—विनय कुमार विनायक
मत कर नारी का अपमान
नारी अपमान से बड़ा नहीं
कोई पातक इस जगती में
मत कर नारी का अपमान!
नारी के अपमान से मिटा
रावण के कुलवंश का नाम,
नारी अपमान से कट गए
दुर्योधन शत बंधु के प्राण!
मत कर नारी का अपमान
एक नारी अपमान मिटाता
सभी सद्गुणों को कर्ण सा
काम नहीं आता है वरदान!
नारीशक्ति की कर पहचान
यमराज से लड़कर बचाती,
मृतक को शतजीवी बनाती,
नाम अमर होता सत्यवान!
अगर बनना चाहते हो राम
एक पत्नी का व्रत को लेके,
समझो सब नारी जाति को
माता, पुत्री,बहन के समान!
अगर बनना चाहते कृष्ण तो
नारी को चीर वसन दो दान,
नारी को न्याय दिलाने हेतु
लड़ो महाभारत जैसा संग्राम!
अगर चाहते हो गौतम बुद्ध,
महावीर जैसा जिंदा भगवान
बनना तो सुजाता, आम्रपाली
का खीर खाओ माता मान!
अगर बनोगे कीचक, जयद्रथ
तो मिलेगा अति रौरव नरक,
बचो पुलिस एनकाउंटर,जेल,
फांसी से, करो नारी सम्मान!
नारी जनती इंसान, भगवान,
नारी मंदिर, मस्जिद,गिरजा
से बढ़कर पूज्य मातृदेवी है,
नारी करती नर का सृजन!
नारी जाति है वंदे मातरम!
‘तस्लीमात, मां तस्लीमात’!
मां तुझे सलाम, मातृजाति
को सलाम, नारी को प्रणाम!
—विनय कुमार विनायक