भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई द्वारा महिला का कथित यौन उत्पीड़न


      सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गोगोई के विरुद्ध एक ३५ वर्षीय महिला जो सुप्रीम कोर्ट में जूनियर कोर्ट सहायिका रह चुकी है, ने स्वयं के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। महिला ने शपथ पत्र के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय के सभी २२ जजों को अपनी शिकायत भेजी है। उसने आरोप लगाया है कि जस्टिस गोगोई ने उसका शारीरिक शोषण किया और बाद में नौकरी से हटा दिया। महिला का आरोप है कि जस्टिस गोगोई ने चीफ़ जस्टिस बनने के पूर्व उसमें दिलचस्पी दिखाई। उसका तबादला अपने आवासीय कार्यालय में कर दिया। पिछले वर्ष यौन उत्पीड़न की घटना १०-११ अक्टूबर की रात में उस समय हुई जब वह उनके आवासीय कार्यालय में थी। वहां उसके साथ अभद्रता की गई। महिला ने पूरी शक्ति से प्रतिरोध किया जिसके कारण जस्टिस गोगोई का सिर आलमारी से टकराया था। जस्टिस गोगोई ने उसे धमकी भी दी कि इस घटना का जिक्र किसी से नहीं होना चाहिए वरना गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसके बाद महिला का तबादला अलग-अलग विभागों में तीन बार किया गया। जस्टिस गोगोई यही तक नहीं रुके; उन्होंने बिना अनुमति छुट्टी लेने के नाम पर कार्यवाही शुरु की और अन्त में २१ दिसंबर, २०१८ को महिला को बर्खास्त कर दिया। उस समय जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस थे। उन्होंने ने अपनी पहुंच का इस्तेमाल करके दिल्ली पुलिस में कांस्टेबुल के पद पर कार्यरत महिला के पति और देवर को भी २८ दिसंबर, २०१८ को निलंबित करा दिया। दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारी उसे चीफ़ जस्टिस के घर ले गए थे जहां जस्टिस गोगोई की पत्नी ने उससे माफी मांगने के लिए कहा। आरोप लगाने वाली महिला का कहना है कि मुख्य न्यायाधीश वाट्सएप पर उसके पास निजी और आधिकारिक संदेश भेजते थे, लेकिन बाद में वे संदेश हटाने के लिए कहने लगे। वे उसे अपने कमरे में बुलाते और फोन देखकर संदेशों को हटवा देते थे।

      इतिहास में पहली बार किसी जज ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सुनवाई स्वयं की। पिछले शनिवार यानि २० एप्रिल को जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता में गठित एक आपात्कालीन पीठ ने इस मामले पर आधे घंटे की सुनवाई की जिसमें जस्टिस गोगोई के अतिरिक्त दो और जज जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे। सुनवाई के दौरान न आरोप लगाने वाली महिला को और ना ही उसके वकील को ही बुलाया गया। समझ में नहीं आता है कि यह न्याय की कौन सी प्रक्रिया है? बाद में जस्टिस गोगोई को यह समझ में आया की पीठ में उनकी आफ़िसियल उपस्थिति न्यायसंगत नहीं है, इसलिए पीठ द्वारा पारित आदेश पर उन्होंने दस्तखत नहीं किए। जस्टिस मिश्रा और जस्टिस खन्ना ने कोई फैसला नहीं सुनाया। बस, मीडिया से अपील की कि वह जिम्मेदारी से कार्य करे, जैसा कि उससे अपेक्षित है। वह अपने विवेक से तय करे कि क्या प्रकाशित करना है और क्या नहीं क्योंकि यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा और स्वतन्त्रता से जुड़ा हुआ मामला है।

      निस्सन्देह यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता से जुड़ा है। कोर्ट मीडिया पर रोक लगाने में सक्षम है, लेकिन पीड़ित महिला के साथ भी न्याय होना चाहिए। स्मरण रहे कि इस तरह की कई घटनाएं पूर्व में भी हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के ही एक पूर्व जज जस्टिस ए.के.गांगुली पर एक ला इंटर्न ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। सन २०१४ में सुप्रीम कोर्ट की समिति ने आरोप प्रथम दृष्टया सही पाए थे, फलस्वरूप जस्टिस गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग का पद छोड़ना पड़ा। दूसरा वाकया सुप्रीम कोर्ट के ही एक और जज जस्टिस स्वतन्त्र कुमार से जुड़ा है। उनके खिलाफ भी एक ला इंटर्न ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। यह घटना मई, २०११ की है। उस केस में कोर्ट ने मामले के कवरेज पर मीडिया पर रोक लगा दी थी। ऐसी ही एक घटना राजस्थान हाई कोर्ट के तात्कालीन जज जस्टिस अरुण मदान के साथ भी घटी थी। एक महिला चिकित्सक ने उनपर एक लंबित प्रकरण में मदद करने की एवज में अस्मिता मांगने का आरोप लगाया था। जस्टिस मदान को त्यागपत्र देना पड़ा।

      मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई कोई अपवाद नहीं है। उनके चीफ़ जस्टिस रहते पीड़ित महिला को न्याय नहीं मिल सकता। कौन जज उनके खिलाफ़ जाने का साहस कर सकता है? नैतिकता का तकाजा है कि जस्टिस गोगोई तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफ़ा देकर निष्पक्ष न्याय का मार्ग प्रशस्त करें। सुप्रीम कोर्ट मामले के त्वरित निस्तारण और निष्पक्ष न्याय के लिए अविलंब एक पीठ का गठन करे। अगर पीड़ित महिला की शिकायत सही पाई जाती है, तो जस्टिस गोगोई को सजा मिलनी चाहिए और अगर शिकायत गलत पाई जाती है, तो महिला को सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो सर्वोच्च न्यायालय जैसी संवैधानिक संस्था की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को धूमिल होने से कोई रोक नहीं सकता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,071 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress