प्रवीण दुबे
कोई सोच भी नहीं सकता था कि विश्वकप से पहले जो क्रिकेट टीम लगातार निराशाजनक प्रदर्शन कर रही थी वह इतने शानदार ढंग से क्वार्टर फाइनल में प्रवेश करेगी। टीम इंडिया ने अपने शुरुआती पांच मैचों में विपक्षी टीमों को जिस प्रकार धूल चटाई वह अपने आप में आश्चर्यजनक कहा जा सकता है। ऐसा इस कारण से नहीं कि भारतीय क्रिकेट टीम में इन विदेशी प्रतिद्वंद्वी टीमों को हराने का दम-खम नहीं है बल्कि इस कारण से आश्चर्यजनक है क्योंकि यह टीम अचानक शून्य से शिखर पर जा पहुंची है।
यह वही टीम थी जो विश्वकप से ठीक पहले आस्टे्रलिया में टेस्ट और वनडे के साथ त्रिकोणीय शृंखला में लगातार असफल रही थी, इसके तमाम चोटी के बल्लेबाज आउट फार्म में थे और गेंदबाजी इस टीम का सबसे कमजोर पक्ष माना जा रहा था। इस टीम की लगातार आलोचना पर आलोचना हो रही थी और तमाम विशेषज्ञ यह मान कर चल रहे थे कि इस बार के विश्वकप में भारत की चुनौती नहीं के बराबर जैसी होगी। ऐसे हालात में टीम इंडिया ने सारे कयासों को न केवल उलटकर रख दिया बल्कि आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया के विशेषज्ञ क्रिकेटर इस टीम को विश्वकप का सबसे प्रबल दावेदार मानकर चल रहे हैं।
जिस टीम की गेंदबाजी को सबसे कमजोर माना जा रहा था उस भारतीय टीम के गेंदबाजों के प्रदर्शन से क्रिकेटिया बिरादरी थर्रा सी गई है। यह बात यहां यूं ही नहीं लिखी जा रही आंकड़े इस बात की स्वत: गवाही दे रहे हैं। टीम इंडिया के गेंदबाजों के शानदार प्रदर्शन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व कप के लगातार पांच मैचों में पूरी की पूरी विपक्षी टीम को पवेलियन का रास्ता दिखाया गया है। बात यहीं समाप्त नहीं होती भारतीय टीम के गेंदबाजों ने विश्वकप के पांचों मैचों में किसी भी टीम को पूरे 50 ओवर तक मैदान में डटे नहीं रहने दिया। दुनिया की दिग्गज टीमों में शामिल दक्षिण अफ्रीका हो या भारत का चिर-परिचित प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान अथवा उटलफेर करने में सक्षम वेस्टइंडीज इनमें से किसी के बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजी का 50 ओवर तक सामना नहीं कर सके। बात गेंदबाजी की ही नहीं बल्लेबाजी में भी जिस प्रकार से शिखर धवन, विरोट कोहली ने पहले ही मैच में अपनी खोई हुई फार्म वापस प्राप्त कर ली यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। रोहित शर्मा और शिखर धवन की प्रारंभिक जोड़ी को इस विश्वकप की सबसे खतरनाक और विश्वासपात्र ओपनिंग जोड़ी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए। आयरलैंड के खिलाफ जिस प्रकार रोहित-धवन ने 174 रन की साझेदारी की वह पहले विकेट के लिए भारतीय रिकार्ड है। इससे बेहतर प्रदर्शन और क्या होगा?
भारतीय टीम के इस शानदार प्रदर्शन और पूरी की पूरी टीम में जो तालमेल, सामंजस्य और एकजुटता नजर आ रही है उसके पीछे भारतीय कोच रवि शा ी की मेहनत और प्रतिभा का नि:संदेह बेहद प्रमुख योगदान कहा जा सकता है। जो टीम आत्मबल से कमजोर थी और जिस टीम को चुनौती से बाहर माना जा रहा था उसमें जीत का विश्वास पैदा करना कोई सरल काम नहीं था और यह काम रवि शास्त्री ने कर दिखाया है। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है।
अब जरुरत इस बात की है कि शेष बचे हुए मैच जो कि बेहद महत्वपूर्ण हैं, में भी भारतीय खिलाड़ी इसी प्रकार अपना आत्मविश्वास कायम रखें और विश्वकप जीतने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ें। यदि टीम इसी प्रकार से एकजुट होकर चुनौती प्रस्तुत करती रही तो हमें विश्वविजेता बनने से कोई नहीं रोक पाएगा और इसकी पूरी संभावना भी है।