
कुबेर को धन का देवता माना गया है। कहा जाता है कि वे देवताओं के खजाने के मालिक हैं। उन्हें कोषाध्यक्ष कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि धन त्रयोदशी दीपावली पर उनकी विधि विधान से पूजा करने से, इंसान को कभी भी धन की कमी नहीं होती और धन धान्य के भण्डार सदैव भरे रहते हैं। दीपावली पर लक्ष्मी के साथ कुबेर की भी पूजा का विधान है।
मराही माता स्थित कपीश्वर हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी उपेंद्र महाराज ने बताया कि कुबेर की पूजा से सुख समृद्धि के मार्ग खुलते हैं। उन्नति, विकास व धन संपन्नता के लिये कुबेर यन्त्र पूजन अत्यंत लाभकारी होता है। कहा जाता है कि कुबेर भगवान शिव के भक्त हैं। उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु बहुत कठिन तप किया। भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें धनाध्यक्ष बनाया और उन्हें धनपाल की पदवी प्राप्त हुई। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि विनियोग, ध्यान के बाद उनका पूजन, मंत्र सिद्धि व हवन आदि करने से कुबेर प्रसन्न होते हैं।
ऐसे करें पूजा रू कुबेर पूजन के लिये पूजा स्थान में कुबेर व लक्ष्मी माता का चित्र स्थापित करें। देवी लक्ष्मी का सुगंधित द्रव्य से षोड्शोपचार से पूजन आह्वान करना चाहिये। इसके साथ ही कुबेर के मंत्र जाप व पाठ को श्रवण, मनन करते हुए उनका स्मरण करना चाहिये।
विनियोग रू ऊँ अस्य कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषिरू बृहती छंदरू शिवमित्र धनेश्वर देवता,दारिद्रय विनाशने पूर्णसमृद्धि सिद्धयर्थे जपे विनियोगरू।
ध्यान रू ऊँ मनुजबाहुविमान वर स्थितं गरुडरत्नाभिं निधिनायकम! विवसखं मुकुटादिभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलम!!
कुबेर मंत्र रू ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा। अथवा ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्री ह्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमरू स्वाहा।
ध्यान के पश्चात पंचोपचार द्वारा कुबेर के श्रीविग्रह का पूजन करना चाहिये। पुष्पों से इस मंत्र के जाप के साथ पुष्पांजलि देनी चाहिये। कुबेर मंत्र के एक लाख जाप करना चाहिये। इसके उपरांत घी, तिल, अक्षत, पंचमेवा, शहद, लौंग इत्यादि सात अनाज मिलाकर हवन करना चाहिये, ऐसा करने से कुबेर मंत्र सिद्ध हो जाता है।
सभी यज्ञ अनुष्ठानों इत्यादि में दश दिक्पालों के पूजन क्रम में उत्तर दिशा के अधिपति के रुप में कुबेरजी की पूजा की जाती है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार कुबेर को कोष, नवनिधियों और उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है। कुबेर ब्रह्माण्ड के धनपति है तथा देवों एवं अन्य सभी द्वारा पूज्य हैं। गुप्त निधि व अनन्त ऐश्वर्य की प्राप्ति हेतु कुबेर की उपासना विशेष फलदायी मानी गयी है।
कुबेर (वैश्रवण) के पास सभी विलक्षण तथा अलौकिक शक्तियां मौजूद हैं। धनपति कुबेर अपने भक्तों को वैभव प्रदान करते हैं। धन संपदा चाहने वालों को और दरिद्रता व ऋण से मुक्ति चाहने वालों को धन त्रयोदशी व दीपावली के दिन कुबेर पूजन करना चाहिये।
कुबेर महाराज का यंत्र और मंत्र जीवन में सभी श्रेष्ठता को प्रदान करने वाला होता है। कुबेर पूजा ऐश्वर्य, दिव्यता, संपन्नता, पद सुख, सौभाग्य, व्यवसाय वृद्धि, आर्थिक विकास, सन्तान सुख उत्तम आयु वृद्धि और समस्त भौतिक सुखों को देने में सहायक है।