
वो चली गयीं
ठहरी थी वो ,
मेरे दिल के शहर में ,
अभी कुछ दिनों पहले मुलाकात हुई थी
मगर न जाने बातों ही बातों में,
क्या बात हुई थी
किस बात का बुरा लगा उन्हें ,
जो कल चली गयी दोपहर में |
जाने का गम है ,
मगर थोडा कम है
वो अपने धुन में मगन थी
और मेरा शहर कही खो गया था
शायद उन से प्रेम हो गया था
क्या कमी थी मेरे शहर में ,
जो कल वो चली गयी दोपहर में |
हाँ ,छोटा सा था आशियाना
मगर कहा था ,
कुछ भी चाहिए तो फरमाना
कही आना जाना हो
तो हमे बताना ,
एक ख़त छोड़ गयी है
और लिखी हैं कभी नही आएंगे
तुम्हारे इस शहर में ,
कल वो चली गयी दोपहर में |