संघ-भाजपा: रिमोट कंट्रोल

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा सरकार के बीच जो तीन-दिवसीय संवाद हुआ, क्या उसे ‘रिमोट कंट्रोल’ कहा जा सकता है?कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ने इस प्रक्रिया को यही कहा है। उन्होंने इसे अलोकतांत्रिक बताया है। इन दोनों पार्टियों से हमें इसी अलोचना की आशा करनी चाहिए, क्योंकि ये दोनों ही ‘रिमोट कंट्रोल’ की शिकार रही हैं। एक इंदिरा गांधी के परिवार और दूसरी सोवियत रुस के रिमाट कंट्रोल की! लेकिन असलियत क्या है?आज नरेंद्र मोदी की सरकार इतनी सक्षम है कि संघ उसे गिरा नहीं सकता और संघ इतना स्वायत्त है कि सरकार उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती। अर्थात कोई किसी के नियंत्रण में नहीं है। संघ संघ है, संसद नहीं है। संघ-जैसी किसी भी संस्था के साथ यदि प्रधानमंत्री और उसके मंत्री संवाद करते हैं तो इसमें बुराई क्या है? यह तो लोकतंत्र को अधिक सार्थक बनाना है। यह प्रश्न भी हो सकता है कि संवाद सिर्फ संघ से ही क्यों? यह प्रश्न उचित है। इसका उत्तर भी स्पष्ट है। संघ से भाजपा का खुला संबंध है। उसमें कुछ दुराव-छिपाव नहीं है। संघ के अलावा भी अनेक व्यावसायिक और सांस्कृतिक संगठनों के साथ मंत्रिगण खुले-विचार-विमर्श में भाग लेते हैं। आशा है, यह सरकार कभी भूले-भटके अपने ‘मार्गदर्शक मंडल’ को भी याद करेगी।

 

मोदी जैसे प्रधानमंत्री की सरकार के लिए इस तरह का संवाद तो वरदान है। कोई शक्ति देश में ऐसी तो है, जो इस सरकार को ठीक पटरी पर चलने की नसीहत दे सकती है। जो बुद्धिजीवी, पत्रकार और समाजसेवी मोदी की निंदा जमकर किया करते थे, आजकल उनकी हवा खिसकी हुई है। उनकी कलम और जबान लड़खड़ाती रहती है। ऐसे में यदि संघ के प्रमुख और प्रचारकों ने मंत्रियों को जनता की आवाज दो-टूक ढंग से सुनाई तो लोकतंत्र मजबूत हुआ,या कमजोर? मार्क्‍सवादी शब्दावली में इसे राजनीतिक आलोचना-आत्मालोचना कहा जाता है। तीन-दिन की बैठक में अंदर क्या-क्या हुआ, इसे पता लगाने में हमारे पत्रकार असफल रहे लेकिन जो कुछ भी रिस-रिसकर बाहर आया है, उससे यह अंदाज लगता है कि मोदी और मंत्रियों को अच्छी तरह बता दिया गया है कि सरकार की लोकप्रियता दिनों दिन घट रही है, क्योंकि ठोस परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। संघ ने सिर्फ अपना मूल्यांकन प्रस्तुत किया है, अब उससे सबक लेना न लेना सरकार पर निर्भर है। यदि सरकार का ढर्रा इसी तरह चलता रहा तो यह असंभव नहीं कि संघ भी हाथ खड़े कर दे। संघ का जनता से सीधा जुड़ाव है। उसे अभी भी आशा है कि यह सरकार पिछली सरकारों से बेहतर होगी।

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