हम हिन्दी हैं देश हमारा हिन्दुस्तान

—विनय कुमार विनायक
हम हिन्दी हैं,
देश हमारा है हिन्दुस्तान!
हम हिन्दी हैं,
मिटी नहीं अपनी पहचान!
देख फिजा में,
गूंज रहा है एक ही नाम!
प्यारा हिन्दुस्तान,
हम कभी रहे नहीं गुमनाम!
वायदा में पक्के,
धोखाधड़ी नहीं हमारा काम!
मानवता धर्म हमारा,
हम देते हैं सबको सम्मान!
नमस्कार, नमस्ते से,
हम करते विश्व को प्रणाम!
हमने दिया विश्व को,
सत्य,अहिंसा धर्म का पैगाम!
हमनें आयुध नहीं,
दिया है बुद्ध,कृष्ण और राम!
भौतिकतावादी विश्व को,
सिखाया हमनें चरित्र निर्माण!
छोड़ो अब सर,सर करना,
सर,सर करते हम हुए गुलाम!
सर,सर से सरके देश,
भारत का हमें करना है उत्थान!
सर,सर करना छोड़ो,
कहो महोदय, महाशय,श्री मान!
हिन्दी अपनी लेखनी,
हिन्दी है अपने देश की जुबान!
आओ मिलकर करें,
अपनी राष्ट्र भाषा का उत्थान!
विकसित हो स्वभाषा,
बंद करो अंग्रेजी का गौरव गान!
बढ़े हिन्दी की शान,
विश्व करता भारत का गुणगान!