क्या शराब में डूब जाएगी दिल्ली सरकार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार कथित शराब घोटाले में घिरती जा रही है ।आज जिस शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार की किरकिरी हो रही है उसे लेकर शुरू से ही पार्टी के भीतर विरोध के स्वर उठते रहे हैं। योगेंद्र यादव बहुत पहले से आप की शराब नीति के मुखर विरोध करते आए हैं किंतु अरविंद केजरीवाल ने योगेंद्र यादव सहित लगभग सभी बड़े नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया । अब पार्टी में अकेले केजरीवाल ही हाईकमान हैं। शेष सब केवल आज्ञा पालक हैं। आज पार्टी में ऐसा कोई नहीं बचा जो उन्हें उन बातों और वादों का स्मरण कराए जिन के लिए पार्टी का गठन किया गया था।

कितने आश्चर्य की बात है कि जो पार्टी भ्रष्टाचार मिटाने आई थी आज वह स्वयं भ्रष्टाचार के  अनगिनत आरोपों में फँसती जा रही है | उसके स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन भ्रष्टाचार (मनी लोंड्रिंग) के आरोप में जेल में बंद हैं और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया नई शराब नीति में करोड़ों रुपये की हेराफेरी के संदेह में सीबीआई जाँच और छापेमारी का सामना कर रहे हैं | सीबीआई ने कथित शराब घोटाले में दर्ज एफआईआर में सिसोदिया को आरोपी नंबर वन बनाया है |  किन्तु कितने आश्चर्य की बात है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध महाआन्दोलन से जन्मी  सरकार के एक भी मंत्री ने जेल जाने से पहले या एफआईआर दर्ज होते ही त्यागपत्र नहीं दिया, क्यों ? कथित शराब घोटाले को  लेकर 19 अगस्त के दिन देश के लगभग 7 राज्यों में 20 से अधिक स्थानों पर सीबीआई ने छापे मारकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त कर लिए  हैं | इस दौरान  एक  और विडंबना की बात हुई वह यह कि जिस समय उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई की टीम पूछताछ कर रही थी  ठीक उसी समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दुपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की | दिल्ली वासियों  को आशा थी कि केजरीवाल अपनी आबकारी नीति के पक्ष में ऐसे ठोस तर्क  रखेंगे जिससे यह सिद्ध हो जाएगा कि उनका ‘शराब मॉडल’ दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शराब मॉडल है | यदि इसमें एक पैसे का भी भ्रष्टाचार या राजस्व की हानि सिद्ध हुई तो वे इसकी नैतिक जिम्मेदारी स्वयं लेंगें और त्यागपत्र दे देंगे, या फिर वे कहेंगे कि  उनका शराब मॉडल दोषपूर्ण था इसके लिए वे सम्बंधित लोगों पर स्वयं कार्रवाई करेंगे और दिल्ली की जनता से हाथ जोड़कर माफ़ी माँग लेंगें  | किंतु उन्होंने  ऐसा कुछ भी नहीं किया अपितु उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यूयॉर्क टाइम्स में दिल्ली सरकार की शिक्षा नीति की प्रशंसा  में छपे हुए या छपवाए हुए लेख की आड़ में  पूरे देश को ऐसे संबोधित किया जैसे वे  भारत के प्रधानमंत्री हों ! वे  देश की 130 करोड़ जनता  को देश को आगे ले जाने के लिए बड़े नाटकीय अंदाज से आव्हान कर रहे थे क्या  वे इस बदनामी में भी  प्रधानमंत्री बनने का मार्ग ढूँढ रहे हैं ? यह दिल्ली की जनता के साथ क्रूर मजाक नहीं तो और क्या है कि उसका मुख्यमंत्री  अपनी सरकार पर लगे  कथित भ्रष्टाचार  के आरोप पर एक  शब्द भी न बोले और ऐसे प्रतिक्रिया दे जैसे भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही न हो |

क्या दिल्ली में शराब मॉडल लागू करने से पहले केजरीवाल जी ने अपनी  पुस्तक स्वराज   में शराब नीति के लिए स्वयं के द्वारा दिए गए सुझाबों का  भी स्मरण नहीं किया ? इस पुस्तक के पृष्ठ क्र.146 पर केजरीवाल जी लिखते हैं “वर्तमान समय में शराब की दुकानों के लिए राजनेताओं की सिफारिश पर अधिकारियों द्वारा लाइसेंस दे दिया जाता है  | वह प्रायः रिश्वत लेकर लाइसेंस देते हैं | शराब की दुकानों के कारण भारी समस्याएं पैदा होती हैं | लोगों का पारिवारिक जीवन तबाह हो जाता है, विडंबना यह है कि जो लोग इस से सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं उन्हें इस बात के लिए कोई नहीं पूछता कि क्या शराब कि  दुकान खोलनी चाहिए या नहीं |” आज से  ग्यारह वर्ष पूर्व में शराब लाइसेंस देने में जिस भयानक भ्रष्टाचार को केजरीवाल जी मिटाना चाहते थे आज उनकी सरकार पर ठीक वैसा-का-वैसा भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा है | केजरीवाल जी ने इस समस्या के लिए जो समाधान दिया था वह अगले पृष्ठ पर इस प्रकार है “शराब की दुकान खोलने का कोई लाइसेंस तभी दिया जाना चाहिए जब ग्रामसभा इसकी मंजूरी दे|  वहां उपस्थित 90% महिलाएं इसके पक्ष में मतदान करें |” प्रश्न यह है कि क्या मनीष सिसोदिया ने स्वराज पुस्तक नहीं पढ़ी थी या केजरीवाल जी ने यह पुस्तक केवल जनता को दिखाने  के लिए लिखी थी | दिल्ली सरकार ने एक एक वार्ड में दो-दो दुकानें खोलने की तैयारी कर ली थी किन्तु  लाइसेंस देते समय वहाँ की महिलाओं से नहीं पूछा क्यों ? उसमें भी लाइसेंस देने में घोटाला हुआ है इसकी जाँच चल रही है |

क्या केजरीवाल जी ने शराब मॉडल बनाने से पहले अभिभावकों से परामर्श किया था कि शराव पीने वाले आपके बच्चों  की आयु सीमा घटाई जाए या नहीं, दिल्ली की जनता का लगभग 144 करोड़ शराब माफिया पर लुटाने से पहले और लगभग 30 करोड़ लौटाने से पहले भी  क्या किसी मोहल्ला समिति से पूछा गया था ?  क्या दिल्ली की जनता नहीं जानती कि यदि शराब के प्रति दिल्ली के युवाओं को आकर्षित किया जाने लगा तो शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों धरे-के-धरे रह जाएँगे | स्वराज पुस्तक में जिस शराब को घर बरबाद करने वाली बताया गया उसे हर,गली,मोहल्ले और बाजार में उपलब्ध कराने पर ये लोग इतने उतावले क्यों थे ?

दिल्ली सरकार ने अपने  कथित शराब मॉडल में शराब पीने की वैधानिक आयु 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष कर दी थी | हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका के उत्तर में दिल्ली सरकार ने यह कहा कि जब वोट देने की उम्र 18 वर्ष है तो शराब पीने की उम्र 25 समझ से परे है | क्या  दिल्ली सरकार दिल्ली के युवाओं को 18 वर्ष की आयु से ही शराब पिलाने की प्लानिंग कर रही थी ? केवल पैसा कमाने के लिए युवाओं को शराब पीने के लिए आकर्षित करना,बार,क्लब्स और रेस्टोरेंट में रात तीन बजे तक शराब परोसने की छूट देना आदि …..क्या इन्ही कार्यों के लिए आम आदमी पार्टी का उदय हुआ था ? आप तो स्वराज लाने आए थे,क्या दिल्ली में शराब से ही स्वराज आएगा ? क्या अब ‘आप’ के  कथित भ्रष्टाचार और शराब नीति  के विरुद्ध भी किसी  अन्ना हजारे ,किरण वेदी  और कुमार विश्वास को पुनः रामलीला मैदान पर आन्दोलन करना पड़ेगा  ?

डॉ.रामकिशोर उपाध्याय 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,715 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress