‘कोरोना’ का संक्रमण रोकने हेतु विश्‍वभर में हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण आरंभ होना ही हिन्दू धर्म की महानता !

‘नमस्कार’, ‘आयुर्वेद’, ‘शाकाहार’ आदि को अपनाकर स्वस्थ और आनंदित रहें !

विश्‍वभर में उत्पात मचानेवाले कोरोना विषाणु के संक्रमण के कारण अनेक देश बाधित हैं । कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या प्रतिदिन बढ रही है । इस संक्रमण को रोकने हेतु एक-दूसरे से मिलने पर ‘शेक-हैन्ड’ अर्थात हाथ मिलाना, ‘हग’ अर्थात गले लगना, चुंबन लेना आदि पाश्‍चात्य पद्धति भी कारणभूत सिद्ध हो रहे हैं, यह ध्यान में आने पर अनेक पाश्‍चात्य देशों में अब ‘नमस्ते’ बोलने की पद्धति प्रचलित हुई है । जिन अंग्रेजों ने हम पर 150 से भी अधिक वर्षों तक राज्य कर हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया, उसी इंग्लैंड के प्रिंस चार्ल्स एवं पोर्तुगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा सहित अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प, जर्मनी की चांसलर एंजेला मॉर्केल, फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युएल मैक्रॉन, आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वराडकर आदि अनेक देशों के राष्ट्रप्रमुखों के साथ ही अनेक वरिष्ठ नेताआें ने अब हिन्दू संस्कृति के अनुसार ‘नमस्कार’ पद्धति को अपनाना आरंभ कर दिया है । इस्राईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यानाहू ने तो ‘कोरोना से बचने हेतु भारतीय आचरणपद्धति को अपनाएं’, यह आवाहन ही किया है । इसके साथ ही हमारे प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी ने भी विश्‍व से ‘नमस्कार’ पद्धति अपनाने का आवाहन किया है । विश्‍वभर में हिन्दू संस्कृति के अनुसार किए जानेवाले कृत्य इस हिन्दू संस्कृति की महानता को दर्शाते हैं । हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण समय की मांग हो गई है, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति ने कहा है ।
इसके अतिरिक्त हिन्दुआें के धर्मग्रंथों में से प्राचीन चरक संहिता में ‘जनपदोध्वंस’ अर्थात ‘महामारी’ का केवल उल्लेख ही नहीं, अपितु उसके उपाय भी दिए हैं । महामारी न आए; इसके लिए प्रतिदिन करने आवश्यक पद्धतियां भी बताई हैं, जो आज के संक्रमणकारी रोगों पर अचूकता से लागू होती हैं । आयुर्वेद बताता है, ‘अधर्माचरण’ ही सभी रोगों का मूल है । ऐसे अनेक संक्रामक रोगों पर आयुर्वेदिक चिकित्सा लागू होती है । हमारी संस्कृति हमें किसी का जूठा अन्न न खाना, बाहर से घर आने पर मुंह-हाथ-पैर धोकर ही घर में प्रवेश करना जैसे अनेक कृत्य बताती है । चीन में कोरोना फैलने के पीछे ‘विविध पशुआें का अधपका मांस खाना’ भी एक कारण सामने आया था । उसके कारण अब मांसाहार से दूर जानेवालों की संख्या भी लक्षणीय है । हिन्दू धर्म में मांसाहार वर्जित बताया है और शाकाहार का आग्रह किया है ।
हमारे घर में भी नित्य धर्माचरण के कृत्य, उदा. धूप दिखाना, उदबत्ती लगाना, घी का दीप जलाना, तुलसी वृंदावन की पूजा-अर्चना करना, गोमय से भूमि लीपना, कपूर आरती उतारना, अग्निहोत्र करना आदि अनेक नित्य कृत्यों के कारण वातावरण की शुद्धि होती है । ऐसी वास्तुआें में कोरोना जैसे विषाणुआें के प्रवेश करने का अनुपात अत्यल्प होता है । हिन्दू संस्कृति में बताए धर्माचरण के कृत्य लाभदायक सिद्ध होते हैं, अब यह संपूर्ण विश्‍व के ध्यान में आ रहा है; परंतु दुर्भाग्यवश कुछ बुद्धिजीवी हिन्दू अभी भी हिन्दुआें के धर्माचरण को पिछडा मानकर उसका उपहास उडाते हैं । हिन्दू संस्कृति में बताए  धर्माचरण के कृत्य अब वैज्ञानिक दृष्टि से भी योग्य होने का प्रमाणित हुआ है । हमारे पूर्वजों द्वारा संजोए नमस्कार करना, नित्य जीवन में आयुर्वेद का उपयोग करना, शाकाहार सेवन करने सहित धर्माचरण के विविध कृत्यों को आज भी अपनाया गया, तो हमें अवश्य ही स्वस्थ और आनंदित जीवन व्यतीत करना संभव होगा, हिन्दू जनजागृति समिति ने ऐसा आवाहन किया है ।
आपका विनम्र,

सुरेश मुंजाल

समन्वयक

हिन्दू जनजागृति समिति

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here