ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे

उपजिलाधीश ने किया चिदम्बरम को कटघरे में खड़ा!

केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम भले ही नक्सलवाद के लिए संजीदा होने का दावा कर रहे हों, किन्तु जमीनी हकीकत इससे इतर ही नजर आ रही है। सरकार के दावों की पोल नक्सलवादी गतिविधियों के चलते खुलती ही नजर आती है। केंद्र हो या सूबाई सरकारें हर जगह पर सरकारी विफलताएं साफ दर्शाती हैं कि सरकार नक्सलवाद से निपटने कितनी ईमानदारी से प्रयास कर रही हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने महाराष्ट्र के गढ़चिरोली का दौरा किया। चिदम्बरम के दौरे को मीडिया ने हाथों हाथ लिया। गढ़चिरोली जिले के उपजिलाधीश राजेंद्र कानफोड़े ने चिदम्बरम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यद्यपि कानफोड़े की बात को मीडिया में पूरा तवज्जो नहीं मिल पाया है पर उनकी बात को सिरे से खारिज कतई नहीं किया जा सकता है। राजेंद्र का कहना है कि होम मिनिस्टर के इस तरह के दौरों से क्या हासिल होगा? कानफोड़े का कहना सच है कि इस तरह से वातानुकूलित बंद कमरों की बैठकों और हवाई भ्रमण से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। जिले में काम करने वाले जमीनी हकीकत से रूबरू कानफोड़े का कहना है कि जिले को अर्धसैनिक बल की आवश्यक्ता नहीं है, जरूरत इस बात की है कि स्थानीय पुलिस को ही अत्याधुनिक हथियार मुहैया करवाए जाएं। बंदूक से कुछ नक्सली मारे जा सकते हैं किन्तु नक्सलवाद समाप्त नहीं किया जा सकता है। इसके लिए विकास कार्य के साथ ही साथ वैचारिक क्रांति का श्रीगणेश करने की आवश्यक्ता है। कानफोड़े बेचारे डिप्टी कलेक्टर जैसे छोटे ओहदे पर हैं, सो उनकी बात नक्कारखाने की तूती साबित हो सकती है।

पूर्व सीजेआई के करोड़पति दामाद!

भारत गणराज्य की सबसे बड़ी अदालत के पूर्व प्रधान न्यायधीश के.जी.बालाकृष्णन के सीजेआई बनते ही इस बात को प्रतिपादित किया गया था कि एक दलित अपनी योग्यता, क्षमता और अनुभव के आधार पर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए हैं। साधारण परिस्थिति वाले इनके दमाद के चंद सालों में ही करोड़ों में खेलने लग जाएंगे एसा किसी को भान भी न होगा। केरल के एक निजी चेनल ने इस बात का खुलासा किया है कि महज चार सालों में ही बालाकृष्णन के दमाद पी.वी.श्रीनिजन ने सात करोड़ रूपयों की संपत्ति एकत्र कर ली। केरल युवक कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे श्रीनिजन ने 2006 में नजरक्कल विधानसभा चुनाव लड़ने के दौरान दिए शपथ पत्र में कहा था कि उनके बैंक खाते में महज पच्चीस हजार रूपए ही जमा हैं, इसके अलावा उनकी कोई संपत्ति नहीं है। यद्यपि वे चुनाव हार गए किन्तु इन चार सालों में उनके पास जादू की छड़ी आ गई और वे करोड़ों के आसामी बन गए। श्रीनिजन के पास त्रिशूर में नदी किनारे ढाई एकड़ जमीन जिसकी कीमत पांच करोड़ रूपए है, के अलावा त्रिशूर और एर्नाकुलम में मंहगी अचल संपत्ति लग्जीरियस वाहन भी मौजूद हैं। जाहिर है इनकी संपत्ति के एकत्र होने में बालाकृष्णन का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रोत्साहन रहा होगा। अनेक न्यायमूर्तियों ने इनकी संपत्ति की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है, क्या केंद्र सरकार यह अनेक जांचों की मांग के बीच इस जांच को कराने का दुस्साहस जुटा पाएगी?

देश नहीं प्रदेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं गड़करी

भारतीय जनता पार्टी ने 2009 में नितिन गड़करी को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना था। उस वक्त लग रहा था कि गड़करी के नेतृत्व में भाजपा अपेक्षाकृत युवा और मजबूत होगी। गड़करी वैसे भी महाराष्ट्र प्रदेश की सियासत से उठकर केंद्र की राजनीति में आए हैं। गड़करी के कदम तालों को देखकर लगने लगा है कि वे समूचे देश नहीं वरन् महाराष्ट्र प्रदेश भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। एक साल में गड़करी देश को नहीं नाप सके हैं। भाजपा का जनाधार बढ़ाने में भी सफल नहीं हो सके हैं। दिल्ली में भले ही वे रात गुजारें पर उनकी गिद्ध दृष्टि महाराष्ट्र पर ही केंद्रित होती है। महाराष्ट्र भाजपा के एक एक निर्णय में उनकी दखल पूरी पूरी ही होती है। हाल ही में मुंबई महानगर पालिका निगम में भाजपा दल के नेता पद को लेकर एक बार फिर गड़करी और गोपी नाथ मुंडे आमने सामने हो गए हैं। भाल चंद शिरसाट की नियुक्ति पर रोक और अशीष शेलार की नियुक्ति से मुंडे खासे खफा हैं। प्रदेश भाजपाध्यक्ष सुधीर मुनगंटीवार मुंडे को मनाने गए पर मुंडे की नाराजगी बरकरार है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में महाराष्ट्र के कद्दावर और जनाधार वाले नेता मुंडे द्वारा गड़करी को एकाध अलसेट दे ही दिया जाएगा।

चला चली की बेला में हैं वोरा

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा उमर दराज हो गए हैं, सो अब उनके स्थान पर किसी और की नियुक्ति की सुगबुगाहटें तेज हो गईं हैं। पिछले दिनों कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा मोती लाल वोरा के प्रति जिस कदर सम्मान का भाव प्रकट किया उससे साफ होने लगा है कि वोरा को किसी न किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाकर भेजा जा सकता है। कांग्रेस के स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर जब श्रीमति सोनिया गांधी को लेने वोरा उनके आवास पर गए तो बारिश के चलते वोरा ने छतरी तान दी। जैसे ही सोनिया ने वोरा को छतरी ताने देखा उन्होंने तत्काल छतरी अपने हाथ में ली और कहा -‘आईए वोरा जी।‘ इसके उपरांत जब प्रोग्राम समाप्त हुआ तब भी छतरी सोनिया के हाथ ही थी और वोरा उनके बाजू में ही चल रहे थे। जिस तरह एमपी के पूर्व मुख्यंत्री और वर्तमान कांग्रेस महासचिव राजा दिग्जिव सिंह किसी की तारीफ करते हैं तब माना जाता है कि उसकी रूखसती की बेला आ गई है, उसी तर्ज पर माना जा रहा है कि अब कोषाध्यक्ष पद पर वोरा जी के दिन गिनती के ही बचे हैं। आने वाले समय में मोतीलाल वोरा किसी प्रदेश के राजभवन की शोभा बढ़ाते नजर आएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

कक्षा में नेताजी!

भारतीय जनता पार्टी के धाकड़ नेता राजीव प्रताप रूड़ी ने अपने मित्र शहनवाज हुसैन के साथ मिलकर बिहार में दो महीने तक धुआधार प्रचार किया और इसका नतीजा भी सामने आया। भाजपा ने 102 में से 91 सीटों पर अपना परचम लहराया। भाजपा में रूड़ी की खूब वाहवाही हुई। चौपर यानी उड़न खटोले में प्रचार करते करते नेताजी राजीव प्रताप रूड़ी हवाई जहाज उड़ाने में पिछड़ गए हैं। संचालक नागर विमानन (डीजीसीए) के नियम तो नियम हैं। अब रूड़ी को रिफ्रेशर कोर्स के लिए जाना पड़ा। आलम यह है कि रूड़ी को जहाज उड़ाने के बजाए कक्षा में बैठकर पढ़ाई करना पड़ रहा है। बिहार में आरंभिक सत्ता सुख भोगने के बजाए रूड़ी कक्षाओं में व्यस्त हैं। उन्हें इस बात का मलाल शायद ही हो कि वे कक्षा में बैठकर अपना समय काट रहे हैं, इसका कारण यह है कि संसद तो वर्तमान में है नहीं शीतकालीन सत्र भी टू जी स्पेक्ट्रम की भेंट चढ़ गया, सो टाईम पास के लिए क्लास में उपस्थिति ही सही।

पालिका बाजार के तीन सैकड़ा फोन हैं बेकार

उधर सरकार की पेशानी पर दूर संचार के टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले ने पसीने की बूंदे उकेर दी हैं, इधर दिल्ली के हृदय स्थल कनाट प्लेस के आलीशान भूमिगत पालिका बाजार के दुकानदारों के लैंड लाईन फोन ने उनकी आफत कर रखी है। महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड के तीन सैकड़ा से अधिक लैंड लाईन फोन पिछले आठ नौ माहों से बिना घंटी के ‘शोभा की सुपारी‘ बनी हुई हैं। दुकानदार इसलिए भी परेशान हैं क्योंकि एमटीएनएल इन बिना करंट के फोन का बाकायदा किराया वसूले जा रहा है। दुकानदारों ने इसके विकल्प के तौर पर मोबाईल फोन ले लिए, विडम्बना तो देखिए कि पालिका बाजार के अंदर मोबाईल के सिग्नल भी आना जाना ही किया करते हैं। एमटीएनएल का आलम सिर्फ पालिका में ही एसा नहीं है, दिल्ली के अंदरूनी इलाकों सहित बाहरी दिल्ली में भी सरकारी फोन सेवाओं की सांसे उखड़ने लगती हैं। आखिर एसा हो क्यों न! समूचा विभाग भ्रष्टाचार के दलदल में जो फंसकर रह गया है।

अरे यह क्या कह दिया कलराज मिश्र जी

विश्व में इन दिनों मोटापा एक बहुत ही बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है। मोटापे के चलते हर कोई परेशान है, यही कारण है कि मीडिया इन दिनों मोटापे के छुटकारे के मनमोहक और आकर्षक विज्ञापनों से पटा पड़ा है। मोटापे की बढ़ती समस्या को देखकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद कलराज मिश्र काफी चिंतित हैं, मिश्र चाहते हैं कि सरकार मोटे लोगों पर टैक्स आहूत करे। दुनिया में किसी देश ने मोटे लोगों पर टैक्स लगाया है कि नहीं यह जानने के लिए मिश्र ने राज्यसभा में एक प्रश्न भी दागा है। उन्होंने पूछा है कि क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोटे लोगों पर कर लगाने का कोई प्रस्ताव किया है? इसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नवी आजाद ने कहा है कि फिलहाल उन्हें किसी देश में एसा कर लगाए जाने की जानकारी नहीं है। संसद के गलियारों में मिश्र के प्रश्न को चटखारे लेकर सुनाया जा रहा है, कि अरे कलराज मिश्र जी यह आपने क्या कह दिया, अगर एसा हुआ तो आपकी पार्टी के आलाकमान . . .।

स्वाईन फ्लू नहीं, थोडी सी पी है काक्के

सर्दी की आहट के साथ ही दिल्ली में एक बार फिर स्वाईन फ्लू की दहशत ने फिर सर उठाया है। दिल्ली में सर्दी से बचने गरम कपड़ों के साथ ही साथ स्वाईन फ्लू से बचने के मास्क फिर निकल आए हैं। एक वारदात पर जब दरोगा जी पहुंचे तो वे स्वाईन फ्लू का मास्क लगाए हुए थे। मौके पर मौजूद लोगों ने दरोगा जी की तहे दिल से तारीफ करते हुए कहा कि देखे स्वाईन फ्लू के खौफ के बाद भी दरोगा जी अपनी ड्यूटी पूरी पूरी मुस्तैदी के साथ निभा रहे हैं। वहां मौजूद एक नेताजी ने दरोगा जी के बारे में उच्चाधिकारियों से सिफारिश करने की बात तक कह डाली। यह क्या! अचानक ही नेताजी को छींक आ गई और मास्क उतारना पड़ा। मास्क उतारते ही माहौल मदिरामय हो उठा। तब पता चला कि दरोगा जी ने स्वाईन फ्लू से बचने के लिए नहीं, वरन अपने रंगीन मूड को छिपाने के लिए मास्क धारण किया था। एक मनचले ने धीरे से चुटकी ली -‘‘मास्क स्वाईन फ्लू से बचने के लिए नहीं, वरन् थोड़ी सी पी ली है काक्के।‘‘

रेल और जहाज पर करोड़ों का जुर्माना

दिल्ली विकास प्राधिकरण ने दिल्ली मेट्रो तो भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने किंग फिशर एयर लाईन्स पर करोड़ों के जुर्माने ठोंक दिए हैं। दिल्ली के उपनगरीय इलाके द्वारका के सेक्टर 21 में मेट्रो द्वारा बनाए जाने वाले एक होटल को बिना अनुमति निर्माण आरंभ करने के लिए ढाई करोड़ रूपयों का जुर्माना ठोंक दिया है। मेट्रो ने पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप के तहत होटल का निर्माण आरंभ किया है। पहले माना जा रहा था कि यह होटल कामन वेल्थ गेम्स के पहले ही तैयार करवा दिया जाएगा, किन्तु बाद में यह संभव नहीं हो सका। उधर दूसरी ओर सीसीआई ने चर्चित सांसद विजय माल्या के स्वामित्व वाली किंगफिशर एयरलाईंस द्वारा सीसीआई के महानिदेशक द्वारा मांगी गई जानकारी न उपलब्ध कराने के चलते एयरलाईंस पर एक करोड़ रूपयों का जुर्माना ठोंक दिया है। प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 की धारा 44बी के मुताबिक किसी जानकारी को छुपाने की स्थिति में जुर्माना आहूत होगा जो कम से कम पचास लाख तो अधिक से अधिक एक करोड़ रूपए तक होगा।

अपनी शैक्षणिक योग्यताओं से अनजान हैं विधायक जी

भारत गणराज्य में लोकतंत्र की स्थापना जिन उद्देश्यों के लिए की गई थी, वह आज पूरा होता नहीं दिखता। जनता की सेवा के लिए आगे आने वाले जनता के नुमाईंदों द्वारा जनता के दुख दर्द को समझने के बजाए अपने आराम तलब को महत्व देने से देश में लोकतंत्र की नींव पूरी तरह से कमजोर होती जा रही है। देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश की विधानसभा का आलम यह है कि 403 विधायकों वाली विधानसभा में संस्थागत वित्त मंत्री नंदगोपाल गुप्त सहित 59 विधायकों ने अपनी शैक्षणिक योग्यता की जानकारी छुपाई है। यूपी में 112 स्नातक, 35 विधि स्नातक, 9 जूनियर हाई स्कूल, 36 इंटरमीडिएट,19 हाई स्कूल पास विधायक हैं। शैक्षणिक योग्यता को छिपाने वालों में बसपा के 42, सपा के 9, भाजपा के 5, कांग्रेस के 2 और आरएलडी के एक विधायक का समावेश है। अब सवाल यह है कि ये जानकारी छिपाने वाले ये विधायक वाकई अपनी शैक्षणिक योग्यता से अनजान हैं या जानबूझकर इन्होंने अपनी योग्यताओं को छिपाया है।

राजा की रूखसती से कामत की लगी लाटरी

दूरसंचार मंत्री ए.राजा के टू जी स्पेक्ट्रम के चलते त्यागपत्र देने के बाद मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल के नए संचार मंत्री बनते ही दूरसंचार राज्यमंत्री गुरूदास कामत की मानो लाटरी लग गई है। कल तक राजा के मंत्री रहते हुए कामत को किनारे लगा दिया गया था। कहा जा रहा है कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा ने विभाग के संदिग्ध कामों में कामत की पूछताछ और अन्य दखल से खफा होकर कामथ को सभी महत्वपूर्ण कामों से हाशिए पर लगा दिया था। जब से कपिल सिब्बल ने काम काज संभाला है तब से कामथ एक बार फिर मुख्य धारा में लौट आए हैं। कपिल सिब्बल बार बार न केवल कामथ की बढाई करते नजर आते हैं वरन् मंच पर कामथ को बोलने का पर्याप्त अवसर भी प्रदान करते हैं। सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि मानव संसाधन मंत्रालय के भरी भरकम कामकाज के चलते सिब्बल द्वारा संचार मंत्रालय का काम बमुश्किल संभाला जा पा रहा है, सो उन्होंने कामथ की बैसाखी पर चलना ही बेहतर समझा है।

पुच्‍छल तारा

भारत में स्वास्थ्य को लेकर सरकारंे संजीदा होने का प्रहसन अवश्य ही करती हैं, किन्तु वास्वत में वे इस बारे में बहुत गंभीर नहीं हैं। सरकारें चाहे जो नियम बना लें किन्तु देश में निजी अस्पतालों द्वारा गरीबों का खून बखूबी चूसा जा रहा है। अहमदाबाद से सन्नी अर्गल ने एक ईमेल भेजा है। वे लिखते हैं कि एक व्यक्ति बीमार पड़ा तो अस्पताल में काफी दिन रहने के बाद बीमार पड़े पति को उसकी पत्नि ने आश्वासन देते हुए कहा कि प्रिये चिंता मत करो, तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगे। पिछले दस दिनों में अस्पताल का बिल बढ़कर तीन लाख हो गया है, और वे बिल की राशि तुमसे वसूले बिना तुम्हें मरने कतई न देंगे।

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हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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