नारी की पीड़ा

नारी तुझको कोई अबला कहता,कोई सबला भी कहता है
पुरुष तुझको सबला कहकर,फिर भी वह प्रताड़ित करता है

तूही द्वापर में,तूही त्रेता में,तूही कलयुग में आई है
कही तुझे जुए में हारा,कही तूने अग्नि परीक्षा पाई है

जो नारी का करे अपमान,वह मर्द कभी नहीं हो सकता है
जो बहन का करे न सुरक्षा,वह भाई कभी नहीं हो सकता है 

तुझ को मारा पीटा जाता,तुझको ही गलियों में घसीटा जाता है
मांग रही हो दया की भीख,फिर भी तेरा विडिओ बनाया जाता है

सडक पर तुझ पर फब्ती कसते,तेरा ही बुलाकर रेप किया जाता है
रेप करके भी मिलती नहीं तसल्ली,फिर तुझको मार दिया जाता है

तुझ पर ही सब दोष लगाते है,तुझ पर ही पहरे लगाये जाते है
लडके फिरते है खुले सांड से,उन पर पहरे नहीं लगाये जाते है

नारी तू कितनी महान है,तू ही प्रसव पीड़ा सहती है
दुःख उठा कर भी,कभी किसी से कुछ न कहती है

कोर्ट में भी उल्टे सीधे प्रश्न पूछे जाते तेरा अपमान वहां होता है
हमारा कानून भी अँधा,वह भी आँखों पर पट्टी बांधे ही रहता है

नारी ने नर को जन्म दिया,फिर भी नर उसको कोठे पर बैठाता है
कब तक सहेगी ये नारी पीड़ा,रस्तोगी की समझ में ये नहीं आता है

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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