शिवानी जोशी
उत्तरौड़ा, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
क्यों समझा है नारी को अभिशाप।
मत करो उसपर अत्याचार।।
जो करनी हो समाज की रक्षा।
तो करो पहले नारी की सुरक्षा।।
क्यों सताते हो नारी को?
क्यों नहीं अपनाते उस प्यारी को।।
नारी होती है धरती का अभिमान।
वह भी है एक जीवन का आधार।।
नए भारत की सोच तुम बदलो।
नारी को भी जीवन का हिस्सा समझो।।
उसे भी समझे भारत की एक आत्मनिर्भर महिला।
उसका भी होगा कोई अपना सपना।।
उसे भी है जीने का अधिकार है।
बदलो अपनी सोच का आधार।।
मत करो नारी पर अत्याचार।।
(चरखा फीचर