कुत्ते हैं हम, इंसान नहीं !

 व्‍यंग्‍य आत्‍माराम यादव पीव 
   बात पुरानी है, मैंने सुना एक विदेशी कुत्ता हवाईजहाज से भारत आया तो भारत के कुत्तों ने उसके सम्मान में अपनी-अपनी पूंछ हिलाकर स्वागत किया। भारत के कुत्ते हवाईजहाज से आये अपनी विरादरी के कुत्ते के ठाठ-बाठ देखकर अन्दर ही अन्दर ईष्र्या से भरे थे, पर भारतीय संस्कृति को खूब समझते थे, बाबजूद अनमना होते हुये भी उन्होंने नकली मुस्कान अपने चेहरों पर लाते हुये उस विदेशी कुत्ते से कहा कि आपके  चरणकमल यहाॅ पड़ने करने से हमारी धरती धन्य हो गयी हैं। भारत की माटी महान है जहाॅ विदेशी कुत्ता भी पूरा सम्मान पाता है। यहाॅ दूध-दही की नदिया बहने से मक्खन के पहाड़ खड़े मिल जायेंगे कोई भी पूंछ हिलाकर  तो कोई सहलाकर वन्दना करने का अवसर खोना नहीं चाहते तभी विदेशी कुत्ता का यशोगान करते हुये उसकी विरादरी के कुत्तों द्वारा यह कहना कि  आपके चरणकमल के स्पर्श से धरती धन्य हो गयी, बड़ी विलक्षण बात है। कुत्तों ने विदेशी कुत्ते से पूंछा, यहाॅ भारत में कितने दिनों के लिये आये हो और कहाॅ-कहाॅ घूमने का विचार रखते हो, वह बोला घूमने नहीं यहा बसना चाहता हॅू, इटा रस्सी में तो अनुकूल वातावरण नहीं, नर्मदा के तट पर कहीं बस जायेंगे।
आज जब यह लिखने बैठा तो मेरे मित्र सुनील मालवीय आ टपके बोले, आप कुत्तों के पीछे, क्यों पड़ गये, इसके पहले सबसे बड़ी है मेरी पूंछ में कुत्ते को आगे करके तुमने आदमी की पूंछ सहलाई थी। मैंने उन्हें कहा, भैईये कुत्ता मेरे लिये आदर्श इसलिये है क्योंकि स्वर्ग में इंसान सशरीर नहीं पहुॅच सका किन्तु धर्मराज के साथ कुत्ता सशरीर पहुॅच गया इसलिये आपसे इस विषय को लेकर आगे लेखन जारी रखता हॅू। जब विदेशी कुत्ता नर्मदातट पर बसने की अपनी इच्छा व्यक्त करता है तब पीढ़ीदर-पीढ़ी निवास करते आये यहाॅ के कुत्तों को गुस्से के साथ उनके मुख से गुर्राहट निकलने को बैचेन थी, पर गुर्राहट छिपाकर उन्होंने पूछा, आपका स्वास्थ्य तो ठीक है? क्या कारण है जो विदेश छोड़कर अब यहीं बस जाना चाहते हो, क्या वहाॅ की जलवायु ठीक नहीं है? विदेशी कुत्ता बोला स्वास्थ्य ठीक है, जलवायु भी उत्तम है, सब ठीक है। सबसे अच्छी बात यहाॅ यह लगी कि यहाॅ भौंकने की पूरी आजादी है, कोई रोकता-टोकता नहीं है, जिसके तलबे चाटेंगे उसके दिल में जगह मिल जायेगी। खुशी से उसका दिया पटटा गले में लटकाये जहाॅ जिसपर, जैसे भी  भौंकने का मन करेंगा वैसा भौंककर ऐश करेंगें, जबकि विदेशों में यह पाबन्दी नहीं है, हमें प्रताड़ित करने पर मालिक जेल चला जाता है, अगर हम किसी पर हमला कर काट ले तो भी बंदिशें, इसलिये यहाॅ बसना ठीक है। बस क्या था,  विदेशी कुत्ता के शानदार रौब झाड़ने पर सभी लालबुझक्कडी कुत्तों ने उसे अपनी जमात में शामिल कर लिया।
आपकोे पढ़ने में बुरा लगेगा कि मैं कुत्ता को कुत्ता लिखकर कुत्ते का सम्मान नहीं कर रहा हॅूॅ। कुत्ता मेरे लिये बहुत आदरणीय है, पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के अवतारों में उन्हें भैरव माना है, वहीं संस्कृत भाषा में वक्रपुच्छ, श्वां, श्वान, सारमेय, कुक्कुर, शुनक आदि नामों से उसकी पहचान है वहीं देवनागरी हिन्दी भाषा में वह कुत्ता ही कहलाता है, इसीलिये कुत्ते को कुत्ता कहना गलत या अमर्यादित नहीं है। कुत्ता छोटा जानवर है और मजे की बात यह है कि उसकी दुम में मनुष्य का स्वभाव छिपा है, तभी मौका पाकर मनुष्य भी अपनी दुम दबाकर भागने और दूसरे की दुम को सहलाने की कला में निपुणता हासिल किये है।
मेरे मोहल्ले के कुछ लोग कुत्तों से ईष्र्या करते है वहीं मेरे फोटोग्राफर मित्रों को भी फालतू कुत्ते चुभते है। कुत्ते जब सुबह शाम सड़कों पर निकलते है तब पता नहीं चलता कि कुत्ता मालिक से बॅधा है, या मालिक कुत्ते से बॅधा है, खैर आप जो भी समझो, उस समय इन साफ-सुथरी सड़क पर कुत्ते फायरिंग कर ‘‘स्वच्छ भारत साफ भारत‘‘ पर दाग लगा जाते हैै तब कुत्तों की फायरिंग की पोस्टंें सोसलमीडिया पर धमाल करती है,तब फोटोग्राफर मित्रों को चुभने का कारण सामने आता हैं। जिनकेे घरों के सामने यह फायरिंग होती है तब वहाॅ के निवासियों तब राहत महसूस करते है जब उस फायरिंग कोे दो चार चैपाया वाहन टायरों में समेटकर सड़क साफ न कर दे, अन्यथा इन्हें साफ करनी होती है।
हमारे देश में ऋषि और कृषि तो सनातन परम्परायें है, जिसमें ऋषि में धर्म, कर्म और संस्कार तथा कृषि में आहार आता है। ऋषि में सारे उच्च, आदर्श और उदात्त मानवीय मूल्य से देश की पहचान है, फिर भी हमारे यहाॅ ज्यादा पढ़-लिखने के बाद आधुनिक बेटे बुजुर्गो को घर से बाहर कर देते है और उनकी जगह कुत्ते ले आते है, जिनके आदर्श टयूटर के सीईओ एलन मस्क जैसे लोग होते है जो अपने पालतू कुत्ता फ्लोकी को कम्पनी का सीईओ बनाकर अरबपति बनाते है। हम माॅ-बाप को भूल जाते है और पशुओं को घर में स्थान देकर उससे प्रेम कर घर के बुजुर्गों को वृद्धावस्था-यतीमखाने में पहुॅचा दे तो थोथी पशु प्रेम दीवानगी कहीं जायेगी जहाॅ कुत्ता शानदार शेम्पू खुशबूदार साबुन से स्नान के बाद मजे से शाही दाबत उडाये, बहु-बेटी,बेटे कुत्ता पर प्रेम की ब्यौछार करें, प्यार भरी थपकिया दे गोदी में बाजार में, कार में घुमाये तब कुत्ता कौन है, यह आप तय करें।
कुत्तों की पालतू बिरादरी का जिक्र चल रहा है और इस बिरादरी के कुत्ते मालिकों के घर उनके साथ रहते है। मालिक कुत्तों को पाकर स्वयं को धन्य समझ अपने दरवाजें पर ‘स्वागतम‘ को बोर्ड हटाकर नया बोर्ड ’’कुत्तों से सावधान‘‘ लगा लेता है। जो साबित करता है कि आज आदमी को आदमी से डर है, और आदमी की सुरक्षा कुत्ता कर रहा हैं, यह नैतिक पतन बताता है कि आदमी आदमी नहीं रहा, फिर भी खुदको आदमी कहते है। आदमी कुत्ता पालता है, पर कुत्ते से नहीं सीखता कि जब उसे रोटी दी जाती है तब वह पूंछ हिलाकर धन्यवाद देता है, वह रोटी खाते समय अपनी आॅखों से कृतज्ञता ज्ञापित तो करेगा ही, वहीं दो पैर उठाकर आपको नमस्कार भी करता है और पूरी वफादारी निभाकर अपने मालिक की सुरक्षा में अपने प्राण तक लगा देता है।
पालतू कुत्तों के ध्यान में ढूबे हुये मेरी अकल फालतू कुत्तों को भूल चुकी थी, अगर उनकी बात न करू तो उन तक मेरी कोई मुखबिरी कर देगा तब तो मेरा धरती पर जीना दूभर हो जायेगा। कारण हमारे देश में 20 हजार लोग प्रतिदिन इनकी नाराजगी पर इनके काटने पर इंजेक्शन लगवाते है। इसी डर से मैं फालतू कुत्तों का भी गुणगान कर रहा हॅू , अगर ऐसा न करू तो वे मुझे पक्षपाती मानकर मेरे घर से निकलने पर मुझ पर भौंकेंगे और जब मैं शहर के किसी भी मोहल्ले-सड़कों पर निकलूॅूगा तो हो सकता है वे गुस्से से भरे कुत्तापन में काटने के अपने स्वभाव को याद कर काटने से नहीं चॅूकेंगे। तो भैईये नहीं फालतू का एक बहुत बड़ा और जबजस्त समाज है जिसे अगर कोई रोटी डालें तो दूसरे कुत्तों से गुर्राकर खायेगा। अगर कोई भी गाॅव-शहर, मोहल्ले में इन्हें रोटी न दे तो ये चोरी करेंगा, किसी भी बच्चे-कमजोर के हाथ से लूटकर ले जायेगा। इनमें जो ताकतवर होता है वहीं मुखिया होता है, कई मोहल्लों में ये अपना गिरोह बनाकर लूटखसूट कर अपना पेट भरते है। आज दुनिया में फालतू कुत्तों का आंतक है जिनमें ये कुत्ते इंसानों के बीच रहते अपना कुत्तापन भूलते जा रहे है और इंसान इनके कुत्तापन को अपनाकर खुद को इंसान साबित करने पर लगे हैं।
चलते-चलते अपनी बात को विराम देने से पहले यह बता देना चाहॅूगा कि इस देश में कुत्ता वफादारी का नाम है, यहाॅ किसी का कुत्तापन ज्यादा नहीं चलता। अगर कुत्तापन चलाना हो तो कुत्ते हो जाईये, क्यों दो नौका की सवारी कर रहे है, कम से कम इतिहास कुत्ता होने से आपकी वफादारी को याद रखेगा, इंसान  होकर इंसान बनना जब आपके लिये मुश्किल है। जानते हो वह विदेशी कुत्ता वापिस विदेश क्यों नहीं लौटा? असल बात वहाॅ उसका अपनी बिरादरी में झगड़ा हो गया था, सारे कुत्ते आपस में झगड़े तब यह बिगडैल, खुजलाडू उनसे नाराज होकर बोला अब जा रहा हॅू, अब नहीं लौटूगा, दूसरे कुत्ते बोले आना नहीं। यह रूका  थोडी देर ठहरा फिर धमकी दी, नहीं आऊॅगा, सभी बोले मत आना, यह दूसरे दिन आ गया। कुत्तों ने इसे झिड़का, लानत दी, क्यों रे तू क्यों चला आया, चला जा दलबदलू, तेरे आने से यहाॅ सारे कुत्ते हैरान है। कुत्तों ने कहाॅ तू चले जाने की बात कहकर अपनी बात पर कायम नहीं रहा और लौट आया, हम सभी आश्चर्यचकित है तुझे अपने साथ रख ले अपने दल में शामिल कर ले क्या हमें इंसान समझ लिया है, कुत्ते हैं हम, इंसान नही
जो वापिस तुझे अपनों में शामिल कर ले, देशनिकाला के बाद वह विदेशी इस धरती पर उतरा था, जो यहीं बस गया।
आत्माराम यादव 

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