विकास का दीपक जलता रहे,मेरे इस देश में | घर घर दीवाली मने,हर क्षेत्र और हर वेश में || न की ज्योति जलते रहे,कोई भी अछूता न रहे | हर बालक को शिक्षा मिले,कोई भी अनपढ़ ने रहे ||
स्वच्छ भारत हम बनाये,कही भी हम गंदगी न करे | स्वच्छ हवा स्वच्छ जल,सबको मिले ऐसा प्रयत्न करे ||
इस दिवाली पर प्रण करे,कही भी प्रदुषण न फैलाये | जो रूठ गये है हमसे,उनको दिवाली पर गले लगाये ||
पोलिथीन से मुक्त हो देश,इसका हम सब बायकाट करे | खाये कसम इस दिवाली पर,कोई इसका उपयोग न करे ||
करे विदेशी सामान का बायकाट,इसकी खरीदारी न करे | हर हाथ को रोजगार मिले,हम ऐसी देश में व्यस्था करे ||
कोई भी भूखा न सोये,गरीबी का उन्मूलन करे देश में | विकास का दीपक जलता रहे,इस हमारे भारत देश में ||
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था|
संपर्क : 9971006425
बहुत सुंदर भाई साहब