समय आ गया सिख सिंहों के पंच ककार दस गुरुओं को अपनाने का

—विनय कुमार विनायक
सुनो सुप्त हिन्दुओं अब जग जा अब समय आ गया
सिख सिंहों के पंच ककार दश गुरुओं को अपनाने का!

राम कृष्ण बुद्ध जिन की संतति समस्त हिन्दुओं को
दशमेश गुरु गोबिंदसिंह सा केसरिया बाना पहनाने का!

जबतक जाति रहेगी,हिन्दू धर्मी एकमेव नहीं हो पाता,
वीर सिंह बनकर मिथ्या जातिवाद भेदभाव मिटाने का!

तोड़ फेंको उस मिथक को जो कहता ब्राह्मण सिर से,
क्षत्रिय भुजा से, वैश्य जंघा से व शूद्र पैदा हुए पैर से!

ये नहीं वेद की सद् उक्ति, ऐसी नहीं मानव की सृष्टि
मिटाओ मानव को ऊंच-नीच में बांटने की ऐसी कुरीति!

बचाओ नष्ट हो जाने से हिन्दुत्व और हिन्दू जाति को
सारे अवतार तीर्थंकर बुद्ध गुरुओं ने जाति नकार दिए!

इसी हिन्दू धर्म व हिन्दुत्व की रक्षा में शहीद हो गए
सिखों के पंचमगुरु अर्जुनदेव जहांगीर के गर्म तवे पर!

नवें गुरु तेगबहादुर ने शीश कटाई बर्बर औरंगजेब से
कश्मीरी पंडितों को मुसलमान बनाने के फरमान पर!

गुरु गोविंदसिंह ने सर्वबंश बली चढ़ाई हिन्दु आन पर,
गुरु गोबिंदसिंह ने हमें सिंह बनाया जाति समान कर!

गुरु अर्जुन देव को हिन्दुत्व के लिए जहांगीर ने मारा,
गुरु तेगबहादुर ने कश्मीरी पंडितों के लिए प्राण वारा!

गुरु गोविन्द सिंह ने चार पुत्रों सहित शहादत दी थी,
हिन्दुओं से जाति छोड़कर एक होने की बात की थी!

इन गुरुओं के उपकार के लिए हिन्दुओं सिख हो जा,
सिखों ने हिन्दु धर्म की रक्षा प्रत्येक अवसर पर की!

आज बड़े खतरे में पड़ गए हिन्दुत्व और हिन्दू धर्म,
हिन्दुत्व छोड़ चुके जन ने अपनाया अमानवीय कर्म!

तुम क्यों पोथी पत्री पंडितों के नाहक फेर में पड़े हो
अगर कर्मकांड में शक्ति होती तो गुरु क्यों शीश देते!

तुम भाग्य विधाता ईश्वर बन सकते पर ब्राह्मण नहीं,
तुम क्षत्रिय थे क्षत्रिय से बिखरे,खत्री खेतिहर एक सभी!
—विनय कुमार विनायक

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