन्तु यह स्थापित तथ्य है कि बाबा रामदेव के राईट हेण्ड आचार्य बालकृष्ण पर अनेक संगीन आरोप हैं। 19 अप्रेल 1998 को बरेली में अपने पासपोर्ट के आवेदन में करोड़ों लोगों के अराध्य बाबा रामदेव के विश्वस्त सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने अपना जन्म स्थान हरिद्वार बताया है, जबकि वे नेपाली मूल के निवासी हैं। बालकृष्ण को जारी पासपोर्ट नंबर एएस 245979 पर उन्होंने अनेक देशों की सैर भी की है, पर उनकी जानकारियां फर्जी हैं। हरिद्वार के अभिसूचना निरीक्षक द्वारा की गई तहकीकात के अनुसार बालकृष्ण का पासपोर्ट और दो हथियारों की अनुज्ञा भी अवैध है। देश से भ्रष्टाचार मिटाने और विदेशों में जमा काला धन वापस लाने का अभियान चलाने वाले रामकिशन यादव क्या अपने सहयोगी के उपर लगे इन आरोपों का जवाब देने का साहस जुटा पाएंगे?

 

फिक्स मैच को जीत ही लिया भारत ने

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शनिवार को खेले गए विश्व कप फाईनल का मुकाबला क्या फिक्स था। देश भर में यह चर्चा जोरों पर चल रही है। यह बेबुनियाद नहीं है। एक अप्रेल को लोगों को मिले अप्रेल फूल वाले एसएमएस ने लोगों को इस बारे में सोचने पर मजबूर किया है। एसएमएस था कि श्रीलंका पहले बल्लेबाजी करेगा, 270 से 273 रन बनाएगा, सहवाग पहले पांच ओवर्स मंे ही आउट हो जाएंगे, सचिन 90 से 95 रन बनाएंगे और श्रीलंका मैच जीत जाएगा। जैसे ही मैच आरंभ हुआ दो बार टास हुआ, टास के बाद श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी की। रन भी 274 बनाए, सहवाग भी पहले ओवर में आउट हो गए। सचिन के आउट होते ही लगने लगा था कि भारत हार गया। फिर क्या था लोगों ने जमकर श्रीलंका पर पैसा लगा दिया। यह सब था बुकीज का खेल। कहा जा रहा है कि बुकीज ने शुरूआती दौर की बातें तो सच साबित करवाईं पर बाद में मैच को पलट दिया और सटोरियों की जेबें भर गईं।

 

अब क्या करोगे शिवराज मामा!

मोहाली में भारत पाकिस्तान के बीच हुए सेमीफायनल मुकाबले के पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा था कि अगर भारत जीता तो देश के हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल में क्रिकेट के लिए एक बढि़या स्टेडियम बनाया जाएगा। अब तो भारत ने विश्व कप भी जीत लिया है। अब एमपी के बच्चों के शिवराज मामा क्या करेंगे यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है। दरअसल शिवराज सिंह चैहान द्वारा अपनी दूसरी पारी में भी हजारों लोक लुभावन घोषणाएं कर डाली हैं। देखा जाए तो शिवराज सिंह चैहान की घोषणाओं में से अब तक दस फीसदी घोषणाओं को भी अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। देखा गया है कि जमीन से जुड़े शिवराज सिंह चैहान भावनाओं में बहकर घोषणाएं तो कर देते हैं किन्तु उनके मातहत अधिकारी ही उनकी जमीन खोदने का काम कर रहे हैं। शिवराज की घोषणाओं पर उनके ही अधिकारी मिट्टी डालने का काम कर रहे हैं। किसी ने सच ही कहा है कि निजाम कितना भी अच्छा क्यों न हो, उसके इर्द गिर्द रहने वाले ही उसे अच्छा या बुरा बनाते हैं।

 

जनसेवक ने उगले करोड़ रूपए

कांग्रेस के भविष्यदृष्टा राजीव गांधी ने इक्कीसवीं सदी में आधुनिक भारत का सपना देखा था। उनकी अंर्धांग्नी और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की अगुआई में इक्कीसवीं सदी का भारत कुछ अलग ही रंग में दिख रहा है। यहां अरबों रूपयों के घपले घोटाले सामने आ रहे हैं और प्रधानमंत्री अपने आप को मजबूर बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं। सोनिया राहुल गांधी सहित केंद्र और हर सूबे के मंत्रियों की संपत्यिों में बेहिसाब बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है, पर देखने सुनने वाला कोई नहीं है। हाल ही में मुंबई के अंतर्राट्रीय हवाई अड्डे पर गोवा के शिक्षा मंत्री एंटासियो मांन्सरेट के पास से करोड़ रूपए मिलने से सनसनी फैल गई है। गोवा से दुबई जा रहे माननीय के पास से अनेक देशों की मुद्राएं मिली हैं, जिससे देश की राजधानी भी हिली हुई है। जब मंत्री के पास से ही बेनामी धन मिले तो बाकी का क्या कहना। कहा जा रहा है कि यह पैसा वे दुबई के रास्ते स्विस बैंक में जमा कराने जा रहे थे।

 

करोड़पति गरीबों को नोटिस!

करोड़पति गरीब! है न आग और पानी का अनोखा संगम। जी हां, चोंकिए मत, देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा सूबे में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) परिवारों के पास करोड़ों अरबों की धन संपदा है। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा बीपीएल परिवारों के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ अपात्र लोग ही ज्यादा उठा रहे हैं। हरियाणा की कांग्रेस सरकार इस मामले में आंखों पर पट्टी बांधे बैठी है। हरियाणा में बड़ी बड़ी आलीशान अट्टालिकों के आगे बीपीएल परिवार के बोर्ड चस्पा हैं, जो अधिकारियों को दिखाई नहीं दे रहे हैं। कहते हैं कि एक सख्त मिजाज पुलिसिए के कहर के चलते अब इन परिवारों की असलियत सामने आने लगी है। पुलिस के कहर के चलते अब तक झज्झर में लगभग आठ सौ तो करनाल, पानीपत और सोनीपत में तीन तीन सौ फर्जी बीपीएल परिवारों ने अपने अपने कार्ड निरस्त करवा लिए हैं।

 

रेल टिकिट बनेगा ट्रांसफरेबल

ममता बनर्जी द्वारा चुनावों के पहले एक और सौगात रेल यात्रियों को देने का मन बनाया है। गौरतलब है कि वर्तमान में कोई यात्री अगर यात्रा नहीं करता है तो उसे अपना टिकिट निरस्त ही कराना होता है। भारतीय रेल के आला दर्जे के सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के रण में उतरी रेल मंत्री ममता बनर्जी जो कि वहां की मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब मन में पाले हुए हैं ने रेल यात्रियों को लुभाने के लिए अब कंफर्म रेल टिकिट पर अगर कोई यात्रा न करे तो उस टिकिट को वह अपने खून के रिश्ते वाले नातेदार को स्थानांतरित कराने का मन बना लिया है। इसके लिए एक दिन अर्थात 24 घंटे पहले उसे आवेदन करना होगा। यद्यपि इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है पर मीडिया में यह लीक कर ही दिया गया है, जिसका लाभ ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में मिल सकेगा।

 

देर से जागी कांग्रेस!

नेहरू गांधी परिवार के नाम पर सालों से सियासत करने वाली सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस आखिर जाग ही गई है, वह भी सिर्फ राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी के अपमान के मामले में। अमेरिका के एक लेखक जोसेफ लेलीवेल्ड की किताब में महात्मा गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। कहा गया है कि बापू 1908 में चार बच्चों को जन्म देने के बाद कस्तूरबा गांधी से प्रथक होकर कालेनबाश के साथ रहने चले गए थे। इस किताब में अनेक पत्रों का हवाला देकर बापू के बारे में अश्लील और अमर्यादित टिप्पणियां की गई हैं। इस किताब में कहा गया है कि बापू समलैंगिक थे। आधी धोती पहनकर ब्रितानियों के दांत खट्टे करने वाले बापू का सरेआम करने के बावजूद भी एक सप्ताह तक कांग्रेस ने इसकी सुध नहीं ली। बापू को समलेंगिक बताना वाकई कांग्रेस को छोड़कर समूचे भारत के लिए शर्म की बात है।

 

अभी भी बारगेनिंग जारी है बाबा रामदेव की

इक्कीसवीं सदी के योग गुरू राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव राजनैतिक बिसात पर चालें चलते ही जा रहे हैं। पहले देश को निरोगी करने के बाद ही विदेश जाने का कौल उठाने वाले बाबा रामदेव विदेश जाकर वहां आकूत धन संपदा इकट्ठी कर चुके हैं। इसके बाद उनके मन में राजनैतिक महात्वाकांक्षाएं कुलाचें मारने लगीं सो उन्होंने एक पार्टी बनाकर सियासी अखाड़े में कूदने की कोशिश कर डाली। उस वक्त उन्होंने कहा था कि वे खुद राजनीति से दूर ही रहेंगे। अब कोयंबटूर में रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव ने यह कहकर सभी को चैका दिया कि वे खुद राजनीति में आने का फैसला जून के बाद लेंगे। लोगों का कहना है कि बाबा रामदेव लोगों की आखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं, उनका असल मकसद राजनीति में आकर धनकमाना ही है।

 

सोनिया से नजदीकी चाह रहे हैं लालू

काफी समय से गुमनामी के अंधेरे में जीवन यापन करने वाले इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से मुख्यधारा में लौटने की जुगत भिड़ाने में लगे हैं। लालू यादव के दरबार के नौरत्न पूर्व केंद्रीय मंत्री, उद्योगपति और राज्य सभा के सांसद प्रेमचंद गुप्ता की कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के दरबार में खासी दखल है। लालू यादव द्वारा सोनिया गांधी से करीबी बनाने के लिए सारे अस्त्र एक के बाद चलाए जा रहे हैं। उधर सोनिया गांधी हैं कि वे मानने को तैयार ही नहीं हैं। समोसे की जली सोनिया गांधी अब कचैड़ी भी फूंक फूंक कर खा रही हैं, सो उन्होंने लालू यादव को साफ कर दिया है कि महज चार सांसदों वाली पार्टी को वे अपना दोस्त बना जरूर सकतीं हैं किन्तु उसे केबनेट में स्थान नहीं दिया जा सकता है।

 

कौन न मर मिटे इस सादगी पर

कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी और युवराज राहुल गांधी द्वारा फिजूलखर्ची रोकने के लिए सादगी से जीवन जीने की नसीहत दी जाती रही है। यह सब कुछ सिवाए नौटंकी के कुछ और नहीं है। इसका कारण यह है कि इनकी नाक के नीचे ही कांग्रेस के एक नेता ने अपने पुत्र के विवाह में ढाई सौ करोड़ रूपए फूंक दिए। दिल्ली के कांग्रेसी नेता कंवर सिंह के पुत्र ललित तंवर का विवाह हरियाणा के पूर्व विधायक सुखबीर सिंह जौनपुरिया की पुत्री योगिता के साथ पिछले दिनों हुई। यह शादी चर्चाओं में इसलिए है क्योंकि दूल्हा सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर आया। सगाई में दूल्हे को 45 करोड़ मूल्य का हेलीकाप्टर भी मिला है। इतना ही नहीं बरातियों को भी ग्यारह से इक्कीस हजार रूपए भेंट और तीस तीस ग्राम के चांदी के बिस्किट और एफारी सूट तक मिला। अब कांग्रेस के इन कर्णधारों की सदगी पर कौन न मर मिटेगा।

 

रेल्वे ने शाकाहारी अण्डे को बनाया मांसाहारी!

भारतीय रेल बड़ी ही गजब की है। वो जो चाहे कर सकती है। भारत की केंद्र सरकार द्वारा मुर्गी के अण्डे को शाकाहारी बताकर इसके इस्तेमाल के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। अण्डे के उपयोग के लिए अण्डा बोर्ड भी विज्ञापनों की बाढ़ ला रहा है। भारतीय रेल में यात्रा करने वाले बहुत ही कन्फयूज्ड हैं कि अण्डा मांसाहारी है या शाकाहारी? एक तरफ अण्डे को शाकाहारी बताया जा रहा है वहीं दूसरी ओर भारतीय रेल में परोसे जाने वाले खानपान के मेन्यू में मांसाहार अर्थात अण्डे से बनी सामग्री को स्थान दिया गया है। सुबह के नाश्ते में अगर वेज मांगा जाए तो कटलेट और नानवेज मांगा जाए तो आमलेट परोसा जाता है। अब केंद्र सरकार फैसला करे कि अण्डा शाकाहारी है मांसाहारी।

 

पुच्छल तारा

इक्कीसवीं सदी में योग लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है। योग के नाम पर चल रही दुकानें फल फूल रही हैं। लोगों को योग का लाभ मिल रहा है या नहीं यह बात तो वे ही जाने पर योग के नाम पर लोगों की जेबें अवश्य ही ढीली होती जा रहीं हैं। इसी बात पर अंबाला पंजाब से ईशू चैधरी ने एक ईमेल भेजा है। ईशू लिखते हैं कि एक योग गुरू ने महिला से पूछा कि क्या योग से उस महिला के पति की शराब पीने की आदत पर कोई अंतर पड़ा। इस पर महिला ने तपाक से बोला -‘‘जी हां, जरूर पड़ा है। अब मेरे पति सर नीचे और पैर उपर करके भी पूरी बोतल पी सकते हैं।‘‘

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

6 COMMENTS

  1. लिमटी भैया, आप जैसे सुलझे हुए इंसान भी ‘रामकिशन-बालकिशन’ जैसी बचकानी बातो में उलझा जाए, ये उम्मीद नहीं थी.
    रामदेव के विरोध में कुछ ‘लोगो’ का हित सधता है. लेकिन आपके-मेरे जैसे आम भारतीय का हित तो रामदेव के साथ में ही है.
    माना कि, इटली की मैनो के भ्रष्ट-तंत्र और कुलता कोंग्रेस के काले कारनामो से लेकर ‘स्विस’ में ‘गांधी-नेहरू’ के खजाने पर लिखना बहुत ही नुक्सान देह है. लेकिन आने वाली पीढी उन्ही को याद करेगी जिन्होंने देश के लिए कलम उठाई है, ना कि कुंठित सेकुलरो को.
    और मुझे पूरा विशवास है कि आपकी प्रेरणा प्रणव ‘जेम्स’ राय या बरखा दत्त या राजदीप सरदेसाई नहीं है.

  2. “पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .”

    उपरोक्त कथन आपका है फिर भी आपके लेखन में चाटुकारिता की बू आरही है, हो सके तो सुब्रामनियम के खुलासों के बारें में लिखे, सोनिया गांधी ने विवाह के कई वर्षों तक भारत की नागरिकता नहीं ली इस पर भी प्रकाश डालिए अन्यथा हंसी के पात्र बनने जा रहे हैं.

  3. “नाज़ी कार्यकर्ता स्व.स्टेफ़ानो माईनो की पुत्री एंटॊनिया माईनो” भी लिख सकते है

  4. लिमटी जी अगर आप एक निष्पक्ष पत्रकार है और अगर आप में हिम्मत है तो जब आप स्वामी रामदेव को “योग गुरू राम किशन यादव उर्फ बाबा रामदेव” लिखते है तो सोनिया गाँधी को “नवाब खान के पुत्र फ़िरोज़ खान की बहु राजीव खान की पत्नी सोनिया खान उर्फ़ सोनिया गाँधी” लिखा करें

  5. खरे जी भी शायद रामदेव बाबा विरोधी खेमे के सदस्य बन गए हैं, जब इस देश मैं प्रशासनिक अधिकारी तक फर्जी प्रमाण-पत्रों का उपयोग करते पाए जा चुके हैं तो बाबा तो एकदम सीधे सच्चे इंसान है और मैं नहीं समझता की कोई फर्जी प्रमाण पात्र लगाए और बाबा उसकी जांच करते फिरें, और फिर गलती कोई करे और जवाब बाबा दे यह कोई बात हुई, जिसने गलती की है अगर साबित हो जाता है तो रामदेव बाबा उसको सजा से बचाने का प्रयास नहीं करेंगे यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ. आपने कभी लिखा की सोनिया गाँधी के विरुद्ध सुब्रमनियम स्वामी फर्जी प्रमाण-पत्रों को देश के सामने रख चुके हैं वे भी सबूतों के साथ हो सके तो इस पर लिखिए देश को विश्वास हो जाएगा की कुछ पत्रकार अभी भी गुलामी से बचे हुए हैं.

  6. अगर कांग्रेस 125 साल की है तो इंका / कांग्रेस (आई) / कांग्रेस (इंदिरा) किस चिड़िया का नाम है/था? बेकार में ही जाने-अनजाने में लोगों को भावनात्मक तौर पर कांग्रेस को सबसे उम्दा/भरोसेमंद पार्टी के तौर पर पेश किया जा रहा है। नई पीढ़ी को सच्चाई बताइए।

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