यमलोक में यमराज का चुनाव

नर्मदा तट की अपनी महिमा है, भगवान कृष्ण शिशुपाल के 100 अपराध तक माफ करने की सहनशक्ति रखते थे, तभी हज जाने के लिये बिल्ली जैसे मांसाहारी जीव को भी सौ-सौ चूहे खाने अर्थात दो सौ अपराध करने की छूट मिल चुकी थी, यह अलग बात है कि वह पूरी जिंदगी में हजार से ज्‍यादा चूहे चट कर जाये, पर यहां हम  किसी तीर्थ की नहीं, बल्कि यमलोक की बात कर रहे है जहाँ आदतन अपराधी के अनगिनत अपराध की बात छोड़िये, अरे बचपन में की गयी जरा सी चूक, या भूल भी बडे अपराध में मानी जाकर तुरंत यमराज उस मृतजीवी को सूली पर टांगने के लिए कुख्यात है, फिर अनगिनत अपराध के लिये क्‍या दुर्गति होने वाली है यह सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी। नर्मदा स्नान और दर्शनों का महत्व यूं ही नहीं है, बिन्दास सौ, दो सौ, हजार नहीं तुम लाख अपराध कर लेना नर्मदार्शन से ही वे सभी अपराध पुण्‍य में तब्दील हो जायेंगे, आप मानते हो न कि नर्मदा दर्शनों का पुण्‍य कितना जर्वजस्‍त है, तो तुम भाग्‍यशाली हो जो दर्शन के साथ स्नान करके डबल पुण्य का स्टॉक जोडते रहे हो, महापापी होकर भी महापापी होने का तुम्हारा यह घटिया भाग्‍य नर्मदा दर्शनों से तुम्‍हें महान पुण्यात्मा का अर्थात देवतुल्य बना रहा है। कॉटे तो कॉटे होते है, उनका स्वभाव ही है कि वे चुभे, पर पुण्य का महत्व पुराणों में है, यानी पुराण कहते है, कांटों को पुण्‍य से फूल बनाया जा सकता है, यह चमत्‍कार नर्मदा दर्शन स्नान के अलावा, गंगा,यमुना, प्रयागराज आदि सभी तीर्थो को है जहाँ काँटों को भी इजाजत है कि वे फूल बनकर चुभेंगे नहीं बल्कि कोमल गुदगदी देकर महक उठेगे।

 मैं यह बात इसलिये कह रहा हॅू कि गत दिनों म्‍युनिसिपल के आफिस में एक अधिकारी के सामने एक नंबर का पार्षद पति एक अनुचित काम का दबाव बनाने के लिये अधिकारी की कॉलर पकड़ने दौड़ा और गुस्से में इतना था कि उसे खुद का होश नहीं था जिसे आठ दस लोग संभाल रहे थे, वह मूर्ख चीख रहा था कि पच्चीस साल से राजनीति कर रहा हॅू, कमरों में घुसकर मारना मेरी फितरत है। तुम्हारी औकात क्या है?  पार्टी में मेरा रुतबा इतना है उतना है? तुम ज्यादा से ज्यादा सरकारी काम में रुकावट का केस लगवा सकते हो, मैं सब निपट लॅूगा। फिर गर्मी से उबलता सीएमओ को धमकी देने लगा कि इसके बाद क्या होगा, अंजाम समझ लेना। अधिकारी नया होने के साथ धीर गंभीर था आखिर तक नम्रता का गहना पहने उसकी बदतमीजी सहकर उसे शांत करता रहा। प्रश्न उठता है कि पत्नी पार्षद है, ये उनके पति रबर स्‍टाम्‍प की तरह है पर अंधेर नगरी है, कोई कुछ नहीं बोलने वाला। किसी संत की वाणी है कि- जो आया है, सो जाएगा, राजा रंक फकीर। यानी पाप की गठरी बॉधों या पुण्य की मरना सभी को है, कोई पटटा लेकर जीने नहीं आया है इसलिये अहंकार की गठरी कि मैं ये हूँ, वो हूँ, ये कर सकता हॅू, वो कर सकता हॅू को पटक देना और समझना तुम कुछ नहीं हो, कुछ नहीं कर सकते, ढब्बू हो।

लाखों किसानों को लूट खसूट कर संस्था में हजार पांच सौ करोड़ का भ्रष्टाचार कर जिला बैंक की लुटिया डुबोने वाले प्रमुख अधिकारी पर सरकार कार्यवाही नहीं करती बल्कि उसे मुख्यमंत्री के जिले में पोस्टिंग मिलती है, उस संस्था के मीठे ठगों के बादशाह रहे अध्यक्ष संचालक वगैरह सहित कुछ क्लास वन के ठेकेदार जो एयरपोर्ट, सिक्‍स लेन, फोरलेन आदि अरबों के ठेके लेने वाले, सौदेबाजी करने वाले, सैकड़ों गोदामों का निर्माण कर उनके मालिक, व कई एजेंसियों के सर्वेसर्वा, राजधानी सहित नर्मदापुरम आदि के  कुछ बड़े ओहदे वाले नेता से कालोनाईजर बने, कुछ कालोनाईजर से नेता बने ताकि पहले उनकी बनाई अवैध कॉलोनियों को वैध बना सके, उनके खिलाफ सारी शिकायतें शून्य करवाने के साथ उसके भ्रष्ट कारनामों से लोगों के जीवन भर की कमाई पचा सके, मकान,प्लाट हजम कर उन्हें जीते जी कोई भी फायदा नहीं मिलने दे। प्लाट मकान के खरीदने के मोहजाल व चंगुल में फसे लोगों व उनके बच्‍चों तक को उल्‍टा लटकाये लाभ लेते रहे।

तमाम ऐसे सभी बंटाधारी क्ष रणनीतिकार स्वर्गवासी हुये। ये सभी कालोनाईजर, ठेकेदार,ब्‍लेक मेलर्स, काले कारनामों के नित नूतन आविष्‍कारक अधिकारी और नेता गण मर कर धरती पर स्वर्गवासी हुये, पर स्‍वर्ग से पहले उन्हें यमलोक में यमराज के सामने पेश किया गया जहां इन कूटनीति वालों की आत्माओं ने अपनी चाण्डाल चौकडी एकत्र का यमलोक को कब्जाने का षड्यंत्र रचकर खुद का यमलोक व खुदका यमराज चुने जाने का जाल बिछा दिया जिसे यमराज के किसी भी दूत अथवा यमराज को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। महा भ्रष्टों के यमलोक पहुंचती ही इन महा बेशर्मो के कुकर्मो कुधर्मो आदि अवगुण कब गुणों में तब्दील होकर यमलोक में एक अलग ही बयार देखने को मिली। इन सारे अधर्मियों का बहुमत यमलोक में था ओर उन्होंने जाते ही यमराज के चुनाव की मांग कर पदासीन यमराज को सजाओ में भेदभाव करने, यमलोक का विकास न करने का आरोप लगाकर पद से हटवा दिया।

 यमराज के पद के लिये उनकी शर्त थी जो सबसे ज्यादा हरामी, चोर, बेईमान, निष्‍ठुर हो, जिसके कारण पूरा देश, प्रदेश, संभाग एवं जिले का आवंटन के बाद योजनाओं के क्रियान्वयन कागजों में पूरा हुआ हो और जनता सबसे ज्यादा त्रस्त्र रही हो, हर आम आदमी, किसान, कर्मचारी तिल तिल कर मरता रहा हो और जिसने इनके नाम पर आया सारा वजट खुद चट कर गया हो, वह यमराज पद पर आसीन हो सकता है। एक सूबे के मुख्यमंत्री की आत्मा बोली ये सारे गुण मुझमे है, पर धरती पर समाचार पत्र मेरे थे, टी व्‍ही चैनल मेरे थे, एंकर, भयंकर, सभी मुझसे पोषित थे, इसलिये जो मैंने चाहा वह दिखाया, धरती पर मुझसे ज्यादा धार्मिक, समाजसेवी जन जन का लाडला, बहनों का भाई जैसी सारी अच्छाईयाँ दिन रात दिखाई गई, वह सब झूठ और फरेब था, असल में मैं नम्‍बर एक का हरामखोर, कमीशनखोर, महाबेईमान था, इसलिए यहां यमराज के पद पर मेरी बराबरी का कोई दावेदार नहीं होने से मैं ही यह पद धारण करूंगा। मैं पूरी ईमानदारी से स्वीकार करता हॅू कि धरती पर मेरे सारे लेखे गलत थे, असल में मेरे मंत्री रहते मैंने अपनों को ही स्वास्थ्य, रक्षा, ग्रामीण, कृषि, सिंचाई आदि के लिये अपने निजी लोगों को सारे काम दिलवा कर सरकार का काम खत्म कराया, शिक्षा का बजट चटकर सरकारी कॉलेजों की वजह जगह-जगह प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, अंग्रेजी मीडियम के उच्‍च एवं मीडियम स्कूल खुलवायें है, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी पैदा कर गली-गली में प्राइवेट नर्सिंग होम अस्पताल खुलवाकर नकली दवा कंपनियों से एक रुपये की दवा एक हजार रुपये तक में बिकवा कर सभी की जेबें भरी है और डॉक्टरों की दुकानों से प्रतिमाह मोटी रकम मिलने से फर्जी डॉक्टर की भी अर्जी मिलते उसे फर्जी नहीं होने दिया।

पार्षद पति जो पूर्व पार्षद था कि आत्मा तपाक से अपनी राजनीति का चिट्ठा खोलने लगी कि परिषद में जितने भी निर्माण काम हुए, सड़क, नाली, चबूतरा, सुलभ शौचालय, पानी की टंकी, ट्यूबवेल सभी के निर्माण, पुनर्निर्माण के ठेके वह खुद दूसरों के नाम से लेकर पूरा मुनाफा कमाता रहा, फिर विधायक सांसद की जी हजूरी करके उनका दॉया हाथ बनते ही दर्जनों कम्‍पनियों से अलग-अलग सैकडों खोके लेकर घटिया बिजली के मीटर को अच्‍छा बताया, और अच्‍छे मीटर वाले से सौदेवाजी न होने पर उसके मीटर को रिजेक्‍ट कर सौ पचास खोका डकार लिये। मुख्‍यमंत्री को सुझाव देकर पूरे प्रदेश की पीने के पाईप लाईन जिससे बिना रूकावट जल सप्‍लाई हो रहा था उसे रिजेक्‍ट करवा कर अरबों रूपयें खर्च करवाकर नई घटिया पाईपलाईन बिछवाकर घोटाला करवाने में खुद फर्जी कम्‍पनी का ठेकेदार रहा जिससे लोग पीने के पानी की एक एक बूंद को तरस गए। अरबों रूपयें के सीवेज पाईप लाईन योजना जो किसी काम की नहीं, सडकों को खुदवाकर डलवाकर पूरे प्रदेश में लूट की त्राहिमाम करवा कर प्रदेश केे हर मोहल्‍ले की हर गली में कीचड गंदगी का माहौल बनाकर हरेक नागरिक को कष्‍ट दिया और योजना का पैसा हजम करवाने पर मोटा कमीशन पाया, जबकि सरकार जानती है कि पीने के पानी का न तो कोई हल हुआ और न ही सीवेजलाईन डालने से कभी कोई हल निकलने वाला है। नेता की आत्‍मा यमराज के पद पाने के लिये अपने किये कुकर्मो का गुणगान करती रही कि शहरों में, गॉवों में बिजली सप्‍लाई के लिये बनने वाले सब स्‍टेशनों, ट्रान्‍सफारमरों आदि में घटिया सामान लगाना, जलने पर सुधरवाने का ही करोडों का टर्नओव्‍हर पूरे प्रदेश से उसी ने उठाया,  नल जल योजना लगवा कर सौ पचास योजनाओं में काम करके हजार-दस हजार नलजल योजनाओं  का भुगतान करवाया है। हर जिले, गॉव के रूट पर मेरी ही बसे चलती थी, मेरे ही जेबीसी, मशीने, जंगल पहाड नदियों को खोदने ठेके पर भिजवाते, लोहा, रेत, मिटटी, गिटटी, सीमेन्‍ट सभी कम्‍पनियॉ मेरी, ठेके मेरे, डम्‍फर मेरे ही थे जो मैंने अलग अलग नौकरों, रिश्‍तेदारों के नाम से कर रखे थे, इतना ही नहीं कि खुद के लिये किया, जनता के लिये भी किया।

सारी आत्‍मायें बडे ध्‍यान से मंत्री के चहेते पार्षदपति की आत्‍मा के कारनामें सुनने के बाद मंत्री की आत्‍मा को सुनने लगी जो बता रही थी कि कैसे जनता को फ्री राशन बॉटकर उसका घासलेट और शकर गायब करने की स्‍कीमें उसने लागू करवायी थी, शराबबंदी कराकर कच्‍ची घटिया शराब बेचकर अपने कार्यकर्ताओं को उपकृत करने का काम उसका था भले कार्यकर्ताओं की कच्‍ची जहरीली शराब पीकर लोग मरें, पर आज तक किसी कार्यकर्ताओं को सजा नही होने दी और न ही उसपर मामले बनने दिये। जनता को फ्री की आदत डालकर जितना उसे दिया उसका सूद सहित वसूलने के लिये भी कई प्रकार के टेक्‍स लगवाकर हर आम नागरिक पर सरकार का हजार-दस हजार करोड का कर्जदार बनाकर देश को विकसित राष्‍ट्रों में खडा करने की घोष्‍णा मेरी थी।

 देश-प्रदेश को विकसित राष्‍ट्र बनाने के लिये मंत्री की आत्‍मा यमलोक में धरती से यमराज पद की दावेदार आत्‍माओं से कह रही है कि कुछ फ्री देकर, जो वह कमाये उसे टेक्‍सों द्वारा वापिस लेना मेरी ही सरकार का काम था। पैदा होते समय निजी अस्‍पतालों में लाख दो लाख वसूलने के चलन को उसने ही हरी झण्‍डी दिखलाई थी, तथा हर नागरिक के लिये पूरे जीवन में उसके हर सुख-दुख पर भारी भरकम टेक्‍स वसूलने के साथ उसके मरने तक हर चीज पर मैंने और मेरी ही सरकार ने एक बार नहीं हर साल जितनी उसकी उम्र है उनते बरस टेक्‍स वसूले। जनता गहरी नींद में है, सो रही है कोई जगाने वाला नही, जिसका लाभ उठाकर मैंने जनता को फ्री के माल में उलझाये रख गुलाम बनाये रखा और आज भी वह गुलाम है।

कुछ आत्‍मायें जो भुक्‍तभोगी थी वह मंत्री की आत्‍मा के कारनामों को सुनकर थर-थर कॉप रही थी, और उनका उबाच जारी था कि- मेरी ही स्‍कीम के अनुसार गरीब कभी अमीर न हो, उनपर इतने टेक्‍स लॉद दिये कि वह एक जन्‍म क्‍या कई जन्‍मों तक टेक्‍स देता मर जायेगा और खजाना भरने के नाम पर मैंने अनेक जिलों में खुद के वेयरहाउस बनवाये, जगह जगह ऐशोआराम के लिये जमीनें खरीदकर फार्महाउस बनवाये, मेरे द्वारा किये गये भ्रष्‍टाचार का रिकार्ड मेरे पास नहीं, अनेक बार गोदामों में अनाज की जगह नोटों की गडिडया भिजवा देता था और गल्‍ती सुधार लेता, जंगलों को मैनें कटवाया, नदियों की कोख में जेबीसी चलवा कर रेत के अम्‍बार लगाये, रेत खदानों को लूटा, पहाडों को खुदवाये और विपक्ष के साथ मिलबॉट कर हिस्‍सा किया, जो आया उसकी जेब गरम की इसलिये महाभ्रष्‍ट में मेरी बराबरी कोई नहीं कर सकता है इसलिये यमराज मैं बनूगा, किसी दो कोडी का भ्रष्‍टाचार करने वाला यमराज बन जाये तो मैं इसे बर्दास्‍त नहीं करूगा।

एक विधायक की आत्‍मा यमराज पद पूर्व मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा के द्वारा हथियाने का षडयंत्र देख अपने कारनामे सुनाकर यमराज पद पर मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा की बराबरी नहीं कर सकी तब दूसरे पद पर स्‍वयं की ताजपोशी के लिये मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा के स्‍वर में स्‍वर मिलाते हुये बोली कि जैसा कि आपने महाभ्रष्‍टाचारी होने के महाभयंकर डरावने सबूतों से यमराज बनने की योग्‍यता सिद्व कर दी है वही उनसे मिलते स्‍वयं के कारनामों का कच्‍चा चिटठा खोलना शुरू किया कि हमने मुख्‍यमंत्री के साथ मिलकर गायों के मुह का निबाला छीनकर सारी चरनोई भूमि बॉट दी और गायों को सडकों गलियों में पन्‍नी खाकर तडफ तडफ कर मरने को छोड दिया, किन्‍तु किसी ने भी गायों की ओर से आवाज नही उठायी और हम 33 कोटि देवता जिस गाय में वास करते है, उन्‍हें धोखा देने में कामयाब हो गये, तब तुम कौन से खेत की मूली हो। विधायक‍ की आत्‍मा फिर गर्जी- पूरे प्रदेश में चरनोई भूमि पर कालोनियॉ कट गयी है, किसी भी जिले के गॉव, पंचायत, जनपद नगरीय सीमा को छूने वाली और इनकी सीमाओं में आने वाली सभी नहरों को हमने ले देकर कब्‍जा करवाया, जहॉ भी जैसे भी सरकारी जमीन शहर, गांव में दिखी अपने लोगों को खुश कर जमकर भ्रष्‍टाचार किया।     

      इतना ही नहीं कई गरीब कमजोर जिनका कोई बारिस नहीं उनका रिकार्ड रखकर अपने लोगों से उनकी जमीनें हथियाने के लिये असली मोहरों की तरह फर्जी मोहरों से असली की नकल फर्जी कागज तैयार करवा कर उन्‍हें बेचने के वैधानिक मालिक तैयार कर सिर्फ भ्रष्‍टाचार ही भ्रष्‍टाचार किया, और असली दस्‍तावेजी कागज वालों को फर्जी साबित करने के लिये उनपर कार्यवाही करवाकर खूब परेशान किया ताकि वे दुबारा किसी मंच फोरम पर दावे करना बंद कर दे।

 मंत्री, विधायक, अधिकारी, सहित नेताओं की आत्‍माओं में अपने अपने भष्‍ट धंधों गंदें कारनामों को लेकर जंग छिडी हुई थी और सब एक दूसरे को ताने दे रहे थे, कि कौन किसे कितना हिस्सा देता और किस हद तक हरामीपन कर काम करता था। अचानक कालोनाईजर और ठेकेदारों की आत्‍मा मंत्री से बोल पडी कि प्रदेश में उन्‍होंने कितने घटिया निर्माण करके सडके, पुलों, सरकारी भवनों कालोनियों का निर्माण कर हजारों लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड किया है अगर उनका पैसा नहीं मिला होता तो मंत्री और विधायक भी नहीं होते। जिला बैंक अधिकारी के दम पर मंत्री की सहमति से अध्‍यक्ष संचालक बनकर पच्‍चीस पचास करोड का भ्रष्‍टाचार गेहॅू, धान, चना, खरीदी और खाद बीज में करना ऑख से सूरमा चुराने जैसा होता, जबकि मंत्री और विधायक का भ्रष्‍टाचार हजार दस हजार नहीं लाख दस लाख करोड को पार कर गया तब ऐसी स्थिति में मंत्री की आत्‍मा को यमराज बनाने का प्रस्‍ताव विधायक की आत्‍मा  ने रखा जिसे दूसरी आत्‍माओ ने समर्थन दिया और अब यमराज के पद पर महाभ्रष्‍ट मुख्‍यमंत्री की आत्‍मा चुन ली गयी, जिसमें यमराज द्वारा यमलोक का कार्यविभाजन करने की बैठक अगले सप्‍ताह रखी परन्‍तु सभी को जल्‍दी थी , बैठक में यमलोक को स्‍वर्गलोक से अच्‍छा लुक देने के लिये सभी सरकारी भवनों को अनुपयोगी जर्जर बताकर नये सिरे से बनाने, यमराज के ओल्‍ड भैसा की जगह नये वाहन पर निर्णय लेने, सभी देवताओं के वाहन अनुसार व्‍यवस्‍था के आधुनिक इंतजाम पार्किग व्‍यवस्‍था आदि कार्य करने का प्रस्‍ताव रखा गया।

      यमलोक को पृथ्‍वी से नया यमराज मिल गया। यमराज चुनते ही जहॉ नर्क में भ्रष्‍टाचारियों के चेहरे पर रौनक आ गयी वहीं स्‍वर्ग में यमराज के द्वारा भारी उलटफेर करने एवं अपनी चहेती आत्‍माओं को स्‍वर्ग में न्‍याय के लिये मोटी रकम ऐढने वाले रिश्‍वतखोरों को जिम्‍मेदारियॉ सौंपे जाने के लिये बाजार सजने लगा, जिसमें बोली लगाकर कोई भी महत्‍वपूर्ण पद पा सकता है।  

आत्‍माराम यादव पीव

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