विजय कुमार
अयोध्या प्रकरण पर सत्य के पक्ष में निर्णय आने पर कुछ दिन चुप रहकर अपनी आदत से मजबूर वामपंथी फिर वही उल्टा बाबरी राग गाने लगे। तब से मैं इनकी जन्मकुंडली का अध्ययन कर रहा हूं।
बचपन में जब मेरा परिचय कम्यूनिस्ट शब्द से हुआ, तो मैं इन्हें पशु समझता था; पर फिर पता लगा कि वे भी मनुष्य ही हैं। 1962 में भारत के कम्यूनिस्टों ने आक्रमणकारी चीन का समर्थन कर जो लानत बटोरी, उस कारण मेरे पिताजी उनसे बहुत घृणा करते थे। जब भी मैं इस बारे में पूछता, तो वे कम्यूनिस्टों की खूब बुराई करते। तब से मेरे मन में बैठ गया कि कम्यूनिस्ट अच्छे लोग नहीं होते; या फिर सब गंदे लोग कम्यूनिस्ट ही होते हैं।
एक गुंडा प्रायः हमारे विद्यालय के बाहर लड़कियों को छेड़ता था। एक दिन प्राचार्य जी ने उसे मुर्गा बनाकर लड़कियों से ही खूब जुतियाया। एक बार पुलिस वाले एक जेबकतरे को पीट रहे थे। दोनों बार मैंने घर आकर कहा कि आज एक कम्यूनिस्ट की बहुत पिटाई हुई। इस पर पिताजी ने मुझे समझाया कि हर कम्यूनिस्ट चोर या गुंडा हो, यह जरूरी नहीं है। कुछ कम्यूनिस्ट अच्छे भी होते हैं।
इससे मैं फिर भ्रम में पड़ गया। बी.ए के राजनीति शास्त्र के पाठ्यक्रम में कम्यूनिस्टों पर भी एक अध्याय था। मेरे अध्यापक ने पुस्तक की परिभाषाओं के साथ उनकी एक सरल पहचान बताते हुए कहा कि कम्यूनिस्टों को वामपंथी भी कहते हैं। वाम अर्थात बायां या उल्टा। यानि जो सदा उल्टा काम करे, जो अपनी बात को बार-बार उलटता रहे, जो तर्क-वितर्क की बजाय कुतर्क और मारपीट में विश्वास करे, वह वामपंथी है।
पर कौन सा काम उल्टा है और कौन सा सीधा; दो लोग एक ही काम को अपनी-अपनी समझ के अनुसार उल्टा या सीधा मान सकते हैं ? इस पर उन्होंने कहा कि जो काम देशहित में हो, उसे ही सीधा और ठीक मानो। यह बात तब से मेरे दिमाग में जमी है। मैं यह भी समझ गया कि भाकपा, माकपा, नक्सली, माओवादी आदि को क्यों एक ही बिरादरी का माना जाता है ? मैंने कुछ और सोचा, तो ध्यान में आया कि उल्टे हाथ से काम करना प्रायः भारत में खराब माना जाता है। माता-पिता बच्चों को सीधे हाथ से ही लिखना और खाना सिखाते हैं। यद्यपि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है; पर उल्टे हाथ से काम करने वाले को न जाने क्यों लोग मजाक में ‘खब्बू’ कहकर चिढ़ाते हैं।
साहित्य जगत में भी ‘विधाता वाम’ होने का अर्थ है कि ईश्वर और भाग्य अनुकूल नहीं है। उल्टे बांस बरेली को, उल्टी गंगा बहाना, उल्टी खोपड़ी आदि कहावतें और कबीर की उलटबासियां भी प्रसिद्ध हैं। कुछ घड़ियां उल्टी रखने पर ही ठीक समय देती हैं। कुछ लोग सदा उल्टी बात कहने और उल्टा काम करने के लिए बदनाम होते हैं। समझदार लोग इनसे दूर ही रहते हैं।
कई वर्ष पूर्व दूरदर्शन पर हास्य कलाकार जसपाल भट्टी का ‘उल्टा-पुल्टा’ कार्यक्रम बहुत प्रसिद्ध हुआ था। एक सनकी ने ‘अराउंड दि वर्ल्ड, बैकवर्ड’ कार्यक्रम के अन्तर्गत पूरी दुनिया को उल्टे चलकर नापा था। जोकर हाथों के बल उल्टा चलकर और लालू जी अपनी उल्टी बातों से खूब तालियां बटोर लेते हैं।
मेरे पड़ोसी शर्मा जी हर दिन सुबह गर्म पानी पीकर, मंुह में उंगली डालकर उल्टी करते हैं। इसे वे ‘कुंजर क्रिया’ कहते हैं। उनका मत है कि यदि वामपंथी भी यह करें, तो उनके पेट की ही नहीं, दिमाग की गंदगी भी कम हो सकती है।
कुछ विद्वानों के अनुसार यह उल्टापन वामपंथियों की जन्मकुंडली में ही नहीं, कर्मकुंडली में भी है। इसीलिए वे रूस या चीन में वर्षा होने पर बरसाती और बर्फ पड़ने पर कोट पहन लेते हैं। वर्मा जी इसे उनका ‘मैन्यूफैक्चरिंग डिफैक्ट’ बताते हैं।
इस अध्ययन से मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इन वामपंथियों के साथ कुछ न कुछ उल्टा जरूर है। इसका कारण और निदान जानने के लिए अब मैं किसी सीधे ज्योतिषी की तलाश में हूं।
चिखो चिल्लाओ, नारा लगाओ।
सुनता हमारी कौन हैं?
(सारे बोलने में व्यस्त है।)
इसीके अभ्यस्त है।
लिखो लिखो झूठा इतिहास।
हमारा भी नहीं बिस्वास ।
पढता उसे कौन है ?
चीखो, चिल्लावो, नारा लगावो।
करना धरना कुछ, नहीं।
नारा लगाना कार्य है।
नारा लगाना क्रांति है।
यही तो भ्रांति है।
हिंदू संस्कृति मुर्दाबाद।
वेद वेदांत, मुर्दाबाद ।
बस जाति खत्म हो गयी।
हिंदु संस्कृति खत्म हो गयी।
जाति तोडो, पांति तोडो।
कुछ न टूटे तो,
निरपराधी सर तोडो।
रेलकी पटरियां उखाडो।
क्रांति हो गयी।
क्रांति की गाडी बढाओ।
और दाढ़ी बढाओ।
हप्ते, हप्ते नहाओ।
सिगरेट पिओ, गौ मांस खाओ।
शराब पीकर सो जाओ।
बस क्रांति हो गयी।
नारा लगाना देशसेवा।
पटरी उखाडना जन सेवा।
जितना बोलो—ज्यादा लिखो,
उससे भी ज्यादा छापो।
जो छपता है, वह खपता है।
कागज़पर क्रांति होती है।
कागज़पर होता है, नाम-
बस नाम कमाओ।
दाम कमाओ।
क्या हम नहीं जानते?
क्रांति कोई सच नहीं।
क्रांति तो एक “सपना” है।
पर, यार वह “सपना” जो
सेविका बनने आयी थी।
क्या परी है।
छप्पन छूरी है।
ऐसी सपना मिल जाय,
तो मार गोली क्रांति को।
रचनात्मक कार्य करे वह आर एस एस वाले।
हम तो तोड फोड करते हैं।
तोड फोड ही क्रांति है।
तोडो फोडो
तोडो फोडो
vijai bhai,
lal salam,badi maharbani he ki aap ham sab ko pashu samjhte rahe hain.
hahah vijay ji bahut jordar vyng likha hai ………..