विवेक कुमार पाठक
टीवी सिर्फ सास बहू के झगड़े दिखाने वाला जरिया नहीं है। टीवी आपका मनोरंजन करते हुए भी आपको जागरुक बना सकता है। पढऩा-लिखना सिखा सकता है। बीमारी से बचा सकता है। कुरीतियों से आजादी दिला सकता है। ये सब मनोरंजन करते करते भी किया जा सकता है। मैं कुछ भी कर सकती हूं सीरियल की कामयाबी भी आप सबसे यही कहती है।
यह कहना है दूरदर्शन के चर्चित सीरियल मैं कुछ भी कर सकती हूं की नायिका डॉ. स्नेहा माथुर का मतलब स्नेहा का किरदार जीने वाली अभिनेत्री मीनल वैष्णव का। मीनल से स्वदेश की मोबाइल पर लंबी चर्चा हुई है। पेश है बातचीत के मुख्य अंश।
प्रश्न: डॉ. स्नेहा माथुर उमंग और उत्साह जगाने वाली नायिका हैं। वे समाज की बुराइयों का इलाज कर रही हैं। टीवी की ये नायिका कहां की हैं?
मीनल: मैं पर्दे पर नायिका हूं मगर असल जीवन में भी मेरी कहानी डॉ. स्नेहा के काफी नजदीक है। मैं राजस्थान के महासमंद जिले की रहने वाली हूं। डॉ. स्नेहा जो लड़ाई समाज की भलाई के लिए लड़ रही है वैसी लड़ाई मैंने अपने समय पूर्व विवाह को रोकने के लिए लड़ी।
प्रश्न: क्या वाकया रहा आपके साथ तब?
मीनल: मेरे परिवार ने मेरी शादी जल्दी तय कर दी। मुझ पर दबाव बनाया गया। मैंने पुलिस थाने में शिकायत की मगर वापस आने पर घर में वही शादी का राग शुरू हो गया। मैं डटी रही आखिर घर वालों को हार माननी पड़ी।
प्रश्न: अभिनय के क्षेत्र में कैसे आना हुआ?
मीनल: ये बस अकस्मात रहा। मैं कई क्षेत्रों में काम कर चुकी थी। इस दौरान मेरे एक लेखक दोस्त ने मुझसे कहा कि तुम्हें एक्टिंग की फील्ड में आना चाहिए। मैं बचपन से ड्रामा, डिबेट आदि कर चुकी थी इसलिए मुझे स्टेज का डर न था। अचानक एक दिन मुझे एक शुभचिंतक का फोन आता है। मुझे ऑडीशन देने बोला गया था। मैं गई और सब कुछ अच्छा होता चला गया।
प्रश्न: आपको सफलता मिली फिर?
मीनल: मैं वही बता रही थी।ऑडिशन देने से पहले मैं नहीं जानती थी कि निर्देशक फिरोज खान की शख्सियत क्या है। मैंने न कुछ जाने समझे सहज ऑडीशन दिया जो शानदार रहा और इस तरह मैं मैं कुछ भी कर सकती हूं सीरियल की डॉ. स्नेहा माथुर बन गयी।
प्रश्न: मैं कुछ भी कर सकती हूं सीरियल आपकी नजर में क्या है?
मीनल: असल में यह मीनल या डॉ. स्नेहा माथुर की नहीं देश की हर युवती , हर महिला और हर उस बच्ची की कहानी है जो अच्छाई के लिए लड़ रही है। वे सभी जो अपने अपने स्तर पर समाज में बदलाव लाना चाह रहे हैं वे सभी डॉ. स्नेहा माथुर जैसे ही हैं। संघर्ष हर तरफ है। डॉ. स्नेहा का किरदार उनसे लड़कर जीतने की बात कहता है।
प्रश्न: मैं कुछ भी कर सकती हूं जैसे सीरियल अन्य चैनलों पर क्यों दिखते। ऐसा हो इसके लिए क्या होना चाहिए?
मीनल: मैं कुछ भी कर सकती हूं मनोरंजन के साथ शिक्षा और समाज जागरुकता का अद्भुत तालमेल है। यह सीरियल पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया का टीम एफर्ट है। ऐसे बेहतर सीरियल पहले भी बने हैं। कविता चौधरी का उड़ान, मृगनयनी, रामायण, महाभारत जैसे तमाम सीरियल मनोरंजन के साथ ज्ञान बढ़ाने वाले रहे। इस तरह के सीरियल लगातार बनने चाहिए। कम से कम हर चैनल के लिए प्राइम टाइम में एक या दो सीरियल तो सरकार को आवश्यक कर देना चाहिए।
प्रश्न: आपने और कहां कहां काम किया?
मीनल: मुझे भी सास बहू सीरियल के तमाम ऑफर मिले हैं। मैं उन्हें कर सकती थी मगर लगता था कि इनके जरिए मैं घर-घर सबको षड्यंत्र करना ही सिखाऊंगी। बच्चे ऐसे सीरियल देखकर बड़ों की तरह बात करने लगे हैं। मुझे आत्मसंतुष्टि नहीं हुई। इसलिए मैंने मन का काम ही चुना। मैं अभी तक कई एड, सावधान इंडिया आदि में काम कर चुकी हूं।
प्रश्न: सामाजिक बदलाव के लिए टीवी की भूमिका कैसे बढ़ेगी?
मीनल: सैटेलाइट चैनल मनोरंजन बेचते हैं मगर वे ऐसा करते हुए समाज को कुछ न कुछ अच्छे मैसेज दे सकते हैं। अभी प्रयास होते हैं मगर बाद में दिशा भटक जाते हैं ऐसे कई सीरियल। इस भाव को बढ़ाने सरकार को आगे आना होगा। हर चैनल पर कुछ अच्छे सीरियल और शो आएंगे तो ऐसे काम और उसके प्रशंसकों का दायरा बढ़ेगा। कुल मिलाकर बदलाव के लिए सब तरफ से प्रयास जरुरी हैं।
प्रश्न: मैं कुछ भी कर सकती हूं की यात्रा अब तक कैसी रही?
मीनल: हम आशा से कहीं बढ़कर कामयाब हुए हैं। 5 साल से ये शो देश के दूरदर्शन दर्शकों द्वारा देखा जा रहा है। हमने जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित तमाम मुद्दे मनोरंजन के के साथ ड्रामा बनाकर पेश किए। इतने सारे लोगों ने ये सब देखा जो सबसे बड़ी सफलता है। हमने दर्शकों से निरंतर संवाद का नेटवर्क बनाया है। सच मैं हमने जाना कि हम कुछ भी कर सकते हैं