कहां नेहरु और कहां मोदी ?

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
तीन मूर्ति के बंगले में जवाहरलाल नेहरु स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय है। इस संग्रहालय और पुस्तकालय को महत्वपूर्ण बनाने में मेरे साथी और अभिन्न मित्र स्व. डाॅ. हरिदेव शर्मा का विशेष योगदान है। वे डाॅ. लोहिया के अनन्य भक्त थे। जब तक वे जीवित रहे, वहां अक्सर मेरा जाना होता था। मेरे जैसे कुछ लोगों के सैकड़ों-हजारों पत्र और दस्तावेज भी वहां संकलित हैं।  वहां नेहरुजी की स्मृति को चिरस्थायी बनाने की दृष्टि से अनेक कदम उठाए गए हैं। वह स्थान आधुनिक भारतीय इतिहास की धरोहर है। अब उसके नए निदेशक शक्ति सिन्हा ने एक अद्भुत और नया प्रस्ताव रखा है। अब 25 एकड़ के उस बंगले के शेष 23 एकड़ में देश के सभी प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय बनाए जाएंगे। उसका शिलान्यास भी हो चुका है। यदि ये संग्रहालय बनाकर नेहरुजी का महत्व घटाने की कोशिश हो तो यह बहुत ही गलत होगा लेकिन यदि नेहरुजी की छत्रछाया में शेष सभी प्रधानमंत्रियों की स्मृति-रक्षा हो सके तो न सिर्फ नेहरुजी का एतिहासिक महत्व बढ़ जाएगा बल्कि तीन मूर्ति भवन की इस धरोहर में चार चांद लग जाएंगे। चार चांदों के नाम तो मैं आपको अभी गिना देता हूं। पहला, लालबहादुर शास्त्री, दूसरा, इंदिरा गांधी, तीसरा, नरसिंहराव और चौथा अटलबिहारी वाजपेयी। इन चारों के अलावा भी जो प्रधानमंत्री हुए हैं, उनमें से भी सबसे मेरा परिचय और घनिष्टता भी रही है। उनमें कई अदभुत गुण थे, जिन्हें आज के और भविष्य के नेताओं को सीखना चाहिए। वे सबको कैसे मालूम पड़ेंगे ? कौन बताएगा, उन्हें ? सभी प्रधानमंत्रियों के ऐसे गुणों पर हमें जोर देना चाहिए, जो भारत के लोकतंत्र को मजबूत बनाएं। जो कांग्रेसी नेता इस बहुआयामी संग्रहालय का विरोध कर रहे हैं, उन्हें डर यह है कि इस योजना के तहत कहीं नरेंद्र मोदी को नेहरु से भी बड़ा बनाकर पेश नहीं कर दिया जाए ? यह डर, यह शंका बिल्कुल निराधार है। कहां नेहरु और कहां नरेंद्र मोदी ? मोदी को बड़ा बनाकर ये लोग अपने आप को छोटा क्यों करेंगे ? मोदी का अब मुश्किल से एक साल बचा है। अगर यह साल भी वैसा ही निकल गया, जैसे पिछले चार साल निकले हैं तो जिन चार चांदों का मैंने ऊपर जिक्र किया है, उनकी पंक्ति में भी मोदी को बिठाना मुश्किल होगा। यदि इस आखिरी साल में कोई चमत्कारी काम हो गया तो मोदी तीन मूर्ति में बैठे न बैठे, मोदी की मूर्ति करोड़ों भारतीयों के दिल में जरुर बैठ जाएगी।

4 COMMENTS

  1. “मेरे जैसे कुछ लोगों के सैकड़ों-हजारों पत्र और दस्तावेज भी वहां संकलित हैं।” जैसी आत्म-आक्रामक भाषा को तो मै पहचानता हूँ लेकिन, संपादक जी से मेरा आग्रह है कि वे कृपया पाठकों को बताएं, क्या डॉ. विवेकानंद उपाध्‍याय यहाँ केवल शीर्षक में दिया प्रश्न पूछ रहे हैं? धन्यवाद |

  2. कहाँ नेहरु? संसार में सबसे बड़े जनसमूह के स्थानांतरण के समय पश्चिमी सीमा के दोनों ओर हज़ारों निर्दोष हिन्दू सिख और मुसलमानों की निर्मम हत्या व देश के रक्तपात-पूर्ण विभाजन के तुरंत पश्चात उनके परिवारों में लाखों लोगों के बे घर होने पर नेहरु की लोकप्रियता एक स्वाभाविक घटना न थी| जब तक सत्ता-रूढ़ नेहरु की कांग्रेस ने अपने फिरंगी मालिकों के पद-चिन्हों पर चलते देश की प्रजा को बांटने के षड्यंत्र आरम्भ कर दिए थे, मोदी चौदह पंद्रह वर्ष के रहे होंगे! भारत में १९४७ की पैंतीस करोड़ जनसंख्या से कहीं अधिक आज एक सौ पच्चीस करोड़ भारतीयों को संगठित कर मोदी कांग्रेस-मुक्त भारत पुनर्निर्माण में लगे हैं और आप पूछते हैं, कहाँ मोदी?!!!

    • कहाँ नेहरू? “याद रहे पं० नेहरू ने डॉ० राजेन्द्र प्रसाद (राष्ट्रपति) को सरदार पटेल के दाह संस्कार में जाने से रोका था लेकिन वे नहीं माने और वहां गए । परन्तु पं० नेहरू उनके दाह संस्कार पर नहीं गए । यह थी पं० नेहरू की मानवता या दुष्टता । जबकि पटेल हमारे देश के गृहमन्त्री ही नहीं, बल्कि उपप्रधानमन्त्री भी थे ।” (असली लुटेरे कौन? द्वारा हवासिंह सांगवान जाट, पृष्ठ संख्या १४९)

      और कहाँ मोदी? प्रधानमंत्री मोदी कल सरदार वल्लभभाई पटेल की भव्य प्रतिमा का अनावरण कर “एकता की प्रतिमा” देश को समर्पित कर रहे हैं!

  3. The honorable author is a learned man and I am submitting my observation with great respect for him. From my days of IIT Madras (1959-1964) student hood to date, with last 50 yrs in USA and as a keen Bharatiya living abroad with intimate connections in India and USA. I have come to a conclusion that to date no PM has surpassed PM Modi considering the challenges India faces today. Achievements of Modiji are far lasting and fundamental. After Modiji: Atal ji and Shastriji is how I see. Nehruji definitely not. Who had mandate in both houses and the land was virgin for all development. Instead he left a legacy of DYNASTY, a lasting liability and an insult to the citizens of India and their abilities to lead their Nation.
    Shrinarayan Chandak, USA

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