—विनय कुमार विनायक
वर्तमान हिन्दू धर्म बौद्ध जैन धर्म का ब्राह्मणीकरण है,
बुद्ध ने कहा ‘एस धम्मो सनंतनो’ धम्म ही सनातन है!
सच यह है कि बौद्ध धर्म का धम्म ही सनातन धर्म है,
बुद्ध का ये धम्म सनातन है,सनातन कोई धर्म नहीं है!
बुद्ध के धम्म औ वैदिक धर्म में अंतर होता बहुत अधिक,
धम्म ईश्वर विहीन नास्तिक,धर्म है ईश्वर युक्त आस्तिक!
वैदिक धर्म है ब्राह्मण प्रवृत्ति,अवैदिक धर्म श्रमण संस्कृति,
ब्राह्मण में पशुबलि की वृत्ति,श्रमण में सबसे समान प्रीति!
वैदिक धर्म पूर्व था बौद्ध जैन चार्वाक आजीवक अवैदिक,
ब्राह्मण धर्म के बाद और साथ भी चल रही श्रमण रीति!
बुद्ध पूर्व सत्ताईस बुद्ध हुए,महावीर पूर्व तेईस तीर्थंकर थे,
बुद्ध को ईश्वर में अनास्था, जिन का कर्मफल से वास्ता!
बौद्ध धर्म में बुद्ध की सुरक्षा में इन्द्र और ब्रह्मा रहते,
बौद्ध धर्म में बोधिसत्व वे जो बुद्धत्व हेतु उन्मुख होते!
बौद्ध धर्म के बोधिसत्व मंजूश्री तारा देवी हैं, दुर्गा काली,
बोधिसत्व अवलोकितेश्वर ही है अर्धनारीश्वर शिवा भवानी!
बौद्ध धर्म के महायान वज्रयान तंत्रयान शाखाओं की मूर्ति,
सनातन परम्परा के हिन्दुओं में मूर्तिपूजा रुप में विकसित!
बौद्ध धर्म की तांत्रिक मूर्तियाँ बनी हिन्दुओं की देवी-देवियाँ
अनीश्वरवादी बुद्ध से अवलोकितेश्वर लोकेश्वर ईश्वर हुआ!
अवलोकितेश्वर नीलकंठ पद्मपाणि मूर्ति के सिर पर बुद्ध,
उस शुद्ध बुद्ध को पुरोहितों ने हटाकर बना दिए शिव रुद्र!
हिन्दू धर्म की उलूक वाहिनी धन की देवी महालक्ष्मी होती
भगवान गौतम बुद्ध की माता श्री महामाया देवी भगवती!
यही धन की देवी पुराणों की समुद्र सुता विष्णु की पत्नी,
जिसे एथेंस में एथेना, रोम में मिनर्वा नाम से पूजी जाती!
चौरासी सिद्ध और नौ नाथ बौद्ध धर्म के ही अनुयाई थे,
जिनके आदिनाथ मछेन्दरनाथ के शिष्य गोरखनाथ हुए थे!
नाथ सम्प्रदाय के गुरु गोरखनाथ शिव के अवतार कहे जाते,
नाथ सम्प्रदाय के सभी गुरु योगी आज भी गैरब्राह्मण होते!
आज का हिन्दू धर्म बौद्ध जैन धर्म का परिवर्तित रूपांतरण,
जिसमें मठ-मन्दिर के श्रमण को हटा पुजारी हो गए ब्राह्मण!
ये ब्राह्मण वैदिक धर्म के कर्मकांड पशुबलि करनेवाले याज्ञिक,
वेद आरण्यक ब्राह्मण उपनिषद जिंद अवेस्ता ईरानी पौराणिक!
आज जैन बौद्ध वैदिक और सिख मिलकर हिन्दू कहलाने लगे,
हिन्दू का आरंभिक अर्थ सिन्धु नदी के इस पार के निवासी थे!
हिन्दू कोई धर्म नहीं था ये था बसोबास की भौगोलिक स्थिति,
जिसे जिंद अवेस्तावादी पारसी-ईरानी जन ने हमें किए नामित!
जरस्थुस्थी पारसी ईरानी भारतीय आर्यों के बंधु-बांधव प्रतिद्वंदी,
उभय देवता इन्द्र वरुण अग्नि सूर्य यम, साझी वैदिक संस्कृति!
ये वैदिक देवता पशुबलि मांस भक्षक ब्राह्मण व पारसी के रक्षक,
मगर भारतीय समाज मिश्रित सामासिक मांसभक्षी और अहिंसक!
वैदिक श्रोत्रिय ब्राह्मण याजक समांस मधुपर्क करते भोजन ग्रहण,
मगर गैरब्राह्मण क्षत्रिय राजन कृषक श्रेष्ठी निरामिष जैन श्रमण!
प्रथम स्वायंभुव मन्वन्तर के प्रथम राजा और तीर्थंकर ऋषभदेव से
महावीर काल के बाद हर्यक शिशुनाग नंद व चंद्रगुप्त मौर्य जैन थे!
चंद्रगुप्त जैन बिन्दुसार आजीवक अशोक से बृहद्रथ तक बौद्ध राजन,
इनके बाद शुंग कण्व सातवाहन तीनों थे वैदिक पशुबलिवादी ब्राह्मण!
इन ब्राह्मण शासकों के बाद गुप्त हर्ष पाल शासक बौद्ध अहिंसक थे,
महायानी सम्राट कुमारगुप्त नालंदा बौद्ध विश्वविद्यालय संस्थापक थे!
गुप्त राजवंश वैदिक हिन्दू होते तो बौद्ध विश्वविद्यालय क्यों बनाते?
हर्षवर्द्धन बौद्ध नालंदा विहार के संरक्षक,पाल वज्रयानी बौद्ध धर्म के!
गोपाल उदंतपुरी धर्मपाल विक्रमशिला विश्वविद्यालय के निर्माणकर्ता,
जो थे वसुंधरा को वज्रयानी बौद्ध धर्म की निशुल्क शिक्षा दानदाता!
ईसा पूर्व पाँच सौ चौवालीस से हर्यक शिशुनाग नंद मौर्य वंशी शासक
जैन बौद्ध थे फिर शुंग कण्व सातवाहन को छोड़ बौद्ध थे पाल तक!
यानि बारहवीं सदी के अंत तक बख्तियार खिलजी द्वारा बौद्ध विहार
नालंदा उदंतपुरी विक्रमशिला जलाने तक मगध का राजधर्म बौद्ध था!
इसके बाद ही भारत में बौद्ध धर्म का क्षय और हिन्दू धर्म उदय हुआ,
ये हिन्दू धर्म कुछ और नहीं बौद्ध जैन का वैदिक धर्म में विलय हुआ!
सारे क्षत्रिय राजाओं को ब्राह्मणों द्वारा वर्णसंकर जातियों में बांटी गई,
हर्यक शिशुनाग नंद मौर्य गुप्त मौखरी पाल सेन वृषल जाति कही गई!
बौद्ध धर्म से हिन्दू धर्म बनने पर ब्राह्मण जाति का वर्चस्व बढ़ गया,
मौर्य कोरी नंद नाई गुप्त हर्ष वणिक पाल गरेड़ी सेन कायस्थ हो गया!
अब धर्म पंथ मत को भी जातियों में बांट दी गई, जैन का अर्थ बनिया,
बौद्ध शूद्र, सिख सोढ़ी खत्री जाट पंजाबी,वैदिक धर्म द्विज का हो गया!
हिन्दू बौद्ध भूमि कश्मीर कन्नौज बिहार बंगाल कलिंग असम केरल तक
बौद्ध जन ही शैव शाक्त वैष्णव,श्रमण हो गए ब्राह्मण शक मग याजक!
ब्राह्मणों ने लगातार वेद पुराण श्रुति स्मृति शास्त्र लेखन में सुधार किया,
गैरब्राह्मण वर्ण और जातियाँ बनाई,ब्राह्मण जाति का स्तर उद्धार किया!
वाल्मीकि भवभूति तुलसी ने राम कथा लिखी,व्यास ने महाभारत पुराण,
सारे राजा प्रजा को वर्णसंकर,ऋषि कवि लेखकों का किया ब्राह्मणीकरण!
वैसे ऋषि भी ब्राह्मण बनाए गए जो जन्मे शूद्र कन्या से अवैध जारज,
वशिष्ठ शक्ति पराशर व्यास थे गणिका शूद्रा श्वपाकी मल्लाही कुक्षिज!
अनुलोम प्रतिलोम विवाह के झूठे विधि विधान से बनी घृणित जातियाँ,
किसी को सवर्ण असवर्ण किसी को व्रात्य वर्णसंकर कही गई कुजातियाँ!
बौद्ध जैन धर्म में नहीं थी जाति हिन्दुओं में जातिवाद सबसे बड़ी बुराई
हिन्दू को जातिगत भेदभाव से मुक्ति चाहिए जाति ईश्वर ने नहीं बनाई!
–विनय कुमार विनायक